• About us
  • Contact us
Saturday, November 15, 2025
13 °c
New Delhi
23 ° Sun
23 ° Mon
Kadwa Satya
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
Kadwa Satya
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
  • जीवन मंत्र
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • स्पेशल स्टोरी
Home संपादकीय

जाति, धर्म और गरिमा का अपमान: आधुनिक भारत का संकट

इटावा, उत्तर प्रदेश के डंडारपुर गाँव में 21 जून 2025 को जो घटित हुआ, वह केवल दो व्यक्तियों के अपमान की कहानी नहीं है—वह हमारे समाज के गहरे और सड़ांध भरे ज़ख्म की परतें खोलने वाला क्षण था।

News Desk by News Desk
June 25, 2025
in संपादकीय
जाति, धर्म और गरिमा का अपमान: आधुनिक भारत का संकट
Share on FacebookShare on Twitter

लेखक: अमित पांडे — संपादक कड़वा सत्य

इटावा, उत्तर प्रदेश के डंडारपुर गाँव में 21 जून 2025 को जो घटित हुआ, वह केवल दो व्यक्तियों के अपमान की कहानी नहीं है—वह हमारे समाज के गहरे और सड़ांध भरे ज़ख्म की परतें खोलने वाला क्षण था। कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके सहायक संत कुमार यादव को केवल इसलिए अपमानित किया गया, उनके सिर मुंडवाए गए, उनकी पूजा सामग्री तोड़ी गई, और उन पर मूत्र डाला गया—क्योंकि वे “यादव” थे। उनकी ‘भूल’ सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने ब्राह्मण-बहुल गाँव में भागवत कथा सुनाने का साहस किया।
इस बर्बर कृत्य का वीडियो अब देशभर में फैल चुका है, और इसके साथ ही फैल चुका है वह प्रश्न, जिससे हम बार-बार मुँह चुराते हैं—क्या वाकई हम एक आधुनिक, संवैधानिक, और समतावादी राष्ट्र हैं?
यह घटना कोई अपवाद नहीं है, यह एक आइना है—जिसमें भारत की जातीय सच्चाई बिना किसी सजावट के दिखती है। यह उस मानसिकता की अभिव्यक्ति है जो आज भी मानती है कि आध्यात्मिकता, धर्म और कथा कहने का अधिकार केवल कुछ “जन्मसिद्ध” जातियों तक सीमित है। लेकिन यह अधिकार किसने दिया? न संविधान ने, न वेदों ने, और न ही उन भगवानों ने जिनका नाम लेकर यह अन्याय किया गया।
श्रीकृष्ण स्वयं भगवद गीता (4.13) में कहते हैं:
“चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।”
अर्थात् वर्ण व्यवस्था गुण और कर्म पर आधारित है, जन्म पर नहीं। यह कोई आधुनिक विचार नहीं है, यह हमारी सनातन परंपरा की मूल चेतना है।
इतिहास भी यही बताता है। रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि ब्राह्मण नहीं थे—वे एक समय डाकू थे। महाभारत के रचयिता वेदव्यास, एक मछुआरिन की संतान थे। संत रविदास, जो चर्मकार थे, उनकी वाणी आज गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मिलित है। यही नहीं, आदि शंकराचार्य को भी अपने समय की विदुषी उभय भारती से शास्त्रार्थ करना पड़ा, और उन्होंने नारी ज्ञान की श्रेष्ठता को स्वीकार किया।
फिर भी, आज 2025 में, एक यादव व्यक्ति को केवल इसलिए अपमानित किया जाता है क्योंकि वह भागवत कथा कहने का प्रयास करता है? जिस कथा में भगवान श्रीकृष्ण, जो स्वयं यादव कुल से थे, प्रेम, करुणा और समता का संदेश देते हैं—क्या वही कथा एक यादव नहीं सुना सकता?
स्पष्ट है कि जाति आज केवल धार्मिक विचार नहीं रह गई है—यह अब सामाजिक नियंत्रण, आर्थिक हित और राजनीतिक शक्ति का उपकरण बन चुकी है। मंदिर, कथा, धार्मिक आयोजन—ये केवल श्रद्धा के केंद्र नहीं हैं, ये शक्ति के प्रतीक हैं। इन पर कब्जा बनाए रखना उन वर्गों के लिए आवश्यक हो गया है जिनका अस्तित्व इसी असमानता पर टिका है। इसीलिए जब कोई वंचित वर्ग से आया व्यक्ति इन स्थलों में प्रवेश करता है, तो यह सत्ता के किले में सेंध लगता है—और प्रतिक्रिया होती है, क्रूर और अमानवीय।
लेकिन यह संघर्ष नया नहीं है। महात्मा गांधी ने अस्पृश्यता को “हिंदू धर्म पर कलंक” कहा था। उन्होंने “हरिजन” शब्द गढ़ा, मंदिर प्रवेश आंदोलनों का नेतृत्व किया। लेकिन उनसे भी आगे, डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इस अन्याय को प्रणालीगत रूप में समझा। उन्होंने 1927 में मनुस्मृति का दहन किया, महाड सत्याग्रह के ज़रिए पानी जैसे मूलभूत संसाधनों पर बराबरी का दावा किया, और अंततः भारत के संविधान के ज़रिए समानता को कानूनी रूप दिया।
फिर भी, जातीय अहंकार अब भी हमारी आत्मा को खा रहा है। 2022 की पीयू रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि 30% उच्च जाति के भारतीय आज भी दलितों के साथ घनिष्ठ संबंध नहीं रखना चाहते। इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट की रिपोर्ट कहती है कि आज भी लगभग 27% भारतीय किसी न किसी रूप में अस्पृश्यता का अभ्यास करते हैं।
यह वह सच्चाई है जो “विकसित भारत”, “डिजिटल इंडिया” और “AI भारत” जैसे नारों के पीछे छिपा दी जाती है। लेकिन यह छिपाने से नहीं मिटती।
अब समय आ गया है कि हम दो टूक निर्णय लें—धर्म केवल उनका नहीं हो सकता जो ब्राह्मण कुल में जन्मे हैं। धर्म का अधिकार उन सभी का है जिनका हृदय पवित्र है, जिनके कर्म सत्यनिष्ठ हैं। अब हमें न केवल संवैधानिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक स्तर पर भी इस बदलाव की जरूरत है।
हमें समाज को यह समझाना होगा कि
“अहम् ब्रह्मास्मि”—मैं ब्रह्म हूँ, यह आत्मबोध हर आत्मा का अधिकार है—न कि केवल कुछ विशेष जातियों का।
हमें उस मानसिकता को चुप कराना होगा जो कथा सुनने से पहले जाति पूछती है।
हमें वह राष्ट्र बनाना होगा जहाँ किसी मुकुट मणि यादव को दोबारा अपमान का सामना न करना पड़े।
क्योंकि अंततः, जो राष्ट्र अपने सत्य को बोलने वालों की रक्षा नहीं कर सकता—वह उस सत्य के योग्य नहीं होता।
अब धर्म सबका हो।
अब गरिमा सभी की हो।
और न्याय—अभी शुरू हो।

