बिहार के अल्पसंख्यक (फिड़हिया वर्ग) कर्मचारियों ने अपनी लंबित 10 सूत्री मांगों को लेकर 9 जुलाई 2025 को जिला मुख्यालयों और राजधानी पटना में प्रदर्शन किया। संगठन का आरोप है कि पिछली बैठकों में सरकार ने जो आश्वासन दिए थे, उन पर अब तक कोई ठोस आदेश जारी नहीं हुआ है, जिससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है।
संगठन की मुख्य मांगों में विभिन्न श्रेणी के शिक्षकों और सहायक अधिकारियों के वेतनमान में संशोधन, ग्रेड पे के अनुसार पदोन्नति, और MACP के तहत समय पर वेतन वृद्धि शामिल है। गैर-शिक्षकीय पदों पर भी योग्यता और सेवा अवधि के आधार पर पदोन्नति की मांग उठाई गई है। संघ ने कहा कि स्वीकृत पदों में वृद्धि और खाली पदों पर शीघ्र नियुक्ति होनी चाहिए। साथ ही, सभी कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल पर सरकारी आवास की सुविधा सुनिश्चित की जाए।
मांग पत्र में चिकित्सा प्रतिपूर्ति का 75% अग्रिम भुगतान, 2 से 5 लाख रुपये तक कैशलेस इलाज की सुविधा, और 50 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा शामिल है। इसके अलावा, बोनस भुगतान पूर्ववत जारी रखने की भी मांग है।
संघ ने मांग की है कि जिला स्तरीय संघों को राज्य स्तरीय संगठन में शामिल किया जाए और स्थानांतरण नीति में बदलाव कर शिक्षकों और कर्मचारियों को उनके गृह जिले में तैनाती दी जाए।
संगठन ने स्पष्ट किया कि जब तक सभी मांगों पर सरकार ठोस निर्णय लेकर अधिसूचना जारी नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। कर्मचारियों का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ वेतनमान की नहीं, बल्कि सम्मान और सुविधाओं की है।