मंजरी की विशेष रिपोर्ट
नई दिल्ली, 1 दिसंबर। भारत सरकार के एम एस एम ई मंत्रालय के सचिव सुभाष चन्द्र लाल दास के खिलाफ पिछले दो साल से अधिक समय से अवमानना का मुकदमा दर्ज है लेकिन एक सरकारी सेवा के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के 31 अगस्त, 2022 को दिये गये फैसले को आंशिक तौर पर लागू किया गया है। परिणाम यह है कि अवमानना का मुकदमा अभी भी चल रहा है और जिसकी अगली सुनवाई की तिथि इसी महीने 10 दिसंबर को निर्धारित है। यह मामला हरेन्द्र प्रताप सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया है। इस मामले में सरकार को सर्वोच्च न्यायालय से भी झटका लग चुका है।
छठे वेतन आयोग ने हिन्दी के पदों को एक ग्रेड ऊपर कर दिया था। इस मामले में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने अपने यहां सभी हिन्दी पदों को लाभ दे दिया लेकिन सहायक संपादक ( हिन्दी ) को इस लाभ से वंचित कर दिया। इस कारण वेतन विसंगति पैदा हो गई और पीड़ित अधिकारी न्यायालय की शरण में पहुंच गए। सन् 2010 से न्यायालय में चला यह मामला तीन बार केन्द्रीय प्रशासनिक अभिकरण ( कैट ), दो बार दिल्ली उच्च न्यायालय और एक बार सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक प्रक्रिया को पार कर अवमानना के आरोप में इस समय दिल्ली उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
इस दिलचस्प मामले में एम एस एम ई मंत्रालय का कहना है कि उसने न्यायालय के आदेश का पालन कर दिया है जबकि वहां के प्रभावित अधिकारी रहे पूर्व संयुक्त निदेशक हरेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि सरकार के भर्ती नियम और विभिन्न आदेश पत्रों में फैसले के अनुरूप संबंधित पद के वेतनमान और ग्रेड को संशोधित नहीं किया गया है और साथ ही न्यायालय के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इसलिए श्री प्रताप ने अवमानना का मुकदमा दायर कर रखा है। अवमानना का मुकदमा वर्ष 2023 में दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर किया गया था जिस पर अंतिम फैसला होना अभी बाकी है।








