• About us
  • Contact us
Thursday, September 18, 2025
29 °c
New Delhi
32 ° Fri
33 ° Sat
Kadwa Satya
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
Kadwa Satya
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
  • जीवन मंत्र
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • स्पेशल स्टोरी
Home संपादकीय

रिश्तों के जाल में स्वार्थ की डोर: भारत-अमेरिका संबंधों का नई दृष्टि से पुनर्पाठ”

News Desk by News Desk
August 1, 2025
in संपादकीय
रिश्तों के जाल में स्वार्थ की डोर: भारत-अमेरिका संबंधों का नई दृष्टि से पुनर्पाठ”
Share on FacebookShare on Twitter

लेखक: अमित पांडे

भारतीय कूटनीति के ताजा घटनाक्रमों को समझने के लिए हमें यह देखना होगा कि भारत और अमेरिका के संबंध किस तरह से बदलते रहे हैं। हाल के वर्षों में यह धारणा बनी कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ व्यक्तिगत संबंधों की बदौलत भारत को बड़ी आर्थिक और रणनीतिक रियायतें मिल सकती हैं। परंतु वास्तविकता यह रही कि अमेरिकी नीति हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों और घरेलू मजबूरियों के इर्द-गिर्द घूमती है, ना कि व्यक्तिगत दोस्ती या कूटनीतिक शिष्टाचार के भरोसे।


2025 की शुरुआत में जब प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प की भेंट में व्यापार को दोगुना करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया, तो उम्मीदें ऊंची थीं। लेकिन इसी के कुछ ही महीनों में अमेरिका ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ घोषित करते हुए 25% का भारी शुल्क लागू कर दिया। इसका कारण भारत की ऊँची औसत टैरिफ दर (12%) और अमेरिका-भारत व्यापार घाटा बताया गया। यह कदम कई भारतीय उद्योगों—जैसे वस्त्र, रत्न-आभूषण, ऑटो पार्ट्स और फार्मा—पर तत्काल असर डालने वाला था। खुद पंजाब के निर्यातकों ने चेताया कि अकेले राज्य को 1 लाख करोड़ रुपये तक की मांग में गिरावट देखने को मिल सकती है, जबकि देशभर के MSME क्षेत्र को स्थाई झटका लग सकता है।


यह कोई पहली बार नहीं हुआ। 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद भी क्लिंटन प्रशासन ने भारत पर कठोर आर्थिक व रक्षा प्रतिबंध लगाए थे—भले ही उस समय कोई कूटनीतिक टकराव नहीं था। लेकिन भारत ने उस समय भी संप्रभुता की रक्षा की। मनमोहन सिंह सरकार ने 2005 के इंडो-यूएस न्यूक्लियर डील के बाद भी सीटीबीटी (परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि) पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया, भले ही अमेरिका कितना भी दबाव डाले। भारत ने यह दर्शाया कि रणनीतिक स्वायत्तता या सुरक्षा हितों के मामले में वह भी अडिग रह सकता है, चाहे कितनी ही वैश्विक शक्ति सामने हो।


इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि भारत की विदेश नीति किसी मित्रता या व्यक्तिगत समीकरण की बजाय दीर्घकालिक राष्ट्रीय स्वार्थ व सिद्धांतों पर टिकती है। हालिया आर्थिक संकटों के बाद विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत के निर्यात में 14 अरब डॉलर या 0.38% जीडीपी तक की गिरावट आ सकती है, जिसमें श्रमिकों और MSME वर्ग पर सबसे गहरा असर पड़ने वाला है। मुद्रा की गिरावट, व्यापार घाटा, एफपीआई का बाहर जाना और शेयर बाजार की अस्थिरता जैसी समस्याएं अर्थव्यवस्था की कमजोरी को उजागर करती हैं।


इसी के मद्देनजर, भारत के लिए तीन प्रमुख पाठ निकलते हैं। सबसे पहले, केवल अमेरिका पर निर्भरता घातक हो सकती है; व्यापार का विविधीकरण ही समाधान है। भारत को यूरोप, यूके, आसियान, अफ्रीका आदि महाद्वीपों के साथ रणनीतिक साझेदारी गहरी करनी चाहिए, जबकि घरेलू कुटीर व लघु उद्योगों को ‘मेक इन इंडिया’, PLI आदि से प्रतिस्पर्धी बनाना होगा। दूसरा, दोस्ती या व्यक्तिगत समीकरणों की बजाय संस्थागत (institution-driven) रणनीति की जरूरत है, जो कि नीति में स्थायित्व व दीर्घकालिकता लाए। तीसरा, आर्थिक झटकों से बचाव के लिए कमजोर क्षेत्रों, खासकर MSME, ग्रामीण कृषि और छोटे निवेशकों के लिए मजबूत सुरक्षात्मक तंत्र (policy safety nets) बनाना आवश्यक है।


