पटना। दिनांक – 03/12/2025: आज विकास भवन, पटना स्थित पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सभागार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने कहा कि वर्ष 2024-25 में बिहार के पशुपालन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। दूध, अंडा और मांस उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के साथ राज्य ने राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ते हुए आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं। विभाग की योजनाओं, आधुनिक तकनीकों और सेवाओं के सतत विस्तार ने ग्रामीण आजीविका, पोषण और आर्थिक मजबूती को नई ऊर्जा प्रदान की है। इन्हीं उपलब्धियों को साझा करने हेतु आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में डॉ. विजयलक्ष्मी ने राज्य की प्रगति, लक्ष्य उपलब्धि और भविष्य की दिशा पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में निदेशक, पशुपालन श्री उज्जवल कुमार सिंह, निदेशक मत्स्य श्री अभिषेक रंजन, निदेशक गव्य श्री केदार नाथ सिंह एवं विभाग के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे।

डॉ.एन. विजयलक्ष्मी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन से सकल मूल्य संर्वद्धन (Gross Value Added from livestock) 5.5 प्रतिशत है। सम्पूर्ण कृषि क्षेत्र के सकल मूल्य संर्वद्धन में पशुपालन की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत है।
बिहार ने वर्ष 2024-25 में पशुजन्य उत्पादों के क्षेत्र में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज करते हुए देशभर में अपना मजबूत दावा पेश किया है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन के फलस्वरूप प्रमुख पशुजन्य उत्पादों का उत्पादन बढ़ा है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, दूध, अंडा और मांस- सभी प्रमुख उत्पादों में बिहार ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
प्रमुख पशुजन्य उत्पाद – दूध, अंडा और मांस – तीनों में उछाल।
राज्य में 2023-24 की तुलना में उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
देश में अंडा उत्पादन के क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर के अनुसार बिहार राज्य का प्रथम स्थान है।
| क्र० सं० | पशुजन्य उत्पाद | 2023-24 में अनुमानित उत्पादन | 2024-25 में अनुमानित उत्पादन | वर्ष 2024-25 का वार्षिक वृद्धि दर | |
| बिहार राज्य | राष्ट्रीय | ||||
| 1 | दूध (000 टन) | 12852.99 | 13397.69 | 4.24% | 3.58% |
| 2 | अंडा (लाख में) | 34400.5 | 37838.75 | 9.99% | 4.44% |
| 3 | मांस (000 टन) | 404.3 | 420.59 | 4.03% | 2.46% |
- अंडा उत्पादन में लगभग 10% की ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज हुई है, जबकि दूध और मांस उत्पादन में भी राज्य ने शानदार प्रदर्शन किया है।
- देश में दूध उत्पादन के क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर के अनुसार बिहार राज्य का छठा स्थान है।
- देश में मांस उत्पादन के क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर के अनुसार बिहार राज्य का नौवां स्थान है।
चतुर्थ कृषि रोड मैप (2023-28) के अनुसार निर्धारित लक्ष्य एवं उपलब्धि
| क्र० सं० | पशुजन्य उत्पाद | वर्ष 2024-25 हेतु निर्धारित लक्ष्य | वर्ष 2024-25 में उपलब्धि | उपलब्धि का प्रतिशत |
| 1 | दूध (000 टन) | 13960 | 13397.69 | 95.97% |
| 2 | अंडा (लाख में) | 39880 | 37838.75 | 94.88% |
| 3 | मांस (000 टन) | 428 | 420.59 | 98. 27% |
प्रमुख पशुजन्य उत्पादों के उत्पादन में बिहार ने लक्ष्य का लगभग 95 प्रतिशत या अधिक की उपलब्धि हासिल की है – यह राज्य के पशुपालन क्षेत्र की शक्ति का स्पष्ट संकेत है।
राज्य में प्रति व्यक्ति उपलब्धता में सुधार (Per Capita Availability) – ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती :-
| क्र० सं० | पशुजन्य उत्पाद | बिहार | |
| प्रति व्यक्ति उपलब्धता (2023-24) | प्रति व्यक्ति उपलब्धता (2024-25) | ||
| 1 | दूध | 277 ग्रा० प्रतिदिन | 285 ग्रा० प्रतिदिन |
| 2 | अंडा | 27 ग्रा० प्रतिवर्ष | 29 प्रतिवर्ष |
| 3 | मांस | 3.19 कि० ग्रा० प्रतिवर्ष | 3.27 कि० ग्रा० प्रतिवर्ष |
डॉ.एन. विजयलक्ष्मी ने कहा कि बिहार में प्रति व्यक्ति उपलब्धता निरंतर बढ़ रही है, जो यह दर्शाता है कि पशुपालन ग्रामीण आजीविका और पोषण सुधार दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
