मंजरी की खोजी रिपोर्ट
- भारत सरकार की एम एस एम ई पत्रिका में
कल्पना से परे जाकर गलती एवं लापरवाही - कैबिनेट मंत्री जीतन राम मांझी को भी
बदनाम करने की साज़िश - बिहार चुनाव में बन सकता है मुद्दा !
नई दिल्ली। अद्भुत ! विलक्षण ! दुर्लभ ! ये तीनों शब्द भी भारत सरकार के एम एस एम ई मंत्रालय की ताज़ा पत्रिका ” एम. एस. एम. ई. पत्रिका अग्रणी, आधुनिक, आत्मनिर्भर ” के जून, 2025 में प्रकाशित अंक में की गई लापरवाही को परिभाषित करने में सक्षम नहीं हैं ! पत्रिका में प्रधानमंत्री के बाद राष्ट्रपति को भी हंसी का पात्र बना दिया गया है !
इसमें प्रकाशन जगत में कल्पना से भी परे एक ऐसी भयानक गलती की गई है जिसका पूर्ववर्ती उदाहरण पूरी दुनिया में मिलना दुर्लभ है ! इस पत्रिका के जिस प्रथम अंक का लोकार्पण दिल्ली के विज्ञान भवन में 27 जून, 2025 को किया गया है, उसी अंक में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू महोदया की उसी अंक को रिलीज करती हुई तस्वीर छाप दी गई है जो संपादन, प्रकाशन एवं मुद्रण के साथ – साथ सम्पूर्ण जनसंचार की दुनिया का संभवतः पहला भयानक नवाचार है ! यह हास्यास्पद है ! इस पर किसी को भी हंसी आ सकती है ! लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह जानबूझकर किया गया है ताकि राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई जा सके ! यह प्रयोग कल्पना से भी परे है !

इस संबंध में जब पत्रकार ने इस अकल्पनीय एवं अविश्वसनीय गलती का कारण जानने का प्रयास किया तो सूत्रों ने बताया कि स्वयं एम एस एम ई मंत्रालय के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अपर सचिव एवं विकास आयुक्त डॉ. रजनीश ने संपादक एवं उप संपादक पर दबाव डालकर ऐसा करने को कहा।
बहरहाल, गलती किसने की, यह जांच का विषय है ! लेकिन यह सही है कि जिस किसी ने भी ऐसी ग़लती की और करवाई है, उसने संसार का आठवां आश्चर्य पैदा कर दिया है ! साथ ही बेवजह इसमें भारत सरकार के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति की स्थिति को इस पूरे घटनाक्रम में हास्यास्पद बना दिया गया है।
वैसे, लाख टके का सवाल है कि ऐसा हुआ कैसे ? विज्ञान भवन में इस नई पत्रिका के मुद्रण का यदि जीवंत प्रसारण भी किया गया होता तो भी ऐसा संभव नहीं होता ! फिर ऐसा हुआ कैसे ? इस सवाल को आधार बनाकर
जब खोजी पत्रकार ने गहन छानबीन की तो नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रपति महोदया से सिर्फ लोकार्पण कराने के लिए आनन – फानन में बिना किसी अंतिम तैयारी के पत्रिका की कुछेक डिजिटल प्रति तैयार करा ली गई और बाद में कुछ दिनों के बाद शेष बची प्रतियों में प्रेस से मुद्रण के दौरान रिलीज करती हुई तस्वीर को उसी अंक में छाप दिया गया ! इस तरह यह प्रकाशन की दुनिया में पहली अनोखी गलती का नया रिकॉर्ड तैयार हो गया !

प्रकाशन के विशेषज्ञ बताते हैं कि इस पूरे प्रकरण में राष्ट्रपति पद का तीन बार मखौल उड़ाया गया ! पहली बार जब एक डिफेक्टिव अंक धोखे में रख कर रिलीज कराया गया, दूसरी बार जब रिलीज अंक को फिर से बदल कर प्रकाशित किया गया और तीसरी बार जब रिलीज हो रहे अंक में रिलीज करती हुई तस्वीर को छाप दिया गया !
इसके साथ ही बेवजह एम एस एम ई मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री श्री जीतन राम मांझी का भी नाम बदनाम किया गया। रिलीज वाली तस्वीर में राष्ट्रपति के साथ कैबिनेट मंत्री श्री जीतन राम मांझी भी खड़े हैं और विवादास्पद पत्रिका को पकड़े हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि पूरे प्रकरण में कैबिनेट मंत्री को भी अंधेरे में रखा गया।
बिहार में आगामी चुनाव को देखते हुए नौकरशाही के एक तबके द्वारा की गई साजिश को गंभीरता से लिया जा रहा है। क्योंकि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर बिहार चुनाव में केंद्र सरकार एवं कैबिनेट मंत्री को घेर सकता है।