मंजरी की विशेष रिपोर्ट
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर। भारत में एम एस एम ई विकास का इंजन है जिस पर केंद्र सरकार को अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए। देश में एम एस एम ई का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। उद्यम पंजीकृत सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयों की संख्या छह करोड़ नब्बे लाख को पार कर सात करोड़ की ओर छलांग लगा रही है। साल के अंतिम तिमाही में उद्यम रजिस्ट्रेशन में सात करोड़ का लक्ष्य हासिल हो जाने की संभावना है। यह जानकारी एम एस एम ई विशेषज्ञ जी. शनमुगनाथन ने दी।
एम एस एम ई मंत्रालय के पूर्व प्रभारी औद्योगिक सलाहकार श्री शनमुगनाथन ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विशेष दिलचस्पी के कारण एम एस एम ई सेक्टर में विकास की गति पहले से कहीं बेहतर है। उन्होंने कहा कि आई ई डी एस अधिकारी देश भर में समर्पित कर्मयोगी की तरह काम कर रहे हैं। हालांकि ये अधिकारी पदोन्नति में विलंब होने और अन्य सुविधाओं के अभाव तथा अन्य कैडर के अधिकारियों की तुलना में भेदभाव का शिकार होने के कारण तथा नौकरशाही के कमजोर नेतृत्व की हठधर्मिता से अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता की गति को बढ़ाने में एम एस एम ई एक मजबूत आधार स्तम्भ की तरह खड़ा हो रहा है।

उन्होंने कहा कि लगभग डेढ़ अरब की आबादी वाले देश में एम एस एम ई के विकास को वास्तविक लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए भारतीय उद्यम विकास सेवा का सुसंगठित विकास करना और उसे भारतीय आर्थिक सेवा के चंगुल से शीघ्र मुक्ति दिलाने की आवश्यकता है। उन्होंने स्वीकार किया कि अलग एम एस एम ई मंत्रालय बनाने के अपेक्षित परिणाम अभी तक सामने नहीं आये हैं।
श्री शनमुगनाथन ने स्पष्ट किया कि सात करोड़ के लक्ष्य से आगे निकलने के लिए देश के विभिन्न राज्यों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के समावेशी विस्तार की आवश्यकता है जिसमें देश के इंजीनियर प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं लेकिन सरकारी स्तर पर उन्हें प्रोत्साहन और प्रोफेशनल परिवेश की आवश्यकता है।