Body Changes After Marriage: शादी किसी भी इंसान के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाती है, लेकिन महिलाओं के लिए यह बदलाव सिर्फ सामाजिक और भावनात्मक ही नहीं होता, बल्कि उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य भी इससे गहराई से प्रभावित होता है।
भारतीय सामाजिक ढांचे में शादी के बाद महिलाओं पर पारिवारिक ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही जीवनशैली, खानपान, नींद और संबंधों में बदलाव महिलाओं के शरीर पर भी असर डालते हैं। आइए समझते हैं कि ये परिवर्तन क्यों और कैसे होते हैं।
वजन क्यों बढ़ता है शादी के बाद?
शादी के बाद एक आम बदलाव जो सबसे पहले नोटिस किया जाता है, वो है महिलाओं का वजन बढ़ना। इसका कारण अक्सर बदलती दिनचर्या होती है। महिलाएं परिवार के कार्यों में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि समय पर खाना, व्यायाम या खुद की देखभाल नहीं कर पातीं। इसके अलावा, सेक्स लाइफ की नियमितता से शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं, जिससे हिप्स, थाई और पेट के आसपास चर्बी जमा होने लगती है।
चेहरे पर आता है ग्लो, लेकिन क्यों?
शादी के बाद कई महिलाएं पहले से ज्यादा सुंदर और आत्मविश्वासी नजर आने लगती हैं। इसका कारण है “हैप्पी हार्मोन्स” — जैसे कि ऑक्सीटोसिन, सिरोटोनिन और एंडोर्फिन — जो तब रिलीज होते हैं जब महिला अपने पार्टनर के साथ संतुष्ट और खुश होती है। इन हार्मोन्स का असर सीधे चेहरे की चमक और त्वचा की स्थिति पर पड़ता है।
ब्रेस्ट में बदलाव और हार्मोनल भूमिका
शादी के बाद कपल्स के बीच बढ़ा हुआ फिजिकल क्लोज़नेस ब्रेस्ट में भी बदलाव ला सकता है। कई मामलों में ब्रेस्ट साइज या फर्मनेस में बदलाव देखने को मिलता है, लेकिन यह हर महिला के शरीर पर निर्भर करता है। कुछ महिलाओं में कोई अंतर नहीं दिखता, जबकि कुछ में यह स्पष्ट होता है। यह भी हार्मोनल एक्टिविटी और बॉडी टाइप पर आधारित होता है।
एस्ट्रोजन में उतार-चढ़ाव और मूड स्विंग्स
शादी के बाद कई बार महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर अस्थिर हो जाता है। एस्ट्रोजन महिलाओं की प्रजनन क्षमता से लेकर भावनात्मक स्थिति तक को नियंत्रित करता है। इसके स्तर में गिरावट आने पर चिड़चिड़ापन, थकान, और मूड स्विंग्स जैसे लक्षण दिख सकते हैं। यह बदलाव खासकर तब अधिक होता है जब महिला गर्भवती होने की योजना बना रही हो या नवविवाहित जीवन में मानसिक तनाव से गुजर रही हो।
शादी के बाद महिलाओं के शरीर में जो बदलाव आते हैं, वे सिर्फ “शादी” की वजह से नहीं, बल्कि उससे जुड़े लाइफस्टाइल, हार्मोनल, मानसिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का परिणाम होते हैं। जरूरी है कि ऐसे समय में महिलाएं खुद की सेहत और मानसिक स्थिति पर भी ध्यान दें।