मंजरी की विशेष रिपोर्ट
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर। भारत सरकार में एक दिलचस्प मंत्रालय है एम एस एम ई यानि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय। यहां संवैधानिक नियमों की खुल्लमखुल्ला धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ताज़ा मामला आर टी आई एक्ट का है।
मंत्रालय और उसके विभिन्न कार्यालयों विशेष रूप से एम एस एम ई विकास संगठन में वरिष्ठ अधिकारियों के इशारे पर संबंधित केंद्रीय जन सूचना अधिकारी आर टी आई एक्ट के अंतर्गत निर्धारित समय सीमा के अंदर तो उत्तर नहीं ही दे रहे हैं बल्कि अनंत काल के लिए उसे ठंडे बस्ते में डाल कर भूल जा रहे हैं। ऐसा वे आम आवेदन कर्ताओं के साथ ही नहीं कर रहे हैं बल्कि वहां कार्यरत तथा वहां से रिटायर हो चुके वरिष्ठ अधिकारियों के आवेदनों के साथ भी कर रहे हैं। एक रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारी ने इस तरह का आरोप वहां के सहायक निदेशक और केंद्रीय जन सूचना अधिकारी राजेश सुकुमारन पर लगाया है।
श्री सुकुमारन का कहना है कि काम के अत्यधिक दबाव के कारण वे आर टी आई आवेदनों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। मतलब कि काम का बहाना कर वे संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी कर रहे हैं।
इस बारे में अनेक कोशिशों के बावजूद एम एस एम ई विकास संगठन के विभागीय प्रमुख डॉ. रजनीश से संपर्क नहीं हो पाया। उधर विभाग के पूर्व प्रभारी औद्योगिक सलाहकार जी. शनमुगनाथन ने बताया कि एम एस एम ई विभाग के विकास आयुक्त कार्यालय में कानून की व्यवस्था चरमरा चुकी है और दोहरा मापदंड हर तरह की कार्रवाई में हावी है। उन्होंने मीडिया से आह्वान किया कि न सिर्फ आर टी आई बल्कि इस मंत्रालय एवं इसके अनेक कार्यालयों में कानून का शासन नहीं होने की जांच की जानी चाहिए। वहां पर समानांतर व्यवस्था क्यों कायम है, इस पर सवाल उठाना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में अनेक उदाहरण भी बताये।
इस बारे में पूछने पर सचिव के कार्यालय ने अनभिज्ञता जाहिर की है।