बिहार में वर्ष 2005 से पहले की सरकार ने पिछड़े, अति पिछड़े, अनुसूचित जाति-जनजाति, दलित-महादलित, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और समाज के वंचित तबकों के उत्थान के लिये कोई काम नहीं किया। न तो उन्हें उचित मान-सम्मान दिया गया और ना ही शासन में उन्हें किसी तरह की कोई महत्वपूर्ण भागीदारी दी गयी। इन सभी वर्गों के बच्चे-बच्चियों में शिक्षा का घोर अभाव था, लेकिन उस वक्त जिन लोगों की सरकार थी उन्होंने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। समाज के इन तबकों के लोगों में गरीबी और बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही थी लेकिन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता था। चुनाव के वक्त जब वोट लेने की बारी आती थी, तो झूठे वादे कर और डरा धमका कर लाठी के बल पर इनका वोट ले लिया जाता था तथा सरकार बनने के बाद सत्ता में बैठे लोग खुद को मालिक समझने लगते थे और राजनीति में सिर्फ अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाने में लगे रहते थे।

24 नवंबर 2005 को राज्य में जब नयी सरकार का गठन हुआ, तो हमलोगों ने न्याय के साथ विकास के सिद्धांत पर चलते हुये समाज के सभी वर्गों के लोगों के उत्थान एवं हर तबके के लोगों की तरक्की के लिये काम करना शुरू किया। हमलोगों ने पूरे बिहार को अपना परिवार मानकर सभी तबकों के विकास के लिए काम किया है। समाज में पिछड़े, वंचित एवं निचले पायदान पर खड़े लोगों के उत्थान के लिए विशेष कार्य किये गये हैं। इन परिवारों के बच्चे-बच्चियों के लिए अच्छी शिक्षा, युवाओं के लिए नौकरी और रोजगार तथा समाज में उनके मान और सम्मान का पूरा ख्याल रखा गया।
मुझे वो दिन याद है- जब वर्ष 1993 में मंडल कमीशन की तर्ज पर बिहार में अतिपिछड़ों और पिछड़ों को एक वर्ग में डालने की साजिश हो रही थी। तब मैंने स्पष्ट तौर पर इसका विरोध किया और बिल्कुल स्पष्ट शब्दों में कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के द्वारा बिहार में जो आरक्षण नीति लागू की गयी है, उसमें अगर कोई छेड़-छाड़ होगी और उसमें यदि कोई परिवर्तन करने की कोशिश होगी तो हर स्तर पर इसका विरोध किया जायेगा।

बाद में वर्ष 2006 में हमलोगों ने पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकाय चुनावों में अति पिछड़ा वर्ग के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। वहीं वर्ष 2016 में राज्य की न्यायिक सेवा में सीधी नियुक्ति में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 21 प्रतिशत तथा पिछड़े वर्ग के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। इसके साथ ही वर्ष 2007-08 में पिछड़े वर्ग एवं अत्यंत पिछड़े वर्ग के लोगों के विकास के लिए पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का गठन किया गया। वित्तीय वर्ष 2008-09 में पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का वार्षिक योजना बजट मात्र 42.17 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 2025-26 में 1900 करोड़ रुपये हो गया है। अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास का निर्माण कराया गया है, जहां रह कर लगभग 4,500 छात्र निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा वर्ष 2018 से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों का निर्माण, छात्रावास अनुदान एवं मुफ्त अनाज तथा युवक-युवतियों को सिविल सेवा प्रोत्साहन, ग्राम परिवहन एवं उद्यमी योजना का लाभ दिया जा रहा है।

हमलोगों की सरकार ने राज्य में मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के 33 हजार 644 तथा अति पिछड़े वर्ग के 11 हजार 360 युवाओं को रोजगार हेतु वाहन खरीदने के लिए अनुदान वितरित किया है। वहीं, सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत वर्ष 2018 से बिहार लोक सेवा आयोग एवं संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा की तैयारी हेतु क्रमशः 50 हजार रुपये एवं एक लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके तहत राज्य में अब तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के 4,113 अभ्यर्थियों तथा अति पिछड़ा वर्ग के 6,170 अभ्यर्थियों को प्रोत्साहन राशि दी जा चुकी है। इसी प्रकार से वर्ष 2018 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवक युवतियों के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना शुरू की गयी और वर्ष 2020 में जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की जयंती पर हुए निर्णय के बाद अति पिछड़ा वर्ग के युवक-युवतियों को भी मुख्यमंत्री उद्यमी योजना का लाभ दिया जा रहा है। इसके तहत उन्हें अपना उद्यम लगाने के लिए 10 लाख रुपये तक की सहायता राशि दी जा रही है, जिसमें 5 लाख रुपये अनुदान और शेष 5 लाख रुपये ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत अब तक 40,462 युवक-युवतियों को लाभ दिया जा चुका है, जिसमें अनुसूचित जाति- जनजाति वर्ग के 13,664 अति पिछड़ा वर्ग के 9,855 और अपर कास्ट एवं पिछड़ा वर्ग के 8,324 युवा शामिल हैं।
वर्ष 2005 से पूर्व राज्य में 8वीं और 10वीं कक्षा तक कम क्षमता के मात्र 66 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय थे, जिनके भवनों की स्थिति अत्यंत ही दयनीय थी। इन सभी आवासीय विद्यालयों को 10+2 में उत्क्रमित किया गया और प्रत्येक की क्षमता 720 कर दी गयी। इन पुराने आवासीय विद्यालयों में से 45 आवासीय विद्यालयों का नया भवन बना दिया गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2021 में 70 नये आवासीय विद्यालयों के निर्माण का फैसला लिया गया, जिसमें से अधिकांश का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। राज्य में अब आवासीय विद्यालयों की कुल आवासन क्षमता 84,240 हो गयी है। इसी प्रकार से वर्ष 2021 में राज्य के सभी जिलों में पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग की छात्राओं के लिए संचालित आवासीय विद्यालयों को भी 10+2 में उत्क्रमित किया गया। फिलहाल राज्य के सभी जिलों में एक-एक और पटना जिले में दो पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग आवासीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं।

