वर्ष 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को नई ऊर्जा और रफ्तार देते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) ने एलान किया कि वह बाल विवाह की ऊंची दर वाले जिलों में गहन अभियान के जरिए एक लाख गांवों को अगले एक साल में बाल विवाह मुक्त बनाएगा। जेआरसी ने यह एलान भारत सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के साल भर पूरा होने के मौके पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुए एक कार्यक्रम में किया जिसमें सरकार ने बाल विवाह के खात्मे के लिए 100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान की शुरूआत की।
चिन्हित किए गए गांव देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 450 जिलों में फैले हैं। इनमें से 15 जिलों में बाल विवाह की दर 50 प्रतिशत से भी अधिक है जबकि जबकि 45 जिले ऐसे हैं जहां यह दर 40 प्रतिशत से ज्यादा है। इसके अलावा 95 जिले ऐसे हैं जहां बाल विवाह की दर 30 प्रतिशत से ज्यादा है। बाकी बचे जिले वे हैं जहां बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत के आस पास या इससे थोड़ा ज्यादा है और पूरी संभावना है कि इन जिलों में अगर तत्काल हस्तक्षेप नहीं किया गया तो स्थिति और खराब हो सकती है। पूरे देश से गांवों की पहचान जिन जिलों से की गई है, उनमें से 41 उत्तर प्रदेश में, 39 मध्य प्रदेश में, बिहार और राजस्थान में 38-38 जिले और असम में 30 जिले हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में 26, ओड़ीशा के 25, झारखंड के 24, पश्चिम बंगाल के 23 जिलों में संवेदनशील गांवों की पहचान की गई है। इसके अलावा दिल्ली के सभी 11 जिलों को भी बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील माना गया है।
भारत सरकार के अभियान को पूर्ण समर्थन देते हुए और अगले साल का रोडमैप साझा करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने में सामुदायिक समूहों, धार्मिक नेताओं, पंचायतों व नागरिकों की सबसे मुख्य भूमिका है। सरकार का बाल विवाह मुक्त भारत अभियान पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है। यह बच्चों के खिलाफ इस अपराध के खात्मे के हमारे सामूहिक प्रयासों व सामूहिक प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। पिछले साल एक लाख से भी ज्यादा बाल विवाह रोके और रुकवाए गए जो यह दिखाता है कि जब समाज एकजुट होता है तो बदलाव अपरिहार्य है। हमने वादा किया है कि अगले एक साल में हम एक लाख गांवों को बाल विवाह मुक्त गांव बनाएंगे ताकि हर बच्चे को जीवन में आगे बढ़ने का अवसर व एक सुरक्षित भविष्य मिले। विकसित भारत के व्यापक लक्ष्य की प्राप्ति में इन प्रयासों की गति काफी अहमियत रखती है। हम अगले तीन वर्षों में देश से बाल विवाह के पूरी तरह खात्मे के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और हमें विश्वास है कि यह संभव है।”
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश भर के 250 से भी अधिक नागरिक समाज संगठनों का देश का सबसे बड़ा नेटवर्क है। अपने सहयोगी संगठनों के साथ करीबी तालमेल व समन्वय से काम करते हुए इस नेटवर्क ने पिछले एक साल में ही देश में एक लाख से ज्यादा बाल विवाह रुकवाए हैं।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के साल भर पूरे होने पर विज्ञान भवन में हुए कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने वहां उपस्थित लोगों व पूरे देश से ऑनलाइन माध्यमों से जुड़े लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई और 100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान की शुरुआत की।
केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर राज्य सरकारों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और उच्च शिक्षा विभाग को इस अभियान में सक्रिय भागीदारी करने के निर्देश दिए हैं ताकि लक्षित उद्देश्यों को हासिल किया जा सके।
इस 100 दिवसीय कार्य योजना का समापन 8 मार्च 2026 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर होगा। तीन चरणों में चलने वाले इस अभियान का लक्ष्य भारत से 2029 से पहले बाल विवाह का खात्मा करना है।
अभियान के पहले चरण में स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता के प्रसार पर जोर दिया जाएगा। दूसरे चरण में मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों जैसे धार्मिक स्थलों पर जहां विवाह संपन्न कराए जाते हैं व विवाह में सेवाएं देने वाले बैंक्वेट हाल, बैंड बाजा वाले, कैटरर, डेकोरेटर इत्यादि पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। तीसरे और आखिरी चरण में बाल विवाह की रोकथाम के लिए ग्राम पंचायतों, नगरपालिका के वार्डों व समुदाय स्तरीय भागीदारी और जिम्मेदारी को मजबूत किया जाएगा।







