नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में सोमवार से शुरू हुआ मानसून सत्र सिर्फ तकनीकी दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह पहला मौका है जब पूरा सत्र पूरी तरह से पेपरलेस होगा—यानि अब विधायक मोटी फाइलों की जगह टैबलेट्स पर विधायी कामकाज निपटाएंगे। लेकिन असली हलचल सदन में दो बिंदुओं पर देखने को मिलेगी—एक, निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम लगाने वाला संभावित नया कानून और दूसरा, आम आदमी पार्टी के शासनकाल में हुए खर्चों पर केंद्रित CAG की दो रिपोर्ट्स।
टैब से चलेगा संसद, देश का सबसे हाईटेक सत्र
सत्र की शुरुआत एक डिजिटल क्रांति के रूप में हुई है। पहली बार दिल्ली विधानसभा का पूरा कार्य डिजिटल फॉर्मेट में हो रहा है। विधायकों को टैबलेट्स मुहैया कराए गए हैं जिन पर वे विधेयक, रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज पढ़ सकेंगे और मत भी दे सकेंगे। इस प्रयोग को देश की अन्य विधानसभाओं के लिए एक आदर्श माने जाने की संभावना है।
फीस पर सख्ती: राहत की उम्मीद में लाखों अभिभावक
सबसे चर्चित प्रस्ताव है—निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण लगाने वाला नया कानून। रेखा गुप्ता सरकार इस सत्र में एक विधेयक पेश करने वाली है जो राजधानी के निजी स्कूलों द्वारा की जाने वाली मनमानी फीस वृद्धि को रोकने के लिए नियामक ढांचा तैयार करेगा। यदि यह कानून पारित होता है, तो दिल्ली के लाखों अभिभावकों को बड़ी राहत मिल सकती है।
इस कानून के जरिए पारदर्शिता बढ़ाने, शुल्क निर्धारण में जवाबदेही तय करने और शिकायत निवारण की व्यवस्था भी बनाई जाएगी। माता-पिता लंबे समय से निजी स्कूलों के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे, अब उनके आंदोलन को शायद एक कानूनी स्वरूप मिलने वाला है।
CAG रिपोर्ट: विपक्ष के लिए संकट और सत्ता के लिए मौका
इस बार का मानसून सत्र आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। CAG की दो अहम रिपोर्टें सदन में पेश होने जा रही हैं। एक रिपोर्ट 2023-24 की सरकारी आय-व्यय पर केंद्रित है, जबकि दूसरी रिपोर्ट भवन और निर्माण श्रमिक कल्याण कोष के उपयोग पर आधारित है।
दोनों ही रिपोर्टें उस समय की हैं जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी। ऐसे में भाजपा इसे AAP पर हमले के हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। वहीं AAP इसे एक राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताकर खुद का बचाव करने की रणनीति अपनाएगी।
सदन में टकराव तय, जवाब में क्या कहेगी AAP?
AAP पूर्व में CAG रिपोर्टों को राजनीतिक टूल कहकर खारिज करती रही है। लेकिन इस बार स्थिति अलग है—सरकार खुद रिपोर्टें सदन में पेश कर रही है और बहुमत भी भाजपा के पास है। यह बहस न सिर्फ दिल्ली की राजनीति को गर्म करेगी, बल्कि भविष्य के चुनावी परिदृश्य को भी प्रभावित कर सकती है।
रेखा गुप्ता सरकार का पहला बड़ा इम्तिहान
यह मानसून सत्र मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में पहला बड़ा राजनीतिक परीक्षण भी है। उनके लिए यह सत्र केवल विधायी कामकाज नहीं, बल्कि एक संदेश है—सरकार डिजिटल है, पारदर्शी है और जनहित में फैसले लेने को तैयार है।
स्कूल फीस कानून और CAG रिपोर्ट एक साथ लाना महज संयोग नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चाल लग रही है जिससे पिछली सरकार की जवाबदेही तय की जा सके और जनता को दिखाया जा सके कि नई सरकार कुछ अलग करने जा रही है।