• Newsletter
  • About us
  • Contact us
Thursday, August 14, 2025
26 °c
New Delhi
31 ° Fri
32 ° Sat
Kadwa Satya
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
Kadwa Satya
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
  • जीवन मंत्र
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • स्पेशल स्टोरी
Home संपादकीय

भारत की अधूरी जंग: आर्थिक अपराधियों के खिलाफ संघर्ष

भारत की आर्थिक प्रगति की सराहना वैश्विक मंच पर खूब होती है, लेकिन इस चमक के पीछे एक कड़वी सच्चाई छिपी है—बड़े आर्थिक अपराधियों का देश से पलायन और भारतीय कानून की पकड़ से उनका बच निकलना।

News Desk by News Desk
June 27, 2025
in संपादकीय
भारत की अधूरी जंग: आर्थिक अपराधियों के खिलाफ संघर्ष
Share on FacebookShare on Twitter

लेखक: अमित पांडे — संपादक कड़वा सत्य

भारत की आर्थिक प्रगति की सराहना वैश्विक मंच पर खूब होती है, लेकिन इस चमक के पीछे एक कड़वी सच्चाई छिपी है—बड़े आर्थिक अपराधियों का देश से पलायन और भारतीय कानून की पकड़ से उनका बच निकलना। साल 2015 से 2019 के बीच ही कम से कम 38 बड़े आर्थिक अपराधी देश छोड़कर भाग गए। इनमें विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे नाम शामिल हैं, जिन्होंने हजारों करोड़ का बैंक कर्ज धोखाधड़ी से लिया और फिर विदेशों में शरण ली। आज तक ये आरोपी न तो भारत वापस लाए जा सके हैं और न ही न्याय के कटघरे में खड़े हो सके हैं। यह केवल वित्तीय क्षति नहीं है, बल्कि देश की न्यायिक व्यवस्था और शासन की विश्वसनीयता पर भी गहरा आघात है।
सरकार ने फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स एक्ट (2018), मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) में संशोधन, और हाल ही में भारतीय दंड संहिता की जगह नया ‘भारतीय न्याय संहिता (BNS)’ लागू कर जैसे कई बड़े कदम उठाए हैं। लेकिन इन कानूनों के बावजूद नतीजे बहुत सीमित रहे हैं। एजेंसियां छापे डालती हैं, संपत्तियां जब्त की जाती हैं, लेकिन सजा या दोष सिद्धि के मामले बहुत कम हैं। सवाल उठता है—क्या भारत की कानून व्यवस्था सिर्फ गरीबों और कमजोरों के लिए है? क्या रसूखदार और अमीर अपराधियों के लिए कानून की धार भोथरी हो जाती है?
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि जनता से वसूले गए टैक्स के पैसे से बैंकों को दोबारा खड़ा किया गया, लेकिन जिन लोगों ने इन बैंकों को चूना लगाया, उनके खिलाफ अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सरकार एक तरफ पुरानी पेंशन योजना को आर्थिक बोझ बताकर खारिज करती है, वहीं दूसरी ओर हजारों करोड़ के बैंक घोटालों में सार्वजनिक पैसे की बर्बादी को नजरअंदाज कर देती है। ऐसे में आम नागरिक के मन में स्वाभाविक रूप से सवाल उठता है—क्या यह दोहरे मापदंड नहीं हैं?
इन घोटालों की राशि 50,000 करोड़ से भी ज्यादा आंकी गई है। यह वही पैसा है जिससे देश के स्कूल, अस्पताल, सड़कें और कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा सकती थीं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दावा किया है कि उसने 22,000 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की है, लेकिन यह सिर्फ कागजी आंकड़े हैं। असली वसूली न के बराबर है। जब्त की गई संपत्तियों की कानूनी लड़ाई, मूल्यह्रास और स्वामित्व विवाद इनकी वसूली को और जटिल बना देते हैं।
इससे भी अधिक नुकसानदेह है वह संदेश जो इन घटनाओं से समाज में जाता है—अगर आप अमीर हैं, राजनीतिक रूप से जुड़ाव रखते हैं और चालाकी से चलते हैं, तो आप सिस्टम को धोखा देकर भी आराम से विदेश में रह सकते हैं, और भारतीय एजेंसियां सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रह जाएंगी।
RBI की पूर्व अधिकारी और अर्थशास्त्री डॉ. रेनू कोहली के अनुसार, “इन अपराधियों की आज़ादी सिर्फ धन की हानि नहीं है, बल्कि इससे संस्थागत विश्वसनीयता को ठेस पहुंचती है और भविष्य के अपराधियों को प्रेरणा मिलती है।” इस तरह की घटनाएं निवेशकों के आत्मविश्वास को भी चोट पहुंचाती हैं और बैंक लोन देने में ज्यादा सतर्क हो जाते हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ता है।
