Nitish Health Model: साल 2005 से पहले बिहार के सरकारी अस्पतालों की हालत बहुत खराब थी। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं मिलते थे, दवाएं नहीं होती थीं और लोग इलाज के लिए बाहर जाने को मजबूर थे। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आने के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सुधार होने लगा।
स्वास्थ्य बजट में जबरदस्त बढ़ोतरी
वर्ष 2004-05 में बिहार का स्वास्थ्य बजट केवल ₹705 करोड़ था, जो अब बढ़कर ₹20,035 करोड़ हो गया है। पहले केवल 6 मेडिकल कॉलेज थे, जो भी जर्जर हालत में थे। अब यह संख्या बढ़कर 15 हो चुकी है और 20 नए मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं।
पीएमसीएच बनेगा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) को 5,462 बेड्स के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनाया जा रहा है। मार्च 2027 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा राज्य के 5 पुराने मेडिकल कॉलेजों को 2,500 बेड्स और IGIMS को 3,000 बेड्स में बदला जा रहा है।
सरकारी अस्पतालों में बढ़ा भरोसा
सरकारी अस्पतालों में अब 500 से ज्यादा दवाएं मुफ्त दी जाती हैं। पहले जहां एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में महीने में केवल 39 मरीज आते थे, वहीं अब 11,000 से ज्यादा मरीज आते हैं। यह लोगों के बढ़ते भरोसे का सबूत है।
शिशु और मातृ मृत्यु दर में गिरावट
साल 2005 में शिशु मृत्यु दर 60 थी, जो अब घटकर 27 रह गई है। मातृ मृत्यु दर 312 से घटकर 118 पर आ गई है। टीकाकरण दर भी 18% से बढ़कर 90% हो गई है। 2030 तक इसे देश के टॉप 5 राज्यों में लाने का लक्ष्य रखा गया है।
गरीब मरीजों के लिए राहत: मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष
2006-07 में शुरू हुई इस योजना से अब तक लगभग 2 लाख गरीब मरीजों को ₹1,545 करोड़ की मदद मिली है। गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 5 लाख तक की सहायता दी जाती है, चाहे इलाज बिहार में हो या बाहर।
बच्चों की मुफ्त सर्जरी और जन्मजात बीमारियों का इलाज
‘सात निश्चय-2’ योजना के तहत जन्मजात बीमार बच्चों को मुफ्त इलाज मिल रहा है। अब तक सैकड़ों बच्चों का ऑपरेशन हो चुका है – अहमदाबाद और IGIMS जैसे संस्थानों में।
आयुष्मान भारत और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से लाभ
इन दोनों योजनाओं के तहत हर साल ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है। लाखों लोग इन योजनाओं से फायदा उठा चुके हैं।