Nepal Crisis: नेपाल में मचे बवाल के बीच 10 सितंबर का दिन काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. दरअसल जेन जी के आंदोलन ने पूरे नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर दी है. बीते दो दिन में नेपाल में जो कुछ भी हुआ किसी ने सोचा भी नहीं होगा. सोशल मीडिया बैन के नाम पर शुरू हुआ ये प्रदर्शन देखते ही देखते भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का जरिया बन गया और महज 48 घंटों में नेपाल में जो कुछ भी हुआ इसकी कल्पना करना भी मुश्किल था. कई राजनीतिक इस्तीफे हुए तो कई सरकारी संपत्तियों को जमकर नुकसान पहुंचाया गया. इन सबके बीच अब सबकी नजरें तीसरे और अहम दिन पर टिकी हैं.
राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ते जनआंदोलनों के बीच, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, आर्मी चीफ और पुलिस प्रमुख की एक अहम बैठक संभावित है. इस बैठक में देश में शांति बहाली, प्रदर्शनकारियों से संवाद और मौजूदा हालात पर नियंत्रण के लिए ठोस रणनीति पर चर्चा हो सकती है.
राष्ट्रपति ने देशवासियों से संयम बरतने और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने आंदोलनरत युवाओं, खासकर जेन Z नेताओं से संवाद की पहल की है। यह संकेत दे रहा है कि सरकार अब टकराव नहीं, समाधान की दिशा में सोच रही है.
काठमांडू के मेयर बालेन शाह एक उभरते हुए जननेता के तौर पर सामने आए हैं. उनकी ईमानदारी और युवाओं में लोकप्रियता ने उन्हें संभावित अंतरिम प्रधानमंत्री का दावेदार भी बना दिया है. प्रदर्शनकारी शुरू से ही ओली के इस्तीफे और शाह को सत्ता सौंपने की मांग कर रहे थे. माना जा रहा है कि यदि अंतरिम सरकार बनती है तो बालेन शाह को इसकी कमान सौंपी जा सकती है.
इस बार नेपाल की राजनीति में युवाओं की भूमिका खास है. जेन Z के नेताओं को अंतरिम सरकार में जगह मिलने की संभावना है. इससे संकेत मिलता है कि नेपाल की राजनीति अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है.
10 सितंबर को हो सकता है फैसला
बुधवार को होने वाली बैठक के बाद यह तय हो सकता है कि नेपाल में नए चुनाव कराए जाएंगे या फिर एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार का गठन होगा. फिलहाल, पूरे देश की निगाहें काठमांडू पर टिकी हैं.