चंडीगढ़, 16 अक्तूबर 2025: दीवाली से पहले पंजाब के बाढ़ पीड़ित किसानों के घरों में खुशियों की लौ फिर से जग उठी है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने मात्र तीस दिनों के भीतर मुआवजा और राहत राशि प्रदान करने का अपना वादा निभाकर एक नया इतिहास रच दिया है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और जनसेवी सरकार का उदाहरण है जिसने अपने लोगों के साथ हर सुख-दुख में खड़े रहने का वादा सच्चे अर्थों में निभाया है।
राज्य सरकार ने बाढ़ से प्रभावित किसानों और परिवारों के लिए कुल 209 करोड़ रुपये की पहली किश्त जारी की है, जिसमें से संगरूर जिले के बाढ़ पीड़ितों को 3.50 करोड़ रुपये वितरित किए जाएंगे। पंजाब के वित्त और योजना मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने धूरी विधानसभा क्षेत्र से इस मुआवजा वितरण की शुरुआत करते हुए आठ बाढ़ प्रभावित परिवारों को स्वीकृति पत्र सौंपे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी पीड़ित को अपने हक की राशि पाने के लिए महीनों इंतज़ार न करना पड़े।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने अजनाला में स्वयं 631 किसानों को 5.70 करोड़ रुपये के चेक वितरित कर “मिशन पुनर्वास” की शुरुआत की थी। इस पहल ने पूरे देश में एक नया मानदंड स्थापित किया है, क्योंकि यह पहली बार है जब किसी राज्य सरकार ने किसानों को प्रति एकड़ 20,000 रुपये का मुआवजा प्रदान किया है। इसके अलावा, जिन परिवारों के घर बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें अब 40,000 रुपये की सहायता दी जा रही है, जबकि पहले यह राशि केवल 4,000 रुपये थी।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार केवल राहत नहीं, बल्कि सम्मान भी दे रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य केवल मुआवजा वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि “मिशन पुनर्वास” के माध्यम से प्रभावित परिवारों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करना है। उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में 13 कैबिनेट मंत्री बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर राहत राशि का वितरण कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी परिवार सरकार की सहायता से वंचित न रहे।
चीमा ने इस अवसर पर कहा कि पंजाब सरकार ने लोगों के सहयोग से पूरी ताकत से बाढ़ से मुकाबला किया। यदि समय पर बचाव और राहत कार्य शुरू न किए गए होते, तो नुकसान कई गुना अधिक होता। उन्होंने संगरूर जिला प्रशासन की तत्परता की सराहना करते हुए बताया कि घग्गर नदी में 755 फीट तक पानी पहुंचने के बावजूद किसी भी तटबंध के न टूटने से यह सिद्ध हुआ कि प्रशासन ने आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य किया।
इस मौके पर डिप्टी कमिश्नर राहुल चाबा ने कहा कि पंजाब सरकार के निर्देशों के अनुसार आपात स्थिति से निपटने के लिए अग्रिम व्यवस्थाएं की गई थीं। परिणामस्वरूप भारी बारिश के बावजूद घग्गर नदी के 41 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में एक भी तटबंध नहीं टूटा। उन्होंने कहा कि यह सब मुख्यमंत्री भगवंत मान की दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता और राज्य सरकार की समयबद्ध कार्रवाई का परिणाम है।
हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार से अपील की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 1,600 करोड़ रुपये की सहायता राशि जल्द से जल्द जारी की जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा अब तक जारी किए गए 240 करोड़ रुपये केवल वार्षिक किश्त का हिस्सा हैं, जबकि पंजाब को वास्तविक सहायता की प्रतीक्षा है। उन्होंने केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि “मान सरकार” अपने संसाधनों और जनता के सहयोग से हर संकट में मजबूती से खड़ी है।
संगरूर के एक किसान गुरमेल सिंह ने भावुक होते हुए कहा, “पहली बार किसी सरकार ने हमारे दर्द को इतनी जल्दी समझा। अब हमें महसूस होता है कि सरकार वाकई हमारे साथ है।” वहीं बाढ़ प्रभावित परिवार की सदस्य जसविंदर कौर ने कहा, “हमारे घर में दीवाली की रौशनी इस बार सरकार के कारण आई है। मान सरकार ने सच में दिल जीत लिया।”
दीवाली से पहले जारी यह मुआवजा सिर्फ राहत नहीं, बल्कि पंजाब सरकार की उस नीति का हिस्सा है जो हर पंजाबी को आत्मनिर्भर और सम्मानित जीवन देने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई में “मिशन पुनर्वास” पंजाब में नई उम्मीदों की नींव रख रहा है — एक ऐसा पंजाब, जो मुश्किलों से नहीं डरता, बल्कि हर संकट को नए संकल्प के साथ पार करता है।
यह पहल इस बात का प्रमाण है कि जब नेतृत्व ईमानदार और जनसेवी हो, तो सरकार का हर फैसला लोगों के दिलों को छू जाता है। इस बार दीवाली की रौशनी सिर्फ घरों में नहीं, बल्कि हर पंजाबी के दिल में जगमगा रही है क्योंकि “मान सरकार” ने फिर साबित कर दिया है कि जो कहा, वो किया!