अमेरिका की कांग्रेस में भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ को लेकर हलचल तेज हो गई है। 13 दिसंबर को अमेरिकी कांग्रेस के तीन सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत तक के टैरिफ को खत्म करने के लिए प्रस्ताव पेश किया। इसे भारत–अमेरिका व्यापार संबंधों में जमी बर्फ पिघलाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। यह टैरिफ रूस से तेल खरीद को लेकर पैदा हुए तनाव के बाद लगाए गए थे।
कांग्रेस में बाइपार्टिसन प्रस्ताव
अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेटिक सांसदों ने एक बाइपार्टिसन रेजोल्यूशन पेश किया है, जिसका मकसद ट्रंप द्वारा IEEPA के तहत घोषित राष्ट्रीय आपातकाल को खत्म करना है। प्रस्ताव का सीधा फोकस सेकेंडरी 25 प्रतिशत टैरिफ हटाने पर है, जो कुल 50 प्रतिशत टैरिफ बोझ का आधा हिस्सा है। सीनेट में भी इसी तरह की पहल चल रही है, जिससे ट्रंप की व्यापार नीतियों पर कांग्रेस की पकड़ मजबूत होती दिख रही है।
पहले भी हो चुकी है टैरिफ हटाने की मांग
यह प्रस्ताव अक्टूबर 2025 में भेजे गए उस पत्र का विस्तार माना जा रहा है, जिसमें 23 सांसदों ने ट्रंप से भारत पर लगाए गए टैरिफ हटाने की अपील की थी। मौजूदा प्रस्ताव को डेबोरा रॉस, मार्क वीसी और राजा कृष्णमूर्ति ने पेश किया है। सांसदों का तर्क है कि ये टैरिफ अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे हैं।
भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ कैसे लगा
ट्रंप प्रशासन ने अगस्त 2025 में भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाए थे। 1 अगस्त को 25 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ घोषित किया गया, जिसे भारत की कुछ नीतियों के जवाब में बताया गया। इसके बाद 27 अगस्त को 25 प्रतिशत का सेकेंडरी टैरिफ जोड़ा गया, जिसकी वजह भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद को बताया गया। इस तरह कई भारतीय उत्पादों पर कुल टैरिफ 50 प्रतिशत तक पहुंच गया।
ट्रंप की नीति पर सवाल
इन टैरिफ को ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर लागू किया था। हालांकि, अमेरिका में ही इसके विरोध की आवाज़ें तेज हैं। आलोचकों का कहना है कि यह नीति भारत से ज़्यादा अमेरिकी उपभोक्ताओं और कारोबारियों पर बोझ डाल रही है।
अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या कांग्रेस का यह प्रस्ताव पास हो पाता है या नहीं। अगर ऐसा होता है, तो यह न सिर्फ भारत के लिए राहत भरी खबर होगी, बल्कि ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीतियों पर कांग्रेस की सीधी दखल का संकेत भी माना जाएगा।







