• About us
  • Contact us
Friday, November 7, 2025
24 °c
New Delhi
24 ° Sat
24 ° Sun
Kadwa Satya
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
Kadwa Satya
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
  • जीवन मंत्र
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • स्पेशल स्टोरी
Home संपादकीय

पेंशन सुधार की पुकार: क्या हम वृद्धावस्था को गरीबी की ओर धकेल रहे हैं?

News Desk by News Desk
August 5, 2025
in संपादकीय
पेंशन सुधार की पुकार: क्या हम वृद्धावस्था को गरीबी की ओर धकेल रहे हैं?
Share on FacebookShare on Twitter

जब ब्रिटेन जैसे विकसित राष्ट्र में यह चेतावनी दी जाती है कि राज्य पेंशन की आयु 2070 तक 80 वर्ष हो सकती है, तो यह वैश्विक संकट का संकेत है। भारत जैसे देश, जहाँ सामाजिक सुरक्षा का ढांचा अभी अधूरा है, इसे नजरअंदाज करना घातक होगा। हमारी जनसंख्या की संरचना, जीवन प्रत्याशा में बढ़ोतरी, और आय में असमानता—ये सब मिलकर वृद्धावस्था को आर्थिक संकट में झोंकने की आशंका को मजबूत करते हैं।


भारत में पेंशन व्यवस्था पिछले दो दशकों में बुनियादी रूप से बदली है। 2004 से पहले सरकारी कर्मचारियों को defined benefit पेंशन मिलती थी, जो सेवा के बाद एक सुनिश्चित राशि का वादा करती थी। लेकिन 2004 के बाद नए कर्मचारियों के लिए National Pension System (NPS) लागू किया गया—जो बाजार आधारित है और इसमें सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली राशि निश्चित नहीं होती।


दूसरी ओर, संगठित क्षेत्र के कुछ कर्मचारियों को Employees’ Pension Scheme (EPS) के तहत नाममात्र ₹1,000 की मासिक पेंशन मिलती है। यह राशि आज के महँगाई स्तर पर नगण्य है, और वृद्धावस्था की गरिमा सुनिश्चित नहीं कर सकती।


लेकिन इस पूरे परिदृश्य में सबसे अधिक उपेक्षित वर्ग है—Central Armed Police Forces (CAB) के कर्मचारी। BSF, CRPF, CISF, ITBP जैसे बलों में कार्यरत जवानों की संख्या 10 लाख से अधिक है। ये वही जवान हैं जो आतंकवाद, सीमा सुरक्षा, भीड़ नियंत्रण और आपदा प्रबंधन जैसी कठिन परिस्थितियों में दिन-रात तैनात रहते हैं। लेकिन रिटायरमेंट के बाद इन्हें कोई पेंशन नहीं मिलती, जबकि भारतीय सेना के जवानों को defined benefit पेंशन का लाभ प्राप्त होता है।


यह भेदभाव केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का प्रश्न है। CAB के जवानों की सेवा अवधि औसतन 15–20 वर्ष होती है। उन्हें 40-45 वर्ष की आयु में सेवा से मुक्त कर दिया जाता है, जब आय के दूसरे अवसर सीमित होते हैं। अधिकतर जवान ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और अवकाश के बाद छोटी-मोटी नौकरियों या मजदूरी पर निर्भर रहते हैं। वृद्धावस्था में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, सामाजिक अलगाव, और आर्थिक कठिनाइयाँ उनके जीवन का हिस्सा बन जाती हैं।


जब सेना के जवानों और CAB कर्मियों के कार्य और जोखिम लगभग समान हैं, तो पेंशन व्यवस्था में यह असमानता क्यों? यही सवाल नीति निर्माताओं से पूछा जाना चाहिए।


एक और गंभीर पहलू है—भारत की जनसांख्यिकीय स्थिति। 2050 तक भारत में वृद्धजनों की संख्या 30 करोड़ पार कर जाएगी। क्या NPS जैसी बाजार-निर्भर प्रणाली और EPS जैसी अल्प पेंशन इस जनसंख्या को पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा दे पाएँगी? ब्रिटेन की OBR रिपोर्ट बताती है कि वहाँ पेंशन खर्च 2037 तक मौजूदा कर योगदानों से अधिक हो जाएगा। यह चेतावनी भारत के लिए और भी गंभीर है जहाँ सामाजिक सुरक्षा का आधार बेहद कमजोर है।
नीति समाधान स्पष्ट हैं:

