नई दिल्ली | 8 अगस्त 2025: दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र गुरुवार को उस वक्त गरमा गया जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने वर्ष 2023-24 की सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए पूर्ववर्ती सरकार पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और जनधन की बर्बादी के आरोप लगाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने मुफ्त योजनाओं और विज्ञापनबाजी के नाम पर जनता के टैक्स का पैसा “अपनी जेब” की तरह खर्च किया, लेकिन सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों जैसे स्थायी जनहित कार्यों को नजरअंदाज किया गया।
मुफ्त की बिजली-पानी पर बहाया जनता का पैसा
रेखा गुप्ता ने सीएजी रिपोर्ट में किए गए खुलासों को पढ़ते हुए कहा कि दिल्ली को केंद्र सरकार से कुल ₹4800 करोड़ की ग्रांट मिली थी, लेकिन उसका बड़ा हिस्सा मुफ्त योजनाओं पर खर्च कर दिया गया:
- ₹3250 करोड़ मुफ्त बिजली योजना पर
- ₹482 करोड़ फ्री बस सेवा पर
- ₹463 करोड़ जल आपूर्ति पर
मुख्यमंत्री ने तीखा सवाल उठाया – “क्या जनता टैक्स इसीलिए देती है कि उसे मुफ्त में बिजली-पानी मिले, या इसलिए कि उनके शहर का आधारभूत ढांचा मजबूत हो?”
“प्रधानमंत्री” शब्द से परहेज़, योजनाएं ठुकराईं
रेखा गुप्ता ने विधानसभा को बताया कि केंद्र सरकार की कई राष्ट्रीय योजनाएं सिर्फ इसलिए लागू नहीं की गईं क्योंकि उनमें ‘प्रधानमंत्री’ शब्द जुड़ा था। इन योजनाओं में शामिल थीं:
- PM श्री स्कूल योजना
- PM विश्वकर्मा योजना
- PM स्वनिधि योजना
- राष्ट्रीय आयुष मिशन
- आर्थिक आवास योजना
- अमृत योजना
- यमुना सफाई परियोजना
उन्होंने आरोप लगाया कि “राजनीतिक द्वेष के चलते जनता की भलाई की योजनाओं को रोका गया।”
अस्पताल अधूरे, खर्च दोगुना
मुख्यमंत्री ने बताया कि 24 अस्पतालों की आधारशिला रखी गई, जिनकी कुल लागत ₹3427 करोड़ आंकी गई थी, लेकिन आज तक निर्माण पूरा नहीं हुआ। अब इनकी लागत बढ़कर ₹6127 करोड़ पहुंच गई है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया:
- स्वास्थ्य बजट में 50% की गिरावट
- शिक्षा और खेल में 42% की कटौती
- सड़क निर्माण में 40% की गिरावट
- शहरी विकास बजट में 36% की कटौती
घाटा और राजस्व का पतन
मुख्यमंत्री के अनुसार, वर्ष 2022-23 में दिल्ली सरकार के पास ₹4566 करोड़ का अधिशेष था।
- लेकिन 2023-24 में वह घाटा ₹3934 करोड़ हो गया।
- यानी कुल ₹8600 करोड़ की वित्तीय गिरावट सिर्फ दो वर्षों में आई।
उन्होंने कहा, “यह पैसा सिर्फ वेतन, ब्याज और गैर-पूंजीगत खर्चों में बहा दिया गया। एक भी स्थायी संपत्ति नहीं बनी।”
उपयोग नहीं हुआ पैसा, यूसी तक नहीं भेजी गई
मुख्यमंत्री ने गंभीर खुलासे करते हुए बताया कि:
31 मार्च 2024 तक ₹842 करोड़ बिना उपयोग के पड़े रहे।
₹3760 करोड़ की ग्रांट के बावजूद उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) तक नहीं भेजा गया।
मेट्रो परियोजनाओं और NHAI के कामों में राज्य सरकार ने अपनी हिस्सेदारी कभी नहीं दी।
PAC जांच की मांग
मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि सीएजी रिपोर्ट को लोक लेखा समिति (PAC) को सौंपा जाए ताकि इन वित्तीय अनियमितताओं की गहराई से जांच हो सके।
उन्होंने कहा, “जनता के पैसे का हिसाब जनता को मिलना चाहिए। सरकारें प्रचार नहीं, सार्वजनिक सेवा के लिए चुनी जाती हैं।”