वर्ष 2023 में राज्य में जाति आधारित गणना करायी गयी, जिसमें लोगों की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी ली गयी। इसमें 94 लाख गरीब परिवार पाये गये, जिसमें अपर कास्ट, पिछड़ा-अतिपिछड़ा, महादलित एवं मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं। इन लोगों के रोजगार हेतु लघु उद्यमी योजना के तहत 2 लाख रुपये की दर से सहायता राशि दी जा रही है।
इसके साथ ही अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्गों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए छात्रवृति योजना भी चलायी जा रही हैं। पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति योजना के तहत कक्षा 1 से 10 तक की छात्राओं को प्रतिवर्ष कुल 7,200 रुपये दिये जाते हैं। वहीं कक्षा 11 से लेकर उच्च शिक्षा तक अध्ययनरत पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को 2,000 रुपये से 4 लाख रुपये तक की छात्रवृति की सुविधा मिल रही है। जबकि छात्रावासों में रह कर पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को 1000 रुपये प्रतिमाह दिये जा रहे हैं। वर्ष 2024-25 में 226.78 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है। इसी तरह से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति मेधावृत्ति योजना के तहत इन वर्गों के विद्यार्थियों को प्रथम श्रेणी से मैट्रिक पास करने पर 10,000 रुपये एवं द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण होने पर 8,000 रुपये दिये जाते हैं। यह प्रोत्साहन राशि विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करेगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगी। साथ ही छात्रावासों में रह पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को 1,000 रुपये दिये जा रहे हैं। इस वर्ष के बजट में इस राशि को दोगुना कर 2,000 रुपये का प्रावधान किया गया है। इस वर्ष के बजट में अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए 19,648.86 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है, जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 1,735.04 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।

हमलोगों ने वर्ष 2008 में ही महादलित समुदाय के लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए महादलित विकास मिशन की स्थापना की और राज्य भर में विकास मित्रों की नियुक्ति की गयी, जो सरकार की विकास योजनाओं का लाभ समाज के वंचित वर्गों तक आज भी पहुंचा रहे हैं। फिलहाल राज्य में लगभग 10 हजार विकास मित्र कार्यरत हैं। अभी हाल ही में विकास मित्रों का मानदेय 13,700 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है तथा टैबलेट खरीदने के लिए एकमुश्त 25,000 रुपये दिये गये हैं। इसके अलावा परिवहन भत्ते में 600 रुपये की वृद्धि की गई है, जो 1,900 रुपये से बढ़कर 2,500 रुपये प्रतिमाह हो गया है। साथ ही स्टेशनरी भत्ते में भी 600 रुपये की वृद्धि की गयी है, जो 900 रुपये से बढ़कर 1,500 रुपये प्रतिमाह हो गया है। इसके साथ ही शिक्षा सेवकों को स्मार्टफोन खरीदने हेतु 10,000 रुपये की राशि दी गयी है और शिक्षण सामग्री खरीदने की राशि को 3,405 रुपये से बढ़ाकर 6,000 प्रति केंद्र प्रतिवर्ष किया गया है। इसी प्रकार से वर्ष 2009 में जनजाति समाज के विकास हेतु समेकित थरूहट विकास के कार्यक्रम चलाये गये। इसके तहत आवासीय विद्यालयों एवं छात्रावासों का निर्माण कराया गया तथा जनजाति समुदाय के युवाओं को रोजगार हेतु प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही, वर्ष 2014 में अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए ’स्वाभिमान बटालियन’ का गठन किया गया, जिसका मुख्यालय पश्चिमी चंपारण में है।
राज्य में पिछड़ा, अति पिछड़ा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दलित-महादलित, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और समाज के वंचित तबकों की तरक्की के लिए हमलोगों ने जो काम किए हैं, उसे आपलोग याद रखिएगा। आगे भी हमलोग ही काम करेंगे। हमलोग जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं।
			


							




