मंजरी की विशेष रिपोर्ट
नई दिल्ली, 5 दिसंबर। इस सप्ताह मंगलवार का दिन आध्यात्मिक बन गया ! राम जी और हनुमान जी का फिर से एक बार अद्भुत मिलन हुआ। दिल्ली में भगवान राम अपने सबसे प्रिय भक्त हनुमान से मिलने पहुंचे। यह अविस्मरणीय नज़ारा था !
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् ( आई सी सी आर ) के आजाद भवन स्थित मुख्यालय में इस वर्ष की चर्चित हिन्दी पुस्तक ” राम सब के हैं ” का मिलन अंग्रेजी में वर्ष 2025 में ही प्रकाशित ” द हनुमान चालीसा ” से अकस्मात् हो गया। यह सब बिना किसी पूर्व योजना के हुआ !
” राम सब के हैं ” पुस्तक के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार हरेन्द्र प्रताप ने अपनी पुस्तक ” द हनुमान चालीसा ” के अनुवादक और आई सी सी आर के उप महानिदेशक अभय कुमार को भेंट की। इस अवसर पर तुलसीदास रचित हनुमान चालीसा का अंग्रेजी अनुवाद ” द हनुमान चालीसा ” को अभय के.ने श्री प्रताप को भेंट की। यह एक दुर्लभ पल था जो अपने आप घटित हो गया !

” द हनुमान चालीसा ” में तुलसीदास द्वारा जेल में रचित चालीस दोहे में से प्रत्येक का अंग्रेजी रूपांतरण प्रस्तुत किया गया है। एक पृष्ठ पर हिन्दी ( अवधी ) में वास्तविक दोहे को देवनागरी एवं रोमन लिपि में प्रकाशित किया गया है तो दूसरी ओर ठीक सामने वाले पृष्ठ पर उसे अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत किया गया है। जाहिर है कि इससे चालीसा की पहुंच अंग्रेजी भाषा के माध्यम से वैश्विक स्तर पर हो गई है।
” राम सब के हैं ” पुस्तक में श्री राम के बारे में दो लेख हैं – ” राम सब के हैं ” और ” कलयुग में राम का अवतरण “। इसमें अन्य ऐसे विषयों पर भी लेख हैं जो बेहद सामयिक हैं। भगवान राम की मानवीय एवं लोकतांत्रिक व्याख्या करने के साथ – साथ पुस्तक 38 ऐसे विषयों पर बेबाक राय जाहिर करती है जिनसे हर श्रेणी के पाठक चमत्कृत हो सकते हैं।
राम और हनुमान पर इन दोनों कृतियों का एक ही वर्ष में आना तथा वर्ष के अंतिम महीने में पहली बार एक – दूसरे के सामने प्रकट होना सुखद संयोग है !