बैंकों का NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) 2018 में 10 लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया था। इसकी भरपाई टैक्सपेयर्स के पैसे से की गई—यानी आम जनता ने अमीर अपराधियों की गलती की सजा भुगती।
कानून बनाने के मोर्चे पर भले सरकार ने सक्रियता दिखाई हो, लेकिन कार्रवाई के स्तर पर तस्वीर बेहद निराशाजनक है। विजय माल्या को ब्रिटेन में कानूनी चुनौती दी गई लेकिन वह अब तक भारत नहीं लाए जा सके। नीरव मोदी ने मानसिक स्वास्थ्य और भारतीय जेलों की स्थिति का हवाला देकर अपने प्रत्यर्पण को रोके रखा। मेहुल चोकसी एंटीगुआ की नागरिकता लेकर वहां की कानूनी सुरक्षा का लाभ उठा रहा है। इन मामलों में कानूनी प्रक्रिया इतनी लंबी, खर्चीली और जटिल होती है कि जनता को लगता है जैसे कानून सिर्फ कमजोरों के लिए है।
2019 से 2023 तक प्रवर्तन निदेशालय ने PMLA के तहत 900 से ज्यादा केस दर्ज किए, लेकिन इनमें सजा सिर्फ 4.6% मामलों में ही हो सकी। यानी हर 100 मामलों में से 95 अपराधी बच निकलते हैं। इससे यह सवाल उठता है—क्या ये कानून केवल राजनीतिक प्रतिशोध के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं?
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है, “कानून को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि इसकी जरूरत एक स्केलपल की तरह थी।” विपक्षी नेताओं के खिलाफ त्वरित कार्रवाई होती है, लेकिन सत्ता से जुड़े लोगों पर जांच की रफ्तार धीमी पड़ जाती है। यह धारणा, चाहे पूरी तरह सच न भी हो, फिर भी संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंचाती है।
इस पूरे परिदृश्य में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव स्पष्ट दिखता है। भारत की न्याय प्रणाली पहले से ही बोझिल है—5 करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं। जांच एजेंसियों में समन्वय की कमी, आपसी प्रतिस्पर्धा और राजनीतिक दबाव जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हैं।
बीजेपी ने 2014 में “ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा” का नारा दिया था। एक दशक बाद, जब आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप सामने आते हैं और OPS को ‘घाटा’ बताकर टाल दिया जाता है, तब जनता सवाल पूछती है—अगर पेंशन भारी है तो घोटाले क्यों हल्के हैं?
इससे सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि पूरे लोकतांत्रिक तंत्र की साख पर असर पड़ता है। जब जनता को लगता है कि उसके टैक्स का पैसा लुट रहा है और अपराधियों को सजा नहीं मिल रही, तो लोकतंत्र पर से विश्वास उठने लगता है।
वैश्विक स्तर पर भी इसका असर होता है। निवेशक ऐसे बाजारों से दूरी बनाते हैं जहां कानून का शासन कमजोर हो और धोखाधड़ी पर सख्त कार्रवाई नहीं होती।
यह सिर्फ कानूनी या आर्थिक संकट नहीं है—यह नैतिक और राजनीतिक संकट भी है। जब तक सरकार निष्पक्ष, पारदर्शी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित नहीं करती, तब तक ये कानून सिर्फ कागजों तक सीमित रहेंगे।
सवाल अब सीधा है—कौन इन देरी से लाभ उठा रहा है? और सबसे अहम, जनता को न्याय कब मिलेगा?
जब तक इन अपराधियों को कानूनी सजा नहीं दी जाती और लूटी गई संपत्ति की भरपाई नहीं होती, तब तक भारत की लड़ाई अधूरी रहेगी—एक ऐसी जंग जो देश की अर्थव्यवस्था, संस्थानों और न्याय की समानता की बुनियाद को कमजोर करती रहेगी।

Tags: EDPMLAआर्थिक अपराधकानून और भ्रष्टाचारटैक्सपेयर का पैसानीरव मोदीफरार अपराधीफर्जीवाड़ाफ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्सबैंक NPAबैंक घोटालेभारत की न्याय व्यवस्थामेहुल चोकसीराजनीतिक दबावविजय माल्या
Previous Post

देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान 2025: 12 पत्रकारों को मिला सम्मान, संघ प्रमुख बोले – पत्रकार ही हैं भारत 2047 के सारथी!

