भारत की अर्थव्यवस्था पर अमेरिका के टैरिफ का असर जरूर पड़ेगा, लेकिन इसके बावजूद आने वाले सालों में भारत एशिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रहेगा. यह BMI ने दावा किया है, जो फिच सॉल्यूशंस की इकाई है. BMI का कहना है कि सरकार अगर जीएसटी (GST) सुधार लागू कर देती है, तो इससे लोगों की जेब में ज्यादा पैसा बचेगा और खपत बढ़ेगी, जिससे टैरिफ का झटका काफी हद तक कम हो जाएगा.
भारत की जारी रहेगी ग्रोथ स्टोरी
रिपोर्ट के मुताबिक, इस दशक के आखिर तक भारत की आर्थिक विकास दर थोड़ी धीमी होकर भी 6% से ऊपर रहेगी. यह 2010 से 2019 के बीच की औसत 6.5% से थोड़ा कम है, लेकिन फिर भी भारत एशिया के टॉप ग्रोथ देशों में बना रहेगा. BMI का अनुमान है कि इस दौरान देश की प्रोडक्टिविटी भी लगभग 5% बढ़ेगी, जो अर्थव्यवस्था को मजबूती देगी.
जीएसटी सुधार से मिलेगी नई ताकत
सबसे बड़ी उम्मीद जीएसटी सुधार से है. योजना है कि मौजूदा टैक्स स्लैब्स को घटाकर सिर्फ दो कर दिए जाएं. इससे चीजें सस्ती होंगी और लोगों की खपत बढ़ेगी. रिपोर्ट का कहना है कि इससे ऑटोमोबाइल, सीमेंट, रोजमर्रा की चीजें और बैंकिंग-फाइनेंस जैसे सेक्टर को बड़ा फायदा मिलेगा. SBI रिसर्च का मानना है कि जीएसटी सुधार और हाल ही में की गई आयकर कटौती से देश में खपत में करीब 5.31 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है, जो GDP का लगभग 1.6% है.
दुनिया में भारत की पहचान
फिच रेटिंग्स ने भी भारत की क्रेडिट रेटिंग ‘BBB’ स्टेबल पर बरकरार रखी है और कहा है कि अमेरिकी टैरिफ का असर भारत पर बहुत बड़ा नहीं होगा. वहीं EY की रिपोर्ट बताती है कि 2038 तक भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. उस समय भारत का GDP (PPP के आधार पर) करीब 34.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
रिपोर्ट कहती है कि भारत की ग्रोथ सिर्फ बड़ी आबादी पर निर्भर नहीं है, बल्कि लगातार हो रहे सुधार और मजबूत आर्थिक आधार इसे और भी मजबूत बना रहे हैं. कुल मिलाकर, टैरिफ का छोटा असर जरूर होगा, लेकिन लंबे समय में भारत की रफ्तार को कोई रोक नहीं पाएगा.