राजस्थान के एक विशिष्ट न्यायालय में एक चौंकाने वाला फैसला सुनाया गया है। विशिष्ट न्यायाधीश पॉक्सो संख्या-4 हिमांकनी गौड़ ने एक महिला को POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) अधिनियम के तहत दोषी मानते हुए 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही महिला को 20 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है। विशेष बात यह है कि इस महिला के साथ उसका 9 महीने का बच्चा भी जेल में रहेगा।
विशिष्ट लोक अभियोजक प्रशांत यादव के अनुसार, यह मामला 11 अगस्त 2024 को तिजारा थाने में दर्ज हुआ था। महिला ने शिकायत में कहा था कि 10 अगस्त को जब उसका पति कंपनी से आकर घर में सो रहा था, तब एक लड़के ने घर में घुसकर उसके साथ बलात्कार की कोशिश की थी। महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि छह महीने पहले से ही यह लड़का उसके घर और टपूकड़ा स्थित किराए के कमरे पर कई बार उसके साथ बलात्कार कर चुका था।
जब पुलिस ने इस मामले में अनुसंधान शुरू किया तो हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई। जांच में पता चला कि शिकायतकर्ता महिला और आरोपी लड़के के बीच चाची-भतीजे का रिश्ता था। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि आरोपी लड़का केवल 17 साल का नाबालिग था, जबकि महिला उससे 7-8 साल बड़ी थी।
पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ कि महिला का पति टपूकड़ा में एक निजी कंपनी में काम करता था और वहाँ किराए पर कमरा लिया हुआ था। महिला अपने पति के कंपनी जाने और सास के घर से बाहर जाने का फायदा उठाकर नाबालिग भतीजे को अपने घर बुलाती थी।
जांच में यह भी सामने आया कि महिला नाबालिग लड़के को बलात्कार के झूठे मामले में फंसाने की धमकी देकर उससे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करती थी। यह एक गंभीर मामला था जहाँ एक वयस्क महिला द्वारा नाबालिग लड़के का यौन शोषण किया जा रहा था। विशिष्ट लोक अभियोजक यादव ने बताया कि छह महीने की अवधि में दोनों के बीच फोन पर करीब 832 बार बातचीत हुई थी। यह आंकड़ा दिखाता है कि यह कोई आकस्मिक घटना नहीं थी बल्कि एक सोची-समझी योजना के तहत किया गया निरंतर शोषण था।
पुलिस ने अपनी जांच के बाद शिकायतकर्ता महिला को ही आरोपी मानते हुए न्यायालय में उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। अभियोजन पक्ष द्वारा न्यायालय में 16 गवाहों को पेश किया गया और 26 दस्तावेजी साक्ष्य भी प्रस्तुत किए गए।
प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर विशिष्ट न्यायाधीश हिमांकनी गौड़ ने महिला को POCSO अधिनियम के तहत दोषी पाया। न्यायालय ने उसे 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया।
मामले की एक विशेष परिस्थिति यह थी कि गिरफ्तारी के समय महिला गर्भवती थी। उसने जेल में ही बच्चे को जन्म दिया था। इसके बाद उसे कोर्ट से जमानत मिल गई थी। अब सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायालय के आदेश पर महिला को जेल भेजा गया है। महिला अपने 9 माह के बच्चे को भी अपने साथ जेल ले गई है। यह स्थिति दिखाती है कि कैसे एक अपराध के कारण एक निर्दोष बच्चा भी प्रभावित होता है।
POCSO अधिनियम 2012 में लागू किया गया था जो बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह कानून 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ किसी भी प्रकार के यौन अपराध को गंभीर अपराध मानता है।