9 जुलाई 2025 को भारत की सड़कों पर जो दृश्य उभरा, वह सिर्फ़ एक देशव्यापी हड़ताल नहीं था। यह इतिहास...
Read moreDetailsलेखक: अमित पांडेय "यदा स्वराज्यं मूल्यं व्यापारस्य भवति, तदा राष्ट्रं केवलं बाज़ारः इव दृश्यते।" (जब संप्रभुता व्यापार की कीमत बन...
Read moreDetailsलेखक: अमित पांडेय कांग्रेस पार्टी ने केंद्र की मोदी सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों और देश की पारिस्थितिक सुरक्षा के...
Read moreDetailsलेखक: अमित पांडेय क्या हर बार की तरह केवल निंदा से आतंकवाद पर लगाम लगाई जा सकती है? क्या QUAD...
Read moreDetailsअमित पांडेय कॉमेडियन वीर दास और कुणाल कामरा जैसे कलाकारों ने अपने व्यंग्य में इस विडंबना को कई बार उजागर...
Read moreDetailsलेखक: अमित पांडेय भारत का चुनाव आयोग, जिसे कभी लोकतंत्र की निष्पक्षता और पारदर्शिता की मिसाल माना जाता था, आज...
Read moreDetailsलेखक: अमित पांडे — संपादक कड़वा सत्य भारत की आर्थिक प्रगति की सराहना वैश्विक मंच पर खूब होती है, लेकिन इस...
Read moreDetailsलेखक: अमित पांडे — संपादक कड़वा सत्य इटावा, उत्तर प्रदेश के डंडारपुर गाँव में 21 जून 2025 को जो घटित हुआ,...
Read moreDetailsअमित पांडे: संपादक कड़वा सत्य तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने आज केंद्र की मोदी सरकार पर भाषा के मुद्दे...
Read moreDetailsअमित पांडेय जिस देश की नींव समानता के वादे पर रखी गई हो, वहाँ शिक्षा केवल अधिकार नहीं—बल्कि लोकतंत्र का...
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