मध्य प्रदेश का ‘फर्जी जाति प्रमाण पत्र रैकेट’ बेनकाब: STF ने 25 अफसर-कर्मचारियों पर दर्ज किया केस, 50 से ज्यादा के नाम आ सकते हैं सामने
भोपाल/ग्वालियर। मध्य प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी नौकरियों में घुसने वाले बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की गोपनीय जांच में ग्वालियर-चंबल, इंदौर, शाजापुर, विदिशा, होशंगाबाद और बैतूल में पदस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं। अब तक 25 अफसर-कर्मचारी चिन्हित हो चुके हैं, जबकि जांच में यह संख्या 50 से अधिक पहुंचने की संभावना है।
STF की रिपोर्ट के अनुसार गजराराजा मेडिकल कॉलेज (GRMC) ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के एनाटॉमी विभाग में डॉ. दिनेश मांझी, पैथोलॉजी विभाग में डॉ. विनोद मांझी और बायोलॉजी विभाग में सुमन उर्फ सीमा मांझी फर्जी SC प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। इसके अलावा PWD के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर रजनीश कुमार का नाम भी सामने आया है।
जांच में राजस्व, पुलिस, मेडिकल और PWD विभाग के अफसर और कर्मचारी शामिल पाए गए हैं। STF का कहना है कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले कार्यालयों के कुछ कर्मचारी भी इस फर्जीवाड़े में मिले हुए हैं।
27 जून 2025 को STF मुख्यालय भोपाल में शिकायत दर्ज होने के बाद 6 नामजद और 19 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR हुई। आगे की जांच में कई जिलों के नाम उजागर हुए। STF ने बताया कि रैकेट न केवल फर्जी प्रमाण पत्र बनवाता था, बल्कि नौकरी जॉइनिंग के बाद विभागीय वेरीफिकेशन लेटर आने पर फर्जी वेरीफिकेशन भी कराता था।
अब तक दर्ज FIR में ग्वालियर के जवाहर सिंह, सीताराम, सरला देवी, राजेश कुमार, कुसुमा देवी, सुनीता रावत के साथ प्रदेशभर से नाहर सिंह, बाबूलाल रावत, महेश, मनीष गौतम, हाकिम सिंह, यशकुमार सिंह, अनिल, रेखा, महेंद्र सिंह, लोकेंद्र सिंह, देवीलाल ढीमर, भागीरथ मांझी, अनुपम मांझी, हेमंत बाथम और गीतिका के नाम शामिल हैं।
STF ने संकेत दिया है कि रैकेट में शामिल अन्य लोगों और उनके मददगारों के नाम भी जल्द FIR में जोड़े जाएंगे।