Kerala Poverty Free State: केरल ने एक बार फिर सामाजिक न्याय की मिसाल कायम की है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने आज विधानसभा में ऐलान किया कि केरल भारत का पहला राज्य बन गया है, जहां चरम गरीबी (एक्सट्रीम पॉवर्टी) का पूरी तरह सफाया हो चुका है। यह घोषणा राज्य के गठन दिवस ‘केरल पिरवी’ के अवसर पर की गई, जो 1956में आधुनिक केरल के जन्म का प्रतीक है। विजयन ने इसे ‘नया केरल’ की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया।
केरल में चरम गरीबी का सफर
चरम गरीबी को विश्व बैंक के मानदंडों के अनुसार परिभाषित किया जाता है – प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 180रुपये से कम आय पर गुजारा। केरल सरकार ने 2021में सत्ता संभालते ही एक्सट्रीम पॉवर्टी एराडिकेशन प्रोजेक्ट (EPEP) लॉन्च किया, जो चुनावी वादों में शुमार था। इस परियोजना के तहत पूरे राज्य में भागीदारीपूर्ण सर्वेक्षण से 64,006कमजोर परिवारों (कुल 1,03,099सदस्य) की पहचान की गई। इनके लिए ‘वन-साइज-फिट्स-ऑल’ नीति के बजाय प्रत्येक परिवार के लिए अलग-अलग माइक्रो-प्लान बनाए गए।
नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार, केरल की गरीबी दर 0.48%है, जो देश में सबसे कम है। यह उपलब्धि स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (LSGIs), कुदुम्बश्री कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों और विभिन्न विभागों के सामूहिक प्रयासों से संभव हुई। स्थानीय स्वशासन मंत्री एमबी राजेश ने बताया कि प्रक्रिया पारदर्शी और राजनीतिक सीमाओं से परे रही। 1961-62में जहां केरल की ग्रामीण गरीबी दर 90.75%थी, वहीं आज यह लगभग शून्य हो चुकी है।
केरल के सीएम ने क्या कहा?
केरल के CM पिनाराई विजयन ने कहा ‘यह केरल मॉडल है सामाजिक न्याय, समानता और करुणामयी शासन का। हमने किसी को पीछे नहीं छोड़ा।’ उन्होंने विपक्ष को भी श्रेय दिया, लेकिन जोर दिया कि यह LDF सरकार की प्राथमिकता थी। वैश्विक स्तर पर केरल दुनिया का दूसरा क्षेत्र है जो चरम गरीबी मुक्त हुआ है।







