चंडीगढ़ , 9 दिसंबर 2025: महिलाओं की सुरक्षा पंजाब की भगवंत मान सरकार के लिए शुरू से ही प्राथमिकता रही है. यही कारण है कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए मान सरकार लगातार काम कर रही है | पंजाब में भगवंत मान सरकार द्वारा ‘प्रोजेक्ट हिफ़ाज़त’ (Project Hifazat) महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और सम्मान के लिए शुरू की गई एक पहल है, जिसका लक्ष्य हिंसा और उत्पीड़न की रिपोर्ट करने से रोकने वाले डर को खत्म करना है, जिसके तहत 181 हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से 24 घंटे तत्काल सहायता प्रदान की जाती है, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर उत्पीड़न, या किसी अन्य दुर्व्यवहार के डर को खत्म करना।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, पंजाब की सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने ‘प्रोजेक्ट हिफाज़त’ की शुरुआत की थी । इस परियोजना का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के पीड़ितों के लिए प्रतिक्रिया प्रणाली को मजबूत करना है। पंजाब सरकार के इस मिशन का मकसद सभी की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना है। यह प्रोजेक्ट पीड़ितों तक सहायता पहुंचाने और एक एकीकृत सहायता प्रणाली प्रदान करने में सहायक होगा। डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि ‘प्रोजेक्ट हिफाज़त’ शुरू करने का मुख्य उद्देश्य उन महिलाओं को सहायता प्रदान करना है जो घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं, कार्यस्थल पर उत्पीड़न झेलती हैं या किसी भी प्रकार की हिंसा का सामना करती हैं लेकिन डर के कारण अपनी समस्याओं को व्यक्त नहीं कर पातीं। उन्होंने कहा कि सभी महिलाओं को अपने मोबाइल फोन की संपर्क सूची में 181 नंबर अवश्य जोड़ लेना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा की स्थिति में वे बिना डर के हमसे संपर्क कर सकें।
कैबिनेट मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का सपना पंजाब को खुशहाल और सुरक्षित प्रदेश बनाना है। यह तभी संभव होगा जब प्रदेश की महिलाएं भयमुक्त होकर जीवन व्यतीत करेंगी। उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट हिफाज़त’ इस दिशा में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि कई योजनाओं के बावजूद, समय पर सहायता उपलब्ध कराने में अब भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। ‘प्रोजेक्ट हिफाज़त’ विभिन्न विभागों और एजेंसियों के बीच तालमेल को सुचारू बनाकर इन समस्याओं को हल करने के लिए तैयार किया गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि पीड़ितों को तत्काल सहायता मिले।
यह हेल्पलाइन संकट की स्थिति में महिलाओं और बच्चों को तुरंत सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करेगी। कॉल को इमरजेंसी, नॉन-इमरजेंसी या सूचना के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, और इमरजेंसी मामलों को तुरंत इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ERSS-112) को ट्रांसफर किया जाएगा। यह पहल सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग, पंजाब पुलिस और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के बीच समन्वय को बढ़ावा देगी। यह सहयोग बचाव कार्यों, कानूनी सहायता, चिकित्सा सहायता और मनो-सामाजिक सहायता प्रदान करने में मदद करेगा। इस कार्यक्रम का संचालन डिप्टी कमिश्नरों की निगरानी में जिला कार्यक्रम अधिकारी करेंगे। पीड़ितों को समय पर सहायता प्रदान करने के लिए प्रत्येक जिले में समर्पित वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे।
गैर-आपातकालीन मामलों में, वन-स्टॉप सेंटर (OSC), जिला बाल सुरक्षा इकाइयां (DCPUs) और महिला सशक्तिकरण के जिला केंद्रों के माध्यम से मनोवैज्ञानिक परामर्श, कानूनी सहायता और पुनर्वास सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। पीड़ितों को शेल्टर होम और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में एक अत्याधुनिक कंट्रोल रूम कॉल ट्रैफिक का प्रबंधन करेगा, महिला केंद्रित योजनाओं की जानकारी प्रदान करेगा और निगरानी व मूल्यांकन के लिए रिपोर्ट तैयार करेगा। डॉ. बलजीत कौर ने महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “प्रोजेक्ट हिफाज़त के जरिए हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी पीड़ित उपेक्षित या असहाय महसूस न करे। यह पहल एक सुरक्षित वातावरण बनाएगी और पीड़ितों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए सशक्त बनाएगी।”
कैबिनेट मंत्री ने नागरिकों से अपील की कि वे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के किसी भी मामले की रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 181 और 1098 पर कॉल करें। कानूनी और सामाजिक सहायता को मजबूत करते हुए, ‘प्रोजेक्ट हिफाज़त’ घरेलू हिंसा अधिनियम और पोक्सो अधिनियम सहित प्रमुख कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने में सुधार करेगा, जिससे समाज को अधिक सुरक्षित और न्यायसंगत बनाया जा सकेगा। मान सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘प्रोजेक्ट हिफाज़त’ (Project Hifazat) सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं है। यह हर उस बेटी, बहन और माँ के लिए एक भावनात्मक सहारा है, जो आज भी घर की चारदीवारी या कार्यस्थल के अंधेरे कोने में डर के साए में जी रही है। हिफाज़त सिर्फ़ एक परियोजना नहीं, यह लाखों आँखों में भरी गई नई उम्मीद है कि अब पंजाब में बेटियाँ डरकर नहीं, बल्कि गर्व से सिर उठाकर जीएँगी।