  1. EPS में सुधार की आवश्यकता है, जिसमें न्यूनतम ₹5,000 मासिक पेंशन सुनिश्चित की जाए और सरकार भी इसमें योगदान करे।
  2. NPS में एक न्यूनतम गारंटी (floor benefit) दी जाए, ताकि पेंशन रिटर्न का जोखिम पूरी तरह कर्मचारी पर न हो।
  3. CAB कर्मचारियों के लिए पेंशन बहाली हो—उन्हें सेना और पुलिस के समान पेंशन अधिकार मिलें।
  4. 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक पेंशन योजना लागू की जाए—विशेष रूप से महिलाओं और वंचित वर्गों को प्राथमिकता दी जाए।
  5. सरकार को 2050 तक के लिए एक दीर्घकालिक पेंशन निधि योजना बनानी चाहिए, जो बजटीय रूप से टिकाऊ हो और सामाजिक न्याय की भावना को बल दे।
    भारत का संविधान “समता” और “सामाजिक न्याय” की गारंटी देता है। CAB जैसे कर्मठ और बलिदानी वर्ग को पेंशन से वंचित रखना इस संवैधानिक मूल भावना के विपरीत है। यह मुद्दा केवल नीति का नहीं, बल्कि सामाजिक गरिमा का है। पेंशन केवल वित्तीय लाभ नहीं, बल्कि यह उस जीवन की सुरक्षा है जिसे इन कर्मचारियों ने देश की सेवा में समर्पित किया।
Tags: armed forces pension inequalityBSF CRPF बिना पेंशनCAB फोर्सेस पेंशनNPS vs EPSretirement policy Indiauniversal old age pensionजवानों की पेंशन बहालीपेंशन संकट 2025पेंशन सुधारसामाजिक सुरक्षा भारत
Previous Post

RSS की 100 साल की यात्रा पर तीन दिन का महामंथन: दिल्ली में जुटेंगी देश की नामचीन हस्तियां, मोहन भागवत रहेंगे मौजूद

Next Post

Kelly Mack Dies at 33: 33 की उम्र में ‘The Walking Dead’ स्टार का निधन! ब्रेन कैंसर ने छीनी जिंदगी, बहन ने शेयर की दिल तोड़ देने वाली पोस्ट

Related Posts

No Content Available
Next Post
Kelly Mack Dies at 33: 33 की उम्र में ‘The Walking Dead’ स्टार का निधन! ब्रेन कैंसर ने छीनी जिंदगी, बहन ने शेयर की दिल तोड़ देने वाली पोस्ट

Kelly Mack Dies at 33: 33 की उम्र में ‘The Walking Dead’ स्टार का निधन! ब्रेन कैंसर ने छीनी जिंदगी, बहन ने शेयर की दिल तोड़ देने वाली पोस्ट

New Delhi, India
Friday, November 7, 2025
Clear
24 ° c
15%
8.6mh
29 c 20 c
Sat
29 c 20 c
Sun

ताजा खबर

लोकतंत्र की कसौटी और चुनाव आयोग की वैश्विक तुलना

लोकतंत्र की कसौटी और चुनाव आयोग की वैश्विक तुलना

November 7, 2025
मान सरकार ने पंजाब को बनाया देश का पहला एंटी-ड्रोन कवरेज राज्य,‘सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस’ बनी सुरक्षा की मिसाल

मान सरकार ने पंजाब को बनाया देश का पहला एंटी-ड्रोन कवरेज राज्य,‘सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस’ बनी सुरक्षा की मिसाल

November 6, 2025
नशे के सौदागरों पर CM मान का वार: अकाली राज में ‘चिट्टा’ नहीं, ‘मजीठिया टीका’ कहा जाता था!

नशे के सौदागरों पर CM मान का वार: अकाली राज में ‘चिट्टा’ नहीं, ‘मजीठिया टीका’ कहा जाता था!

November 6, 2025
सफेद शेरों का शहर बदल रहा है अब अपनी किस्मत ! बिहार चुनाव का मध्य प्रदेश में प्रभाव!

सफेद शेरों का शहर बदल रहा है अब अपनी किस्मत ! बिहार चुनाव का मध्य प्रदेश में प्रभाव!

November 6, 2025
बेंगलुरु में होगा दूसरा फेडरेशन गतका कप: नेशनल गतका एसोसिएशन ने की बड़ी घोषणा, विजेताओं को मिलेगा इंटरनेशनल टिकट

बेंगलुरु में होगा दूसरा फेडरेशन गतका कप: नेशनल गतका एसोसिएशन ने की बड़ी घोषणा, विजेताओं को मिलेगा इंटरनेशनल टिकट

November 6, 2025

Categories

  • अपराध
  • अभी-अभी
  • करियर – शिक्षा
  • खेल
  • गीत संगीत
  • जीवन मंत्र
  • टेक्नोलॉजी
  • देश
  • बॉलीवुड
  • भोजपुरी
  • मनोरंजन
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • व्रत त्योहार
  • शिक्षा
  • संपादकीय
  • स्वास्थ्य
  • About us
  • Contact us

@ 2025 All Rights Reserved

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी

@ 2025 All Rights Reserved