Bihar News Hindi: भवन निर्माण विभाग, बिहार के सचिव कुमार रवि द्वारा आज गुरुवार को वैशाली में निर्माणाधीन बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप के कार्य स्थल का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान सचिव ने संग्रहालय परिसर का भ्रमण कर हर एक चीज की जानकारी ली और अंतिम चरण में चल रहे कार्यों को लेकर आवश्यक निदेश दिया। इस अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव श्री प्रणव कुमार, संग्रहालय निदेशालय की निदेशक श्रीमती रचना पाटिल, वैशाली के जिलाधिकारी श्री यशपाल मीणा, बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति की सचिव डॉ. महाश्वेता महारथी तथा भवन निर्माण विभाग के वरीय पदाधिकारी समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
निरीक्षण के दौरान सचिव ने स्तूप में चल रहे फिनिशिंग का कार्य का जायजा लिया और कार्यरत एजेंसी को कार्य को तेजी से पूरा करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि फिनिशिंग कार्य पूरा होने के उपरांत स्तूप भव्य और आकर्षक दिखेगा। संग्रहालय-1 एवं 2 में प्रदर्श अधिष्ठापन के कार्य को भी तेजी से करने का निदेश दिया गया। उन्होंने परिसर भ्रमण के क्रम में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप परिसर में कई स्थलों पर छोटे-छोटे कार्य कराने का निर्देश दिया, जिससे परिसर और सुंदर एवं मनमोहक लग सके।
इस दरम्यान संग्रहालय परिसर को मड स्तूप से जोड़ने को लेकर चर्चा की गई। इसके लिए सचिव ने वैशाली के जिलाधिकारी को पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम से आवश्यक विचार-विमर्श करने का भी निदेश दिया। उन्होंने बताया कि बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप के पूर्ण होने के बाद वैशाली में पर्यटन का नया केन्द्र विकसित होगा।
इसके उपरांत सचिव के द्वारा परिसर में ड्रेनेज सिस्टम, साइनेज बोर्ड लगाने, लाइब्रेरी, मेडिटेशन हॉल, गेस्ट हाउस, ओपन एयर थिएटर, कैंटीन, परिसर में आगंतुकों के घूमने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल, स्मृति स्तूप उद्घाटन एवं उससे जुड़ी जरूरी तैयारियों को लेकर भी चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का शीघ्र ही उद्घाटन किया जाएगा। इसके अलावा स्तूप परिसर के मेनटेनेंस आदि को लेकर भी पदाधिकारियों को निदेश किया गया।
वैशाली में ₹550.48 करोड़ की लागत से 72.94 एकड़ के भूखण्ड पर बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। वर्तमान में फिनिशिंग तथा साफ-सफाई का कार्य तेजी से चल रहा है। मूर्ति का काम उड़ीसा के कलाकारों द्वारा किया जा रहा है। स्तूप को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए राजस्थान से गुलाबी पत्थर मंगवाए गए। इसमें 38500 पत्थर लगाए गए हैं। यह संरचना पूरी तरह पत्थरों से निर्मित है और पत्थरों को लगाने के लिए सीमेंट या किसी प्रकार चिपकाने वाला पदार्थ या अन्य चीजों का प्रयोग नहीं किया गया है। आने वाले समय में स्तूप का भव्य अर्किटेक्चर विश्व पटल पर अपनी अनोखी पहचान बनाएगा। यहां आने वाले पर्यटक भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन का अद्वितीय चित्रण एवं स्मृति चिन्हों का अवलोकन कर सकेंगे।
परिसर के लगभग 4300 वर्गमीटर के भूखण्ड पर स्तूप का निर्माण किया गया। स्तूप की कुल ऊँचाई 33 मीटर, आंतरिक व्यास 38 मीटर तथा बाहरी व्यास 50 मीटर है। स्तूप के भूतल पर 2000 श्रद्धालुओं के बैठकर ध्यान करने हेतु एक विशाल हॉल का निर्माण किया गया है। भगवान बुद्ध से जुड़ी हुई स्मृतियों को रखने हेतु संग्रहालय में भगवान बुद्ध से संबंधित प्रदर्श एवं कलाकृतियों का अधिष्ठापन किया गया।
स्तूप परिसर में पर्यावरण के दृष्टि से भी काफी काम किया गया है। परिसर को सुंदर दिखाने के लिए वृहद पैमाने पर पौधारोपण कर हरियाली विकसित की गई है। कुल हरियाली क्षेत्र लगभग 271689 वर्गमीटर है। सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युत आपूर्ति हेतु सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं। इसके साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए गए हैं। परिसर की सुंदरता बढ़ाने के लिए तालाब के किनारे अन्य जल संरचना में कुछ आवश्यक निर्माण किया जा रहा है। बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय सह स्मृति स्तूप परिसर में कई स्थलों पर छोटे-छोटे कार्य किए जा रहे हैं, जिससे परिसर और सुंदर एवं मनमोहक लग सके।
वैशाली में भगवान बुद्ध का अस्थि कलश मिला है, जिसे बुद्ध स्मृति स्तूप में स्थापित किया जाएगा। महात्मा बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं और बौद्ध धर्म से जुड़े प्रसंगों को संग्रहालय में दर्शाया गया है। आने वाले समय में यह संग्रहालय बिहार की सांस्कृतिक विरासत एवं भव्यता का दर्शन कराएगा। इस निर्माण कार्य के पूर्ण होने के पश्चात यहां बौद्ध धर्मावलंबियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक भी आएंगे। बौद्ध धर्मालंबियों के लिये यह एक प्रमुख आस्था तथा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
वैशाली में बुद्ध सम्यक् दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप के बनने के उपरांत यहां देश-विदेश से पर्यटक पहुंचेगे और यह स्थल बौद्ध धर्मावलंबियों, इतिहास प्रेमियों एवं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। यह स्थल न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा बल्कि बिहार में पर्यटन विकास के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित होगा।