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हिंदी के दो रूप! देवनागरी बनाम रोमन लिपि पर मचा बवाल, साहित्यवाले की संगोष्ठी में उठे बड़े सवाल

News Desk by News Desk
September 17, 2025
in देश
हिंदी के दो रूप! देवनागरी बनाम रोमन लिपि पर मचा बवाल, साहित्यवाले की संगोष्ठी में उठे बड़े सवाल
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मंजरी की विशेष रिपोर्ट


नई दिल्ली, 17 सितंबर। हिंदी के अब दो रूप दिखाई दे रहे हैं ! एक हिंदी अभी भी पारंपरिक तौर पर पूरी शुद्धता से देवनागरी लिपि में चल रही है तो दूसरी हिंदी आधुनिक हिंदी बन कर रोमन लिपि में चल रही है ! भारत सरकार, निजी क्षेत्र, शिक्षित वर्ग, साक्षर वर्ग, शैक्षणिक संस्थान यहां तक कि साहित्य एवं मीडिया में भी यह सब धड़ल्ले से चल रहा है। इस बार हिंदी पखवाड़ा एवं हिंदी दिवस पर भी यह सब देखने को मिला ! एक ही सरकार और एक ही देश में हिंदी के दो रूप दिख रहे हैं जो भविष्य में भारतीय भाषाई संस्कृति के लिए खतरे की घंटी हैं।

कुछ इसी तरह के विचार हिंदी दिवस पर ” साहित्यवाले हिंदी दिवस विचार संगोष्ठी ” में अध्यक्ष पद से हरेन्द्र प्रताप ने जाहिर किये। उन्होंने कहा कि अल्प शिक्षित के साथ – साथ शिक्षित वर्ग भी सोशल मीडिया में अपनी बातचीत रोमन हिंदी में कर रहा है जो गलत है।

उन्होंने बैंकों में एटीएम मशीन में हिंदी को दूसरे ऑप्शन में रखने पर नाराजगी जाहिर की।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गजराज सिंह, विशेष कार्याधिकारी ( हिंदी ), राष्ट्रपति सचिवालय ने साहित्यवाले के कार्यक्रम की तारीफ करते हुए आग्रह किया कि हिंदी प्रयोग की शुरुआत घर से होनी चाहिए और तभी नई पीढ़ी भी हिंदी को साथ लेकर चल पाएगी।

हिंदी दिवस विचार संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में अरविन्द पाण्डेय मैत्रीबोध और विशिष्ट वक्ताओं में राजर्षि अरुण, डॉ.पंकज कुमार झा, निभा झा और सुषमा कुमारी ने भी अपने विचार रखे। डॉ. पंकज ने कहा कि हिंदी दिवस मनाने से कुछ नहीं होगा बल्कि इसे प्रयोग में लाना होगा। उन्होंने इस अवसर पर एक हिंदी साफ्टवेयर की विशिष्टताएं बताईं। निभा झा ने हिंदी को भारत की आत्मा बताते हुए इसे विज्ञान एवं तकनीक की भाषा बनाने पर भी जोर दिया। राजर्षि अरुण ने कहा कि हिंदी साहित्य को पाठकों के लिए रूचिकर बनाना आवश्यक है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री मैत्रीबोध ने हिंदी से जुड़े अपने दो संस्मरण सुनाये। तकनीकी गड़बड़ी की वजह से वे अपना संबोधन पूरा नहीं कर सके। सुषमा कुमारी ने एक पुरानी कविता का पाठ किया जिसमें हिंदी में अत्यधिक अंग्रेजी के प्रयोग को व्यंग्य शैली में दर्शाया गया था।

इस ऑनलाइन समारोह में प्रश्नोत्तरी सत्र में डॉ. संजय कुमार मिश्रा, राजीव रंजन, अशोक सिन्हा तथा अंशु चौधरी ने भी अपने विचार रखे।

इस अवसर पर मद्रास विश्वविद्यालय की हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ. चित्ती अन्नपूर्णा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अधीन चौधरी महादेव प्रसाद महाविद्यालय के हिंदी के सहायक आचार्य डॉ. जी. गणेशन मिश्रा, दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन अरविन्द कॉलेज की हिंदी की सहायक प्रोफेसर डॉ. दीपा और महाराष्ट्र से सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रीति सोनी तथा हैदराबाद से लेखिका सुश्री रिंकू सिन्हा भी उपस्थित थीं।

कार्यक्रम का संचालन देवाशीष झा और अनिता सिंह रूहानी ने किया।

Tags: Devanagari vs Roman HindiHindi as Science LanguageHindi Diwas 2025Hindi in Social MediaHindi Lipi ControversyHindi Literature DebateHindi Software ToolsRajarshi Arun ViewsSahityawale Seminar
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