Tags: आधुनिक भारत में जातिवादइटावा जातिवाद हमलाडंडारपुर गांव जातीय हिंसाधर्म और जाति संघर्षधार्मिक असमानता भारतभागवत कथा विवादभारत में जातिवाद 2025मुकुट मणि यादवसामाजिक अन्याय भारत
Previous Post

तमिल पहचान पर सियासी संग्राम

Next Post

Rinku Singh News: रिंकू सिंह को मिली सरकारी नौकरी, बने बेसिक एजुकेशन ऑफिसर

Related Posts

No Content Available
Next Post
Rinku Singh News: रिंकू सिंह को मिली सरकारी नौकरी, बने बेसिक एजुकेशन ऑफिसर

Rinku Singh News: रिंकू सिंह को मिली सरकारी नौकरी, बने बेसिक एजुकेशन ऑफिसर

New Delhi, India
Saturday, November 15, 2025
Mist
13 ° c
77%
6.1mh
28 c 18 c
Sun
27 c 18 c
Mon

ताजा खबर

Punjab Industrial Growth: 10.32 लाख नए छोटे उद्योग, 2.55 लाख महिला उद्यमी- मान सरकार ने MSME सेक्टर में रचा इतिहास

Punjab Industrial Growth: 10.32 लाख नए छोटे उद्योग, 2.55 लाख महिला उद्यमी- मान सरकार ने MSME सेक्टर में रचा इतिहास

November 13, 2025
जहाँ दूसरी सरकारों की जुबान से मिली चोट , वहीं मान सरकार ने दलित समाज को बनाया पंजाब का ‘गौरव’!” शिक्षा, रोज़गार और सम्मान से सशक्त हुआ दलित वर्ग!

Punjab News: मान सरकार का समावेशी प्रयास, दिव्यांगों को सम्मान अवसर–आत्मनिर्भर बनाकर पंजाब बना देश के लिए प्रेरणा

November 13, 2025
देश के विकास में विश्वविद्यालयों की बढ़ती भूमिका

देश के विकास में विश्वविद्यालयों की बढ़ती भूमिका

November 13, 2025
Punjab BharatNet योजना: देश का पहला राज्य बना पंजाब, हर गांव तक पहुंचा तेज़ इंटरनेट- किसानों, छात्रों और महिलाओं की ज़िंदगी में आएगा बड़ा बदलाव

Punjab News: बुजुर्गों की स्वर्ण मंदिर जाने की मन्नतें पूरी कर रही मान सरकार, अमृतसर के लिए रवाना हुआ दूसरा तीर्थ यात्रा काफिला

November 12, 2025
Punjab BharatNet योजना: देश का पहला राज्य बना पंजाब, हर गांव तक पहुंचा तेज़ इंटरनेट- किसानों, छात्रों और महिलाओं की ज़िंदगी में आएगा बड़ा बदलाव

Punjab Sarkar की पेंशनरों को सौगात: 13 से 15 नवंबर तक होगा ‘पेंशनर सेवा मेला’, ई-KYC और डिजिटल पोर्टल से मिलेंगी सुविधाएं

November 12, 2025

Categories

  • अपराध
  • अभी-अभी
  • करियर – शिक्षा
  • खेल
  • गीत संगीत
  • जीवन मंत्र
  • टेक्नोलॉजी
  • देश
  • बॉलीवुड
  • भोजपुरी
  • मनोरंजन
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • व्रत त्योहार
  • शिक्षा
  • संपादकीय
  • स्वास्थ्य
  • About us
  • Contact us

@ 2025 All Rights Reserved

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी

@ 2025 All Rights Reserved