Next Post

बिहार में आर्केस्ट्रा के नाम पर बच्चियों की तस्करी! हाई कोर्ट ने सरकार से 2 हफ्ते में मांगा जवाब

Related Posts

ईडी की कार्रवाई देश के लिए चिंतानजक: सौरभ भारद्वाज
देश

ईडी की कार्रवाई देश के लिए चिंतानजक: सौरभ भारद्वाज

September 2, 2024
लोक सेवक भर्ती में फर्जीवाड़ा संविधान पर हमला: राहुल
देश

लोक सेवक भर्ती में फर्जीवाड़ा संविधान पर हमला: राहुल

August 18, 2024
झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन की जमानत के खिलाफ ईडी की याचिका खारिज
देश

झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन की जमानत के खिलाफ ईडी की याचिका खारिज

July 29, 2024
आबकारी नीति:सिसोदिया की याचिका पर सीबीआई, ईडी को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
देश

आबकारी नीति:सिसोदिया की याचिका पर सीबीआई, ईडी को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

July 16, 2024
आबकारी नीति कथित घोटाला: ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत
देश

आबकारी नीति कथित घोटाला: ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत

July 12, 2024
ईडी ने  दिल्ली जल बोर्ड के कथित भ्रष्टाचार मामले में  चार राज्यों में मारे छापे
देश

ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड के कथित भ्रष्टाचार मामले में चार राज्यों में मारे छापे

July 5, 2024
Next Post
बिहार में आर्केस्ट्रा के नाम पर बच्चियों की तस्करी! हाई कोर्ट ने सरकार से 2 हफ्ते में मांगा जवाब

बिहार में आर्केस्ट्रा के नाम पर बच्चियों की तस्करी! हाई कोर्ट ने सरकार से 2 हफ्ते में मांगा जवाब

New Delhi, India
Thursday, August 14, 2025
Light rain
26 ° c
94%
9.4mh
34 c 27 c
Fri
36 c 28 c
Sat

ताजा खबर

DRDO गेस्ट हाउस का मैनेजर ISI के लिए जासूसी करते रंगे हाथों गिरफ्तार, राजस्थान CID की बड़ी कार्रवाई

DRDO गेस्ट हाउस का मैनेजर ISI के लिए जासूसी करते रंगे हाथों गिरफ्तार, राजस्थान CID की बड़ी कार्रवाई

August 14, 2025
Voter ID में नाम बदलने की प्रक्रिया, जानें ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीके

Voter ID में नाम बदलने की प्रक्रिया, जानें ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीके

August 14, 2025
Arjun Tendulkar: कौन हैं सचिन तेंदुलकर के बेटे की होने वाली दुल्हन, सानिया चंडोक से हुई सगाई

Arjun Tendulkar: कौन हैं सचिन तेंदुलकर के बेटे की होने वाली दुल्हन, सानिया चंडोक से हुई सगाई

August 14, 2025
विजय सिन्हा के बाद बिहार में अब इस NDA सांसद के पास 2 वोटर कार्ड, तेजस्वी यादव ने लगाए गंभीर आरोप

विजय सिन्हा के बाद बिहार में अब इस NDA सांसद के पास 2 वोटर कार्ड, तेजस्वी यादव ने लगाए गंभीर आरोप

August 14, 2025
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का बड़ा आरोप, ‘अगर न्याय नहीं मिला तो मर जाएगा लोकतंत्र’, सुप्रीम कोर्ट से की यह अपील

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का बड़ा आरोप, ‘अगर न्याय नहीं मिला तो मर जाएगा लोकतंत्र’, सुप्रीम कोर्ट से की यह अपील

August 14, 2025

Categories

  • अपराध
  • अभी-अभी
  • करियर – शिक्षा
  • खेल
  • गीत संगीत
  • जीवन मंत्र
  • टेक्नोलॉजी
  • देश
  • बॉलीवुड
  • भोजपुरी
  • मनोरंजन
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • व्रत त्योहार
  • शिक्षा
  • संपादकीय
  • स्वास्थ्य
  • Newsletter
  • About us
  • Contact us

@ 2025 All Rights Reserved

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी

@ 2025 All Rights Reserved