योगेश कुमार
पूर्व राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी, कोच, कमेंटेटर
वर्ष 2025 भारतीय हॉकी के लिए केवल एक खेल वर्ष नहीं रहा, बल्कि यह राष्ट्रीय खेल के पुनर्निर्माण का कालखंड बन गया है। मैदान पर एशिया कप की ऐतिहासिक जीत, जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक, हॉकी इंडिया लीग का पुनरुद्धार और बिहार के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हॉकी, राजगीर को मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता, इन सभी घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय हॉकी अब सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ चुकी है।
मुख्य कोच क्रेग फुल्टन के नेतृत्व में भारतीय पुरुष टीम ने “डाटा-ड्रिवन हॉकी” मॉडल अपनाया। हाई-प्रेस सिस्टम, तेज ट्रांजिशन और पेनल्टी कॉर्नर एनालिटिक्स ने टीम की नई पहचान गढ़ी। कप्तान हरमनप्रीत सिंह और उनकी टीम ने पूरे वर्ष उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए जीत की निरंतरता बनाये रखी।
एफ आई एच प्रो लीग 2024-25 में भारत ने बेल्जियम, नीदरलैंड, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसी शीर्ष टीमों के खिलाफ मजबूत प्रदर्शन किया। भुवनेश्वर में नीदरलैंड पर 3–2 की जीत और जर्मनी के खिलाफ शूट-आउट में मिली सफलता ने यह संकेत दिया कि भारत अब शीर्ष हॉकी शक्तियों के समकक्ष प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
29 अगस्त से 7 सितंबर 2025 तक बिहार के राजगीर में आयोजित एशिया कप भारत के लिए वर्ष की सबसे बड़ी उपलब्धि बना। फाइनल में भारत ने दक्षिण कोरिया को 4–1 से हराकर आठ वर्षों बाद एशियाई ताज वापस पाया और 2026 हॉकी विश्व कप के लिए सीधा क्वालीफिकेशन हासिल किया। इस टूर्नामेंट ने बिहार को अंतरराष्ट्रीय हॉकी मानचित्र पर स्थापित कर दिया।
वर्ष का सबसे भावनात्मक क्षण तब आया जब लगातार दो ओलंपिक पदकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महान गोलकीपर पी.आर. श्रीजेश ने जूनियर विश्व कप में कोच के रूप में भारत को कांस्य पदक दिलाया। चेन्नई-मदुरै में खेले गए इस टूर्नामेंट में भारत ने कांस्य मुकाबले में अर्जेंटीना को 4–2 से हराकर इतिहास रचा। यह भारत का जूनियर विश्व कप में पहला कांस्य पदक रहा।
महिला हॉकी में 2025 प्रशासनिक चुनौतियों का वर्ष रहा। मुख्य कोच हरेंद्र सिंह का इस्तीफा अप्रत्याशित घटनाक्रम के रूप में सामने आया, जिससे महिला हॉकी टीम की तैयारी पर असर पड़ा है।
घरेलू स्तर पर हॉकी इंडिया लीग की वापसी ने हॉकी को नई ऊर्जा दी है। महिला और पुरुष दोनों लीगों के पुनरारंभ से खिलाड़ियों को पेशेवर मंच, आर्थिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय अनुभव मिला, जिससे राष्ट्रीय टीम की बेंच-स्ट्रेंथ मजबूत हुई।
2025 बिहार के लिए भी ऐतिहासिक वर्ष रहा, जब एशियन हॉकी फेडरेशन ने राजगीर के ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हॉकी’ के रूप में मान्यता प्रदान किया। चेन्नई में आयोजित जूनियर विश्व कप के फाइनल के बाद एफआईएच अध्यक्ष तैयब इकराम ने यह प्रमाणपत्र बिहार की खेल मंत्री श्रेयसी सिंह को सौंपा। यह देश की पहली राज्य स्तरीय खेल अकादमी बनी जिसे यह अंतरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हुआ। हालांकि बिहार में हॉकी संघ से जुड़े विवादों ने उभरती हॉकी व्यवस्था को कुछ हद तक प्रभावित भी किया है।
वर्ष के अंत में आयोजित छठा आर. के. रॉय मेमोरियल हॉकी टूर्नामेंट भी बिहार के हॉकी कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण और सफल आयोजन रहा, जिसने जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया है।
बिहार हॉकी के भविष्य के लिए एक और सकारात्मक खबर यह रही कि अगले वर्ष पटना में आधुनिक एस्ट्रो टर्फ का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। इसके तैयार होने से पटना और आसपास के जिलों के हॉकी खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर अभ्यास और प्रतियोगिता का अवसर मिलेगा, जिससे राज्य की प्रतिभाओं को राष्ट्रीय टीम तक पहुंचने में नई गति मिलेगी।
आगामी वर्ष 2026 भारतीय हॉकी के लिए भी अत्यंत व्यस्त रहने वाला है। भारत में FIH प्रो लीग 2025–26 के घरेलू चरण, हॉकी इंडिया लीग का पूर्ण सत्र, विभिन्न सीनियर, जूनियर और सब-जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप तथा एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय श्रृंखलाएं प्रस्तावित हैं। साथ ही 2026 में बेल्जियम और नीदरलैंड आयोजित हॉकी विश्व कप में स्वर्ण के लिए उतरेगा।
वर्ष 2025 अपने समापन पर यह संदेश देकर गया है कि भारतीय हॉकी अब केवल अतीत की उपलब्धियों पर निर्भर नहीं है, बल्कि एक मजबूत, पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय मानकों वाले सिस्टम के साथ भविष्य की ओर आत्मविश्वास से आगे बढ़ रही है। राजगीर से लेकर पटना तक बनते नए हॉकी केंद्रों ने भारतीय हॉकी के आने वाले दशक की ठोस नींव रख दी है।






