श्रीनगर – कश्मीरी पंडित नर्स सरला भट्ट की हत्या को 34 साल बीत चुके हैं, लेकिन इस दर्दनाक घटना की गूंज आज भी लोगों के दिलों में है। 1990 में हुए इस सनसनीखेज हत्याकांड की जांच अब जम्मू-कश्मीर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने फिर से शुरू कर दी है। श्रीनगर में मंगलवार को SIA ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की, जिससे यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया।
सरला भट्ट की दर्दनाक कहानी
14 अप्रैल 1990 को 27 वर्षीय सरला भट्ट रोज की तरह शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS), सौरा में अपनी ड्यूटी कर रही थीं। अचानक हथियारबंद आतंकवादी अस्पताल पहुंचे और उन्हें बंदूक की नोक पर अगवा कर लिया।
इसके बाद 5 दिनों तक सरला को बंदी बनाकर लगातार गैंगरेप किया गया। उनके साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गईं। 19 अप्रैल को उनकी क्षत-विक्षत लाश मिली — शरीर पर अनगिनत चोटें और कट के निशान थे, मुंह में कपड़ा ठूंसा था, हाथ-पांव बंधे हुए थे। यह मंजर इतना भयावह था कि घाटी के कश्मीरी पंडितों के दिल दहल गए और पलायन तेज हो गया।
कश्मीरी पंडित नर्स, जिसकी ड्यूटी थी मासूमों की देखभाल
सरला भट्ट अनंतनाग जिले के काजीबाग इलाके की रहने वाली थीं। SKIMS के नवजात शिशु विभाग में नर्स के रूप में कार्यरत थीं। अस्पताल से ही उनका अपहरण किया गया और अगले दिन लाल बाजार में उनकी लाश फेंकी मिली।
जांच में शक JKLF के तीन आतंकवादियों पर गया, लेकिन केस कभी पूरी तरह सुलझ नहीं पाया। निगीन पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज हुआ, लेकिन दशकों तक जांच ठंडी पड़ी रही।
क्यों हुई थी सरला भट्ट की हत्या
जांचकर्ताओं का मानना है कि सरला की हत्या घाटी से कश्मीरी पंडितों को खदेड़ने की बड़ी साजिश का हिस्सा थी। आतंकियों का मकसद कश्मीरी पंडित समुदाय में खौफ फैलाना था, ताकि वे अपना घर-बार छोड़कर पलायन कर जाएं।
34 साल बाद फिर खुला केस
हाल में उपराज्यपाल प्रशासन ने 1990 के दशक में हुई टारगेट किलिंग्स की फाइलें फिर से खोलने का आदेश दिया। इसी कड़ी में SIA ने सरला भट्ट केस की जांच शुरू की है। इस बार एजेंसी ने JKLF के पूर्व नेता पीर नूरुल हक शाह समेत कई संदिग्धों के घरों पर छापे मारे हैं।