नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को दुरुस्त और पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। 1 अगस्त 2025 से देशभर में वोटर आईडी का घर-घर जाकर वेरिफिकेशन अभियान शुरू किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब हर मतदाता से व्यक्तिगत तौर पर दस्तावेज लेकर उसकी नागरिकता, उम्र और पते की पुष्टि की जाएगी। चुनाव आयोग का कहना है कि इस कदम का मकसद फर्जी, मृत और डुप्लीकेट वोटरों को हटाना है ताकि भारत में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रणाली को मज़बूती दी जा सके।
हर घर पहुंचेगा BLO, मांगे जाएंगे सरकारी दस्तावेज
इस विशेष अभियान में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं से मुलाकात करेंगे। वे मतदाता से पहचान और निवास से जुड़े दस्तावेज मांगेंगे जिनमें आधार कार्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या अन्य मान्य सरकारी आईडी शामिल हो सकते हैं। इन दस्तावेजों के ज़रिए मतदाता की उम्र, पते और नागरिकता की पुष्टि की जाएगी।
बायोमेट्रिक से लेकर फिजिकल वेरिफिकेशन तक होगा प्रोसेस
सिर्फ दस्तावेज ही नहीं, कई राज्यों में फिंगरप्रिंट, फेस स्कैन और अन्य बायोमेट्रिक तरीकों से भी पहचान सुनिश्चित की जाएगी। BLO यह भी जांचेंगे कि मतदाता उस पते पर वास्तव में निवास करता है या नहीं। यदि कोई व्यक्ति उस पते से अनुपस्थित पाया गया या दस्तावेजों में गड़बड़ी मिली, तो उसका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है।
बिहार बना रोल मॉडल, हटाए गए 35.6 लाख फर्जी नाम
इस पूरे मिशन का ट्रायल सबसे पहले बिहार में किया गया था, जहां जून 2024 से प्रक्रिया चालू हुई। अब तक 35.6 लाख फर्जी, मृत या प्रवासी वोटरों के नाम हटाए जा चुके हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार में अब तक 88% वेरिफिकेशन पूरा हो चुका है, और अब यही मॉडल पूरे देश में लागू किया जा रहा है।
अवैध प्रवासियों पर भी रहेगी नजर
ECI ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह अभियान सिर्फ भारतीय नागरिकों को मतदाता सूची में बनाए रखने के लिए है। बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल जैसे पड़ोसी देशों से आए अवैध प्रवासियों की पहचान कर उनके वोटर कार्ड रद्द किए जाएंगे। यह राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र की शुद्धता के लिए ज़रूरी कदम बताया जा रहा है।
जमीनी स्तर पर शिकायतें भी सामने आईं
हालांकि चुनाव आयोग का दावा है कि यह अभियान सफल रहा है, लेकिन कई इलाकों से शिकायतें भी मिल रही हैं कि अब तक BLO ने दरवाजे पर दस्तक ही नहीं दी। यानी आंकड़े और हकीकत में अंतर अभी बना हुआ है। ऐसे में आयोग को सुनिश्चित करना होगा कि यह प्रक्रिया केवल कागजों तक सीमित न रह जाए।
क्या कहता है आयोग का मकसद?
ECI का साफ कहना है कि देश की चुनाव प्रक्रिया को “फुल प्रूफ” बनाने के लिए यह अभियान ज़रूरी है। इस पहल से न सिर्फ चुनावों में विश्वसनीयता और पारदर्शिता आएगी, बल्कि फर्जीवाड़ा और डुप्लीकेसी जैसे मामलों पर भी प्रभावी अंकुश लगेगा।