Pakistan Returns BSF Jawan: पाकिस्तान रेंजर्स की हिरासत में 21 दिन बिताने के बाद बीएसएफ जवान पूर्ण कुमार शॉ 14 मई 2025 को भारत लौट आए। 23 अप्रैल को गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के बाद उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स ने गिरफ्तार कर लिया था। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान जवान को शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। अटारी-वाघा बॉर्डर पर उनकी रिहाई ने परिवार और देशवासियों में राहत और खुशी की लहर दौड़ा दी है।
पूर्ण कुमार शॉ, जो फिरोजपुर सेक्टर में ड्यूटी पर तैनात थे, 23 अप्रैल 2025 को अनजाने में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान की सीमा में चले गए। स्थानीय लोगों के एक समूह को एस्कॉर्ट करने के दौरान यह घटना हुई। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें तुरंत हिरासत में ले लिया। इस घटना ने उनके परिवार को चिंता में डाल दिया, खासकर उनकी गर्भवती पत्नी रजनी शॉ को, जिन्होंने सरकार से अपने पति की सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई।
सूत्रों के अनुसार, पूर्ण कुमार शॉ को शारीरिक यातना तो नहीं दी गई, लेकिन मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उनकी आंखों पर पट्टी बांधी जाती थी, उन्हें नींद नहीं लेने दी जाती थी, और बाथरूम जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा गया। एक साक्षात्कार में जवान ने बताया कि उन्हें घंटों तेज आवाज में पाकिस्तानी संगीत सुनने के लिए मजबूर किया गया, जिससे मानसिक तनाव बढ़ा।
पाकिस्तानी रेंजर्स ने उनसे बीएसएफ की तैनाती और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील सवाल पूछे, जिससे अनिश्चितता और डर का माहौल बनाए रखा। “उन्हें ऐसा महसूस कराया गया जैसे वे जासूस हों,” एक सूत्र ने बताया। इस अमानवीय व्यवहार ने जवान को मानसिक रूप से अस्थिर कर दिया, और वर्तमान में उनकी डीब्रीफिंग और मानसिक पुनर्वास प्रक्रिया चल रही है।
बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच कई दौर की बातचीत के बाद, 10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्षविराम की सहमति बनी, जिसने शॉ की रिहाई का रास्ता साफ किया। 14 मई को सुबह 10:30 बजे, अटारी-वाघा बॉर्डर पर शॉ को भारत को सौंपा गया। बीएसएफ ने बयान जारी कर कहा, “यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण और निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत पूरी हुई।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले में व्यक्तिगत रुचि दिखाई और जवान की रिहाई के लिए केंद्र सरकार के साथ समन्वय किया। शॉ की पत्नी रजनी ने कहा, “जब पहलगाम हमला हुआ, तब पीएम मोदी ने जवाबी कार्रवाई की। मुझे विश्वास था कि मेरे पति को वापस लाया जाएगा।”
शॉ की वापसी पर उनके परिवार में खुशी का माहौल है। उनके पिता भोला नाथ शॉ ने कहा, “मैं चाहता हूं कि मेरा बेटा फिर से सरहद पर जाए और देश की रक्षा करे।” सोशल मीडिया पर भी लोगों ने जवान की वापसी का जश्न मनाया, और #BSFJawanPurnamShaw ट्रेंड करने लगा। एक यूजर ने लिखा, “यह भारत की कूटनीतिक जीत है। हमारे जवान की सुरक्षित वापसी गर्व का क्षण है।”
वर्तमान में पूर्ण कुमार शॉ की डीब्रीफिंग चल रही है, जिसमें मनोवैज्ञानिक सहायता के जरिए उन्हें मानसिक आघात से उबरने में मदद की जा रही है। बीएसएफ ने उनकी बहादुरी और धैर्य की सराहना की है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए जवानों को मानसिक रूप से और मजबूत करने की जरूरत है।
शॉ की रिहाई भारत की कूटनीतिक ताकत और बीएसएफ की दृढ़ता का प्रतीक है। यह घटना भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक संवेदनशील मोड़ को भी दर्शाती है, खासकर पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद। सरकार और बीएसएफ ने इस मामले को शांतिपूर्वक हल कर एक सकारात्मक उदाहरण पेश किया है।
पूर्ण कुमार शॉ की वापसी न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए राहत और गर्व का क्षण है। उनकी कहानी साहस, संघर्ष और जीत की मिसाल है।