चंडीगढ़, 30 सितंबर 2025 – विश्व स्तर पर सिखों के तालमेल को मजबूत करने और पंथक प्राथमिकताओं को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से 28 देशों की राष्ट्रीय सिख संस्थाओं की प्रतिनिधि संस्था ग्लोबल सिख काउंसिल (जी.एस.सी.) ने पाकिस्तान में सिख विरासती स्थलों के संरक्षण के साथ-साथ भारत स्थित तख़्तों की प्रभुसत्ता, मान-मर्यादा और आध्यात्मिक अधिकारों की बहाली की वकालत की है। यह निर्णय जी.एस.सी. की तीन घंटे से अधिक चली वार्षिक आम सभा (ए.जी.एम.) की ऑनलाइन सत्र के दौरान लिया गया।
काउंसिल की प्रधान लेडी सिंह डॉ. कंवलजीत कौर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सिख कौम से जुड़े धार्मिक, मानवतावादी और प्रशासनिक मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। बैठक के विवरण साझा करते हुए प्रधान डॉ. कंवलजीत कौर और सचिव हरजीत सिंह ग्रेवाल ने बताया कि ए.जी.एम. की शुरुआत उप-प्रधान परमजीत सिंह बेदी (अमेरिका) द्वारा पंजाब में बाढ़ प्रभावित परिवारों की भलाई और पुनर्वास के लिए की गई अरदास से हुई और पीड़ितों के प्रति संवेदना प्रकट की गई।
उन्होंने बताया कि जी.एस.सी. श्री हजूर साहिब और श्री पटना साहिब तख़्तों को क्रमशः महाराष्ट्र और बिहार राज्य सरकारों के प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त कराने हेतु पुराने गुरुद्वारा क़ानूनों में संशोधन करवाने के लिए स्थानीय संगत के नेतृत्व वाली कोशिशों का समर्थन करेगी।
इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि कौम की पारदर्शी ढंग से सेवा करने और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए भारत में एक पंजीकृत ट्रस्ट स्थापित किया जाएगा और परोपकारी व सामुदायिक सेवाओं हेतु विदेशी अंशदान विनियामक अधिनियम (एफ.सी.आर.ए.) के अंतर्गत प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाएगा। काउंसिल ने नवंबर 2026 के मध्य में चंडीगढ़ में अगली वार्षिक ए.जी.ਐਮ. बुलाने का भी फैसला लिया।
काउंसिल की धार्मिक मामले कमेटी के चेयरमैन डॉ. करमिंदर सिंह ने अपने शोध पत्र में तख़्तों की स्वतंत्रता, मान-सम्मान और आध्यात्मिक अधिकारों की बहाली की वकालत की। उन्होंने सिख धर्म में इन धार्मिक स्थलों की प्रमुखता को दोहराया और राजनीतिक दखलअंदाज़ी से मुक्त कराकर उपयुक्त स्वतंत्र दर्जा दिलाने के लिए पंथक एकता का आह्वान किया।
सिख शख्सियतों की पदवी को लेकर हो रही गलत व्याख्याओं पर कानूनी मामले समिति के चेयरपर्सन जगीर सिंह ने ‘संत’ और ‘ब्रह्म ज्ञानी’ नामकरण के गुरबाणी-आधारित प्रामाणिक अर्थों पर प्रभावशाली शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने दिव्य अवस्था और स्वयंघोषित उपाधियों के बीच अंतर को स्पष्ट किया, जिससे संगत गुमराह होती है और मौजूदा समय में भ्रम की स्थिति बढ़ती है।
मानवतावादी संकट की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए जी.एस.सी. के खज़ांची हरसरन सिंह ने पंजाब के बाढ़ प्रभावित गांवों में तबाही के पैमाने का विवरण दिया, विशेषकर फिरोज़पुर और फाजिल्का जिलों में किसानों और सीमावर्ती निवासियों की कठिन स्थिति को उजागर किया। काउंसिल ने समन्वित राहत कार्यों के लिए विश्वव्यापी सिख संस्थाओं से सहयोग जुटाने की अपील भी की।
विरासत समिति के चेयरमैन यसपाल सिंह बैस (अमेरिका) ने पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक सिख स्थलों की बहाली पर रिपोर्ट पेश की। उन्होंने इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड और पाकिस्तान के पुरातत्व विभाग के सहयोग का स्वागत किया और उपेक्षित गुरुद्वारों व विरासती स्थलों को संरक्षित रखने के लिए निरंतर निगरानी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
अपनी-अपनी रिपोर्टों में प्रधान डॉ. कंवलजीत कौर, सचिव हरजीत सिंह और खज़ांची हरसरन सिंह ने जी.एस.ਸੀ. द्वारा भविष्य में किए जाने वाले धार्मिक सुधारों, मानवतावादी मदद और अन्य पहलकदमियों के लिए स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत किया। बैठक के समापन पर उप-प्रधान राम सिंह बम्बे ने सभी का धन्यवाद करते हुए प्रतिनिधियों के सूझबूझ भरे योगदान की सराहना की और कहा कि यह सत्र न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ज्ञानवर्धक रहा बल्कि एकता और दूरदृष्टि के उद्देश्य से सिख कौम की सेवा के प्रति ग्लोबल सिख काउंसिल की वचनबद्धता को भी दोहराता है।