Afghanistan News: वायु प्रदूषण अब गंभीर वैश्विक समस्या बन चुका है। खासकर भारत और पाकिस्तान के बड़े शहरों जैसे दिल्ली और लाहौर में सांस लेना मुश्किल हो गया है। लोग मास्क पहनते हैं, स्कूल बंद होते हैं और अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मरीज बढ़ जाते हैं। हवा की गुणवत्ता मापने वाला AQI (Air Quality Index) 0-50तक अच्छा, 51-100 तक मध्यम, 101-150 संवेदनशील लोगों के लिए खराब, 151-200अस्वास्थ्यकर, 201-300बहुत अस्वास्थ्यकर और 300से ऊपर खतरनाक माना जाता है। प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं: गाड़ियों का धुआं, फैक्ट्रियों का कचरा, फसल जलाना और मौसम की वजह से हवा का फंसना।
भारत-पाकिस्तान में प्रदूषण के कारण
भारत की आबादी करीब 140करोड़ और पाकिस्तान की 24करोड़ है, जबकि अफगानिस्तान में केवल 4करोड़ लोग रहते हैं। बड़े शहरों में गाड़ियों की भारी संख्या और निर्माण कार्य लगातार धूल और धुआं फैलाते हैं। दिल्ली में 3करोड़ से ज्यादा और लाहौर में 1.3करोड़ लोग रहते हैं। इसके अलावा, कपड़ा मिलें, ईंट भट्टे और रसायन कारखाने भी प्रदूषण बढ़ाते हैं। पंजाब क्षेत्र में अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की प्रथा और गंगा के मैदानी इलाके में हवा का फंसना (इनवर्शन) प्रदूषण बढ़ाते हैं।
अफगानिस्तान में कम प्रदूषण क्यों?
अफगानिस्तान में आबादी कम होने और ज्यादातर क्षेत्र ग्रामीण होने की वजह से प्रदूषण सीमित है। काबुल, सबसे बड़ा शहर, केवल 40लाख की आबादी वाला है और वहां ट्रैफिक कम है। उद्योग सीमित हैं, खेती और पशुपालन ज्यादा हैं, और खनन भी छोटे स्तर पर होता है। फसल जलाने की प्रथा कम है और पहाड़ी भूभाग हवा को आसानी से बहने देता है। औसत PM2.5स्तर अफगानिस्तान में 50-60माइक्रोग्राम/घन मीटर रहता है, जबकि दिल्ली में 100-300तक पहुंच जाता है।
नुकसान और समाधान
प्रदूषण से फेफड़ों को गंभीर नुकसान होता है, बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित होते हैं। भारत-पाकिस्तान में हर साल लाखों लोग इससे प्रभावित होते हैं। अफगानिस्तान में समस्या कम है, लेकिन सर्दियों में कोयला या गोबर जलाने से प्रदूषण बढ़ जाता है। समाधान के लिए तीनों देश मिलकर पराली जलाने से बचें, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दें और ज्यादा पेड़ लगाएं। अफगानिस्तान भारत के ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान से भी सीख सकता है।
 
			

 
							




