मंजरी कुमारी की विशेष रिपोर्ट
वाराणसी, 12 दिसंबर। अखंड भारत में सनातन दर्शन को बचाने में जहां महाराणा प्रताप, गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज और वीर शिवाजी का महान योगदान रहा है, वहीं भारत की आत्मा तथा उसके चैतन्य को बचाने में अलग-अलग कालखंड में नारी शक्ति का भी महत्वपूर्ण योगदान है और उनमें लोकमाता अहिल्याबाई का नाम प्रथम पंक्ति में शामिल है। उनसे पहले मीराबाई ने भारतीय संस्कृति और उनके बाद लक्ष्मीबाई ने भारतीय ” सुराज ” की पुनर्स्थापना में बहुमूल्य योगदान दिया। बहादुर शाह जफर के साथ बेगम जीनत महल ने भी भारत की अखंडता को अक्षुण्ण रखने में अविस्मरणीय योगदान दिया था।
महान लोगों की स्मृतियों को संजोने और महत्वपूर्ण अवसरों पर उनके योगदान का विशेष रूप से स्मरण करने से नई पीढ़ी को प्रेरणा प्राप्त करने के लिए नई रोशनी मिलती है जिससे अहिल्याबाई जैसी महान हस्तियों पर विशेष आयोजन करने की सार्थकता बढ़ जाती है।
ये विचार लगभग सभी प्रबुद्ध वक्ताओं ने आज महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अंतर्गत महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के सौजन्य से शिक्षा संकाय में अहिल्याबाई पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किये। कार्यक्रम का आधार विंधेश्वरी ग्रामोत्थान संस्थान, अमेठी और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया गया था जिसमें समापन समारोह में जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय, छपरा के पूर्व कुलपति डॉ. हरकेशर सिंह ने मुख्य अतिथि और भारत सरकार के एम एस एम ई मंत्रालय के पूर्व संयुक्त निदेशक तथा वरिष्ठ पत्रकार-लेखक हरेन्द्र प्रताप सिंह ने विशिष्ट अतिथि की भूमिका निभाई। मुख्य वक्ता के रूप में केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के प्रोफेसर डॉ. उमापति दीक्षित तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. अनुराधा सिंह ने अहिल्याबाई होलकर के जीवन और उनके चिरस्मरणीय योगदान पर प्रकाश डाला। दोनों ने मंदिरों, घाटों तथा धर्मशालाओं के निर्माण – पुनरोद्धार में उनके महत्वपूर्ण योगदान का स्मरण कराया। महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक डॉ. नागेन्द्र कुमार सिंह ने कार्यक्रम का सफल संयोजन किया जबकि मंच संचालन धैर्य जायसवाल ने किया।

इस अवसर पर विद्यार्थियों ने अहिल्याबाई के जीवन पर एक प्रभावी नाटक का मंचन किया जिसकी प्रशंसा सभी लोगों के साथ माननीय अतिथि हंसराज विश्वकर्मा, उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य और बनारस में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष ने भी की।
” हमारी अहिल्या काशी की अहिल्या ” नाटक का सफल मंचन करके महारानी अहिल्याबाई को निदेशक एवं लेखिका शुभ्रा वर्मा तथा कलाकार अनुराधा ( बड़ी अहिल्याबाई होलकर ), नंदिनी ( छोटी अहिल्याबाई ), मोहम्मद असलम शेख ( मल्हार राव होलकर ), भानु प्रताप ( तुकोजीराव होलकर ), राहुल कुमार ( मनकोजी शिंदे ), अर्पिता पासवान ( सुशीला देवी शिंदे ), प्रदीप यादव ( खंडेराव होलकर ) तथा लियाकत अली ( काशी पुरोहित ) ने अपने – अपने सशक्त अभिनय से थोड़ी देर के लिए सावित्रीबाई फुले सभागार में जीवंत बना दिया। अन्य कलाकारों में आनंद कुमार, रंजना सोनकर, आकांक्षा विक्ट्री, संस्कृति दुबे, जय कृष्णादास, अभय राज, राजशेखर, शालिनी, वर्षा चौबे और विमलेंदु उपाध्याय ने सराहनीय योगदान किया। प्रोफेसर अरुण कुमार जैन की मंच परिकल्पना तथा कान्हा मिश्रा का साउंड एवं बैकग्राउंड बेहद प्रभावकारी रहा। मेक अप एवं कॉस्ट्यूम में आकांक्षा विक्ट्री और रितिका सिंह तथा लाइट में डॉ. विजय यादव की पकड़ मजबूत रही। प्रॉपर्टीज़ में रंजना सोनकर तथा शुभ्रा वर्मा ने बाजी मारी।
काशी के दर्शकों ने इस प्रस्तुति को देख कर आशा प्रकट की कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जन्म त्रिशताब्दी वर्ष में इस नाटक का मंचन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के साथ – साथ दिल्ली के कला प्रेमियों को भी प्रभावित करेगा। महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही अहिल्याबाई पर एक कॉमर्शियल फिल्म बनाने की घोषणा कर रखी है। सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर अगले वर्ष भी अहिल्याबाई की स्मृति में देश भर में अनेक आयोजन किये जाने की संभावना है।