राष्ट्रीय हिस्सेदारी में भी बिहार की दमदार उपस्थिति
देश के कुल दूध उत्पादन में बिहार का योगदान 5.41% (देश में 9वां स्थान)
देश के कुल मांस उत्पादन में बिहार का योगदान 4% (देश में 10वां स्थान)
देश के कुल अंडा उत्पादन में बिहार का योगदान 2.54% (देश में 11वां स्थान)
पशुपालन सेवाओं का विस्तार, 24X7 पशु चिकित्सा सुविधा, MVU के माध्यम से पशुपालकों के द्वार पर पशु चिकित्सा की सुविधा, मुर्गी विकास की योजना, बकरी विकास की योजना तथा नस्ल सुधार कार्यक्रमों के कारण बिहार में विभिन्न पशु उत्पादों के उत्पादन में तेज वृद्धि दर दर्ज की गई है।
- मात्स्यिकी आत्मनिर्भरता की ओर बिहार राज्य के बढ़ते कदम
डॉ.एन. विजयलक्ष्मी ने कहा कि बिहार सरकार के मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग द्वार संचालित योजनाओं के माध्यम से मत्स्य के क्षेत्र में हाल के वर्षों में अत्यंत प्रभावी एवं सतत वृद्धि दर्ज की है। बिहार राज्य अंतर्गत मात्स्यिकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पोषण सुरक्षा, रोजगार तथा जीवकोपार्जन में एक महत्वपूर्ण स्थान है। विगत वर्षों में मत्स्य पालन एवं मत्स्य उत्पादन के क्षेत्रों में आशातीत वृद्धि हुई है. विशेषतः मत्स्य उत्पादन, मत्स्य बीज उत्पादन, जलस्त्रोतों का निर्माण, आधारभूत संरचना का विकास, मत्स्य कृषकों का प्रशिक्षण, कृषक कल्याण हेतु मत्स्य पालकों का बीमा योजनायें।
1. बिहार के मत्स्य क्षेत्र में वृद्धि दर मजबूत और स्थिर प्रगति
हाल के वर्षों में बिहार की औसत वार्षिक वृद्धि दर 6% से 6.7% के बीच दर्ज की गई है।
वहीं, वर्ष 2014-15 से 2023-24 तक के दशक में मत्स्य उत्पादन में 81.98% की बढ़ोतरी दर्ज हुई, जो राज्य के मत्स्य क्षेत्र की क्षमता, संसाधन प्रबंधन और सरकारी पहलों की प्रभावशीलता को दर्शाती है। जबकि राष्ट्रीय औसत वृद्धि दर (CAGR) लगभग 8.58% रहा। वर्ष 2013-14 में राज्य का मत्स्य उत्पादन में रैंकिंग नौवें स्थान पर था। बिहार सरकार के सतत प्रयास से वर्ष 2023-24 में राज्य का राष्ट्रीय रैंकिंग चौथे स्थान पर है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2024-25 की वृद्धि प्रतिशत :-
| क्रम सं० | उत्पाद | वित्तीय वर्ष 2023-24 | वित्तीय वर्ष 2024-25 | वृद्धि प्रतिशत |
| 1 | मत्स्य उत्पादन | 8.73 लाख टन | 9.59 लाख टन | 9.85% |
| 2 | फिश सीड उत्पादन | 51.335 लाख | 74,156 लाख | 44.46% |
| 3 | फिंगरलिंग उत्पादन | 8,560 लाख | 10,679 लाख | 24.70% |
| 4 | प्रति व्यक्ति उपलब्धता | 8.73 कि०ग्रा० | 9.50 कि०ग्रा० | 9.85% |
| 5 | राजस्व प्राप्ति | 1752.08 लाख | 1767.09 लाख | 0.85% |
विभागीय योजनाओं से मत्स्य प्रक्षेत्र के निम्नांकित आयामों की उपलब्धि :-
1. वैज्ञानिक तालाब निर्माण बिहार में उत्पादन वृद्धि का आधार
राज्य में 7575.12 है० तालाब का निर्माण कर तकनीकी आधारित मत्स्य उत्पादन को मजबूत आधार दिया गया। इसमें वैज्ञानिक डिजाइन, जलीय गुणवत्ता प्रबंधन, एयरेशन सिस्टम तथा उच्च सघन मत्स्य पालन जैसी सुविधायें उपलब्ध करायी गई।
2. फिश फीड मिल का विस्तार –
राज्य अंतर्गत कुल 70 फिश फीड मिल की इकाइयों का अधिष्ठापन कराया जा रहा है। जिससें उच्च गुणवत्ता वाले संतुलित मत्स्य आहार की उपलब्धता बढ़ेगी, फलस्वरूप मत्स्य उत्पादन में अधिक बढ़ोतरी होगी।
3. बायोफ्लॉक तकनीक कम स्थान में अधिक उत्पादन
राज्य में कुल 764 बायोफ्लॉक का अधिष्ठापन किया गया है। इस तकनीक से कम लागत, साथ ही, कम स्थान में अत्यधिक मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
4. आर०ए०एस०– आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग–
राज्य अंतर्गत कुल 70 आर०ए०एस० युनिट का अधिष्ठापन किया गया है। इस तकनीक के द्वारा 90 प्रतिशत तक पानी की बचत तथा उच्च सघन मत्स्य पालन किया जा रहा है।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य अंतर्गत मत्स्य उत्पादन तथा मत्स्य फिंगरलिंग का उत्पादन में वृद्धि प्रतिशत इस बात का प्रतीक है कि राज्य के मत्स्य पालकों / मत्स्य कृषकों द्वारा बेहतर तालाब प्रबंधन, मत्स्य पालन हेतु वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग, आहार प्रबंधन, Quality Seed का उपयोग तथा मत्स्य कृषकों द्वारा राज्य के भीतर तथा राज्य के बाहर दिये जा रहे प्रशिक्षण का समुचित उपयोग किया जा रहा है। जो कि मत्स्य उत्पादन एवं मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक ठोस एवं महत्वपूर्ण कदम है।







