जम्मू-कश्मीर में पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश ने सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. बारिश और भूस्खलन की विभिन्न घटनाओं में अब तक 41 लोगों की मौत हो गई है. जम्मू-कश्मीर में लगातार दो दिन से हो रही भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. बारिश और भूस्खलन की अलग-अलग घटनाओं में अब तक 41 लोगों की मौत हो गई है. सबसे बड़ा हादसा रियासी जिले में वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर हुआ, जहां भूस्खलन से 34 श्रद्धालुओं की जान चली गई और करीब 20 लोग घायल हो गए. हादसा अर्धकुंवारी के पास इंदरप्रस्थ भोजनालय के पास हुआ.
भारी बारिश से राज्य के कई हिस्सों में भूस्खलन और बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है. कई पुल टूट गए, मोबाइल टावर और बिजली के खंभे गिर गए, जबकि सड़कों पर मलबा भरने से यातायात ठप हो गया. वहीं, दर्जनों अहम रास्ते बंद हो गए हैं.
हालांकि बुधवार को बारिश कुछ थमी, जिससे राहत और बचाव कार्य तेज हुए. जम्मू की नदियों का जलस्तर धीरे-धीरे कम होने लगा है, लेकिन अनंतनाग और श्रीनगर में झेलम नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. कई इलाकों में पानी घरों में घुस गया है.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हालात का जायजा लेने जम्मू पहुंचे और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्थिति की जानकारी दी. सरकार ने मरने वालों के परिजनों को 6-6 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है. गंभीर रूप से घायल लोगों को 1 लाख और सामान्य रूप से घायल को 50 हजार रुपये दिए जाएंगे.
रेल सेवाओं पर भी असर पड़ा है. उत्तरी रेलवे ने जम्मू और कटरा आने-जाने वाली 58 ट्रेनें रद्द कर दी हैं, जबकि 64 को बीच रास्ते से ही चलाया या रोका गया है. शिक्षा मंत्री साकीना इत्तो ने पूरे जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को सभी स्कूल-कॉलेज बंद रखने की घोषणा की है.
साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि यह बेहद दुखद है और सरकार हर संभव मदद कर रही है. जम्मू में सोमवार रात से शुरू हुई बारिश ने 38 घंटे में 380 मिमी से ज्यादा पानी बरसाया, जो दशकों में सबसे ज्यादा है. इससे कई घर डूब गए और लोग सुरक्षित जगहों पर जाने को मजबूर हो गए.