बिहार विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। राजधानी पटना से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक हलचल तेज़ है और माना जा रहा है कि चुनाव आयोग अक्टूबर के पहले हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, 6 अक्टूबर के बाद राज्य में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की पूरी संभावना है।
बिहार में इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प माना जा रहा है क्योंकि विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ गठबंधन दोनों के लिए यह चुनाव राजनीतिक भविष्य तय करने वाला होगा। राजनीतिक गलियारों में टिकट बंटवारे से लेकर नए समीकरणों की चर्चाएँ तेज़ हो गई हैं।
CEC का दौरा और प्रशासनिक फेरबदल
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार जल्द ही बिहार दौरे पर आने वाले हैं। उनके दौरे से पहले ही चुनाव आयोग ने राज्य सरकार और प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ट्रांसफर और पोस्टिंग की प्रक्रिया जल्द पूरी कर ली जाए।
यह कदम इसलिए अहम माना जा रहा है ताकि चुनाव के दौरान प्रशासनिक निष्पक्षता बनी रहे और किसी भी तरह का पक्षपात न हो। आमतौर पर चुनाव से पहले अधिकारियों का तबादला और नई पोस्टिंग इसीलिए की जाती है कि चुनाव आयोग की गाइडलाइन के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
चुनावी तैयारियों का माहौल
बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल गर्माने लगा है। गांव-गांव और कस्बों में चुनावी चर्चा शुरू हो चुकी है। राजनीतिक पार्टियों ने भी अपनी कमर कस ली है। सत्तारूढ़ दल जनता को अपने काम गिनाने में जुटा है, वहीं विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रहा है।
चुनाव आयोग के ऐलान के बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी और इसके साथ ही सभी पार्टियों को अपने प्रचार अभियान को तेज़ करना होगा। नवरात्रि और दशहरा जैसे बड़े त्योहारों के बीच चुनावी हलचल लोगों की दिलचस्पी और बढ़ा रही है।
बिहार चुनाव क्यों है अहम?
बिहार विधानसभा चुनाव हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति पर असर डालते रहे हैं। यह सिर्फ राज्य की सत्ता की लड़ाई नहीं बल्कि केंद्र की राजनीति के लिए भी एक संकेत माना जाता है। इस बार का चुनाव खास इसलिए भी है क्योंकि पिछले कुछ महीनों में गठबंधन राजनीति और दल-बदल ने बिहार का राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल दिया है।
बिहार चुनाव का बिगुल बजने ही वाला है। 6 अक्टूबर के बाद कभी भी चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान कर सकता है। CEC ज्ञानेश कुमार के दौरे से पहले प्रशासनिक तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अब देखना होगा कि इस बार बिहार की जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और किसके सिर सत्ता का ताज सजता है।