हरेन्द्र प्रताप की विशेष रिपोर्ट
नई दिल्ली, 5 दिसंबर। कभी दिल्ली में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एवं लाइब्रेरी का अस्तित्व हुआ करता था। जगह आज भी वही है। बस रंग-रूप-रूतबा बदल गया है ! नाम बदल गया है ! अब यह है प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय। नाम बदलने से काम भी बदल गया है। बड़ा परिवर्तन आ गया है !
पहले यह सिर्फ देश के प्रथम प्रधानमंत्री यानि एक व्यक्ति की स्मृति का आशियाना था। अब यह 15 प्रधानमंत्री का आशियाना बन चुका है। अब यहां पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेन्द्र मोदी तक के ऐतिहासिक योगदान को संजोया गया है — पुस्तक, डिजिटल और अन्य माध्यमों से ! शायद अब तीनमूर्ति भवन में भी रामराज्य आ गया है ! सभी प्रधानमंत्री को इसमें महत्व मिल गया है। परिणाम यह है कि “गुजराल डाक्ट्रायन” के पुरोधा पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदर कुमार गुजराल की जयंती कल यहां धूमधाम से मनाई गई ! तीनमूर्ति भवन में गुजराल की जयंती ! देखने – सुनने में किसी को भी यह विचार ही हैरत में डाल सकता है ! लेकिन अब यह सब हकीकत है !
तीनमूर्ति भवन में प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय का युग आ जाने और नेहरू युग के एकछत्र का समापन हो जाने के बाद देश के निर्माण में सभी 15 प्रधानमंत्री का योगदान सजीव हो उठा है और इससे नई पीढ़ी, इतिहासकार, राजनीति विशेषज्ञ, लेखक, पत्रकार एवं शोधकर्ता का काम आसान हो गया है। सभी प्रधानमंत्री की स्मृति एक ही जगह साकार हो रही है। सारी स्मृतियां मिल कर महास्मृति में परिवर्तित हो कर भारत को एक नई ऊर्जा प्रदान कर रही हैं !
प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय परिसर में कल पूर्व प्रधानमंत्री आई. के. गुजराल के जन्मदिन पर अनेक रोचक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजक की ओर से दिशा आर्य एवं निकिता अम्बावत ने गुजराल की स्मृति में पेंटिंग, क्विज़ और कार्ड्स डिस्प्ले गतिविधियों का संचालन किया। इनमें हर आयु वर्ग के लोगों ने भाग लिया और पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में दिलचस्प जानकारी शेयर कीं।
इस नये नाम वाले परिसर में अब पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ – साथ गुलजारी से गुलजार तक ही नहीं बल्कि शास्त्री से नरसिम्हा राव और मोरारजी से चंद्रशेखर तक सभी याद किये जा रहे हैं। दर्शक इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी के साहसिक तथा दूरगामी परिणाम देने वाले योगदान का भी यहां दर्शन कर रहे हैं।









