India Pakistan War Update: भारत ने पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करने के लिए एक साहसिक कूटनीतिक कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल गठित किया है, जो अगले हफ्ते अमेरिका, यूरोप, जापान, यूएई, अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों का दौरा करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल की कमान कांग्रेस सांसद और विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर संभालेंगे। यह कदम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और इसके जवाब में शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की वैश्विक रणनीति का हिस्सा है।
शशि थरूर को बड़ी जिम्मेदारी
हाल ही में कांग्रेस के भीतर कुछ असहमतियों का सामना करने वाले शशि थरूर को इस महत्वपूर्ण मिशन की अगुवाई सौंपना सरकार के सर्वदलीय सहमति के दृष्टिकोण को दर्शाता है। थरूर, जो अपनी कूटनीतिक विशेषज्ञता और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावशाली उपस्थिति के लिए जाने जाते हैं, इस अभियान में पाकिस्तान के आतंकवादी समर्थन को बेनकाब करने में अहम भूमिका निभाएंगे। उनके साथ विपक्ष और सत्ताधारी दल के दिग्गज नेता इस मिशन को और मजबूती देंगे।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल: सत्तापक्ष और विपक्ष का गठजोड़
इस प्रतिनिधिमंडल में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष के प्रमुख चेहरों को शामिल किया गया है, जो भारत की एकजुटता का संदेश देता है। इसमें शामिल हैं:
- बीजेपी: निशिकांत दुबे, रवि शंकर प्रसाद, बांसुरी स्वराज, अनुराग ठाकुर, समीप भट्टाचार्य, दग्गुबाती पुरंदेश्वरी, एसएस आहलूवालिया।
- विपक्ष: सलमान खुर्शीद (कांग्रेस), असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), कनिमोझी (डीएमके), गुलाम नबी आज़ाद, प्रियांका चतुर्वेदी (शिवसेना), सुप्रिया सुले (एनसीपी), मनीष तिवारी (कांग्रेस), जॉन ब्रिटास (सीपीआई-एम), सस्मित पात्र (बीजेडी), विक्रमजीत साहनी (आप), एमजे अकबर।
- अन्य: शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे, जो यूएई और अफ्रीकी देशों का दौरा करेंगे।
यह प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, यूरोप, जापान, यूएई, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे क्षेत्रों में 10 दिनों तक कूटनीतिक बैठकों में हिस्सा लेगा। सलमान खुर्शीद जापान की यात्रा करेंगे, जबकि अन्य सांसद विभिन्न देशों में भारत का पक्ष रखेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद पर सैन्य और कूटनीतिक जवाब
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी। भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से जोड़ा और जवाब में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (POJK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। रक्षा मंत्री ने दावा किया कि इस ऑपरेशन में लगभग 100 आतंकवादी मारे गए। इस सैन्य कार्रवाई को अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और इज़रायल जैसे देशों का समर्थन मिला।
अब भारत ने कूटनीति के मोर्चे पर हमला तेज कर दिया है। इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ठोस सबूतों के साथ यह साबित करना है कि पाकिस्तान की धरती से संचालित आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है।
पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करना
मोदी सरकार की यह पहल केवल भारत की चिंताओं को उठाने तक सीमित नहीं है। इसका लक्ष्य वैश्विक समुदाय को यह समझाना है कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद अब एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है। सोशल मीडिया पर इस कदम की सराहना हो रही है, जहां यूजर्स इसे “कूटनीति के गलियारों में लड़ा जाने वाला युद्ध” बता रहे हैं।
प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों के नेताओं, नीति निर्माताओं और थिंक टैंक्स के साथ बैठकें करेगा, जिसमें पहलगाम हमले और अन्य आतंकी घटनाओं के सबूत पेश किए जाएंगे। सरकार का मानना है कि अनुभवी सांसदों की मौजूदगी इस मिशन को विश्वसनीयता और प्रभावशीलता प्रदान करेगी।
चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि यह कदम भारत की कूटनीतिक रणनीति में मील का पत्थर है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। पाकिस्तान पहले भी ऐसे आरोपों को खारिज करता रहा है, और वह इस बार भी जवाबी दुष्प्रचार की कोशिश कर सकता है। फिर भी, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं की विविधता और थरूर जैसे वैश्विक स्तर पर सम्मानित चेहरों की मौजूदगी भारत के पक्ष को मजबूती देगी।