एक विशेष चुनौती डिजिटल निर्भरता की भी है। भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज गूगल, फेसबुक, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट जैसे अमेरिकी डिजिटल प्लेटफॉर्म और टेक्नोलॉजी पर अत्यधिक निर्भर हैं। भारत ने अभी तक यूरोपीय संघ की तरह कड़े डेटा संरक्षण और प्लेटफॉर्म विनियमन लागू नहीं किए हैं। इसकी वजह यह है कि देश की स्टार्टअप व तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र इन अमेरिकी कंपनियों के नवाचार और पूंजी के सहारे खड़ा है। हालांकि, इस निर्भरता के चलते भारत की डेटा संप्रभुता और डिजिटल स्वायत्तता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो जाता है।


अंत में, भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण सबक यही है कि कूटनीति में व्यक्तित्व नहीं, संस्थान, विविधीकरण और आंतरिक मजबूती महत्त्वपूर्ण है। दोस्ती एक स्तर तक मदद करती है, लेकिन स्थायी सम्मान केवल तभी मिलता है, जब देश व्यवहारिक संसाधन, तैयारी और रणनीतिक इच्छाशक्ति के साथ अपनी विदेश नीति चलाए। जरूरत इस बात की है कि भारत इमोशन नहीं, दूरदर्शिता, विविधता और आर्थिंक समावेशन के साथ अपनी रणनीति गढ़े। तभी भारत संकट के पलों में अपने कदम मजबूत रख सकेगा और वैश्विक शक्ति-संतुलन में अपनी जगह न्यायोचित रूप से सुरक्षित कर पाएगा।

Tags: Digital Dependency IndiaIndia America Trade WarIndia Export Crisis 2025India Foreign Policy AnalysisIndia US Relations 2025Modi Trump Trade RelationsMSME Impact US TariffsStrategic Autonomy IndiaUS India Data SovereigntyUS Tariff on India
Previous Post

उत्तर प्रदेश की असुरक्षित स्कूल इमारतें और छिपा हुआ शिक्षा संकट

Next Post

EU Digital Markets Act: EU ने ठुकराया अमेरिका का दबाव! गूगल-फेसबुक को लेकर यूरोप की सख्ती से बढ़ा डिजिटल टकराव

Related Posts

अमेरिका के 50% टैरिफ का तोड़ा जवाब! अब इन 40 देशों में भारत बेचेगा कपड़े, 48 अरब डॉलर के नुकसान से निकलेगा रास्ता
देश

अमेरिका के 50% टैरिफ का तोड़ा जवाब! अब इन 40 देशों में भारत बेचेगा कपड़े, 48 अरब डॉलर के नुकसान से निकलेगा रास्ता

August 27, 2025
Next Post
EU Digital Markets Act: EU ने ठुकराया अमेरिका का दबाव! गूगल-फेसबुक को लेकर यूरोप की सख्ती से बढ़ा डिजिटल टकराव

EU Digital Markets Act: EU ने ठुकराया अमेरिका का दबाव! गूगल-फेसबुक को लेकर यूरोप की सख्ती से बढ़ा डिजिटल टकराव

New Delhi, India
Thursday, September 18, 2025
Moderate or heavy rain with thunder
29 ° c
75%
10.1mh
37 c 28 c
Fri
38 c 29 c
Sat

ताजा खबर

Punjab Flood Relief: मान सरकार ने शुरू किया तेज़ और पारदर्शी गिरदावरी अभियान, 2167 पटवारी गांव-गांव करेंगे सर्वे

पंजाब बाढ़ त्रासदी: CM भगवंत मान ने शुरू किया ‘मिशन चढ़दी कला’, दुनियाभर के पंजाबियों से की मदद की अपील

September 18, 2025
हिंदी के दो रूप! देवनागरी बनाम रोमन लिपि पर मचा बवाल, साहित्यवाले की संगोष्ठी में उठे बड़े सवाल

हिंदी के दो रूप! देवनागरी बनाम रोमन लिपि पर मचा बवाल, साहित्यवाले की संगोष्ठी में उठे बड़े सवाल

September 17, 2025
2000 युवाओं को रोजगार का तोहफ़ा! पंजाब में ₹1000 करोड़ का निवेश करेगी Happy Forgings, जानिए पूरी योजना

2000 युवाओं को रोजगार का तोहफ़ा! पंजाब में ₹1000 करोड़ का निवेश करेगी Happy Forgings, जानिए पूरी योजना

September 17, 2025
देवभूमि का मौन विलाप

देवभूमि का मौन विलाप

September 17, 2025
Punjab Floods 2025: 2000 गांव डूबे, 4 लाख लोग प्रभावित – हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र से मांगी 60,000 करोड़ की मदद

गली-गली तक पहुँचा सैनिटाइजेशन: शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस खुद मैदान में, पंजाब सरकार ने दिखाई असली सेवा

September 17, 2025

Categories

  • अपराध
  • अभी-अभी
  • करियर – शिक्षा
  • खेल
  • गीत संगीत
  • जीवन मंत्र
  • टेक्नोलॉजी
  • देश
  • बॉलीवुड
  • भोजपुरी
  • मनोरंजन
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • व्रत त्योहार
  • शिक्षा
  • संपादकीय
  • स्वास्थ्य
  • About us
  • Contact us

@ 2025 All Rights Reserved

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी

@ 2025 All Rights Reserved