Rahul Gandhi Rath: बिहार की राजधानी पटना में बुधवार को ‘बिहार बंद’ के दौरान एक अप्रत्याशित राजनीतिक दृश्य देखने को मिला, जब राहुल गांधी के साथ चल रहे प्रचार वाहन पर कांग्रेस नेता पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को चढ़ने से रोक दिया गया। इस घटना ने महागठबंधन के भीतर पुरानी दरारों को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
बिहार में विधानसभा चुनावों की आहट के बीच विपक्षी महागठबंधन ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में संशोधन के खिलाफ बुधवार को ‘बिहार बंद’ का आह्वान किया। राजधानी पटना में हुए मुख्य प्रदर्शन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक खुले वाहन से भीड़ को संबोधित किया। वहीं इसी दौरान जब पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव और NSUI प्रभारी कन्हैया कुमार मंचनुमा वाहन पर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे, सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया।
वीडियो वायरल, राजनीतिक तापमान हाई
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। इसमें साफ देखा जा सकता है कि पप्पू यादव को हल्के बल प्रयोग से नीचे उतारा गया, जबकि कन्हैया कुमार को साफ मना कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं का नाम मंच पर चढ़ने वाले नेताओं की अधिकृत सूची में नहीं था। हालांकि, सवाल यह भी उठ रहे हैं कि जब वे कांग्रेस के सक्रिय और प्रभावशाली चेहरे हैं, तो उन्हें महागठबंधन के मंच से बाहर क्यों रखा गया?
तेजस्वी यादव की ‘ना’ के पीछे पुरानी राजनीति?
जानकारों का कहना है कि पप्पू यादव और तेजस्वी यादव के बीच राजनीतिक खटास पुरानी और सार्वजनिक है। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान पूर्णिया सीट को लेकर दोनों में तीखा संघर्ष देखने को मिला था। पप्पू यादव ने निर्दलीय चुनाव लड़कर राजद उम्मीदवार बीमा भारती को हराया था, जिससे रिश्तों में और तनाव आ गया।
वहीं, कन्हैया कुमार की कांग्रेस के भीतर बढ़ती सक्रियता और उनकी ‘पलायन रोको यात्रा’ से राजद नेतृत्व खासा असहज रहा है। तेजस्वी को आशंका रही है कि कन्हैया कहीं बिहार में कांग्रेस का नया चेहरा न बन जाएं।
कांग्रेस में दो धड़े, गठबंधन पर असर?
कांग्रेस के अंदर भी अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्टी में पुराने नेताओं और युवा चेहरों के बीच दरार बढ़ रही है? एक ओर राहुल गांधी बदलाव की बात करते हैं, दूसरी ओर पार्टी के ही नेताओं को ‘बाहर’ रखे जाने से तस्वीर कुछ और दिख रही है। महागठबंधन के भीतर यह घटना अंदरूनी अंतर्विरोधों और समन्वय की कमी को भी उजागर करती है।
आगे क्या? गठबंधन की एकता या अलगाव?
बिहार चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में अगर कांग्रेस और राजद के बीच भरोसा डगमगाता है, तो इसका सीधा असर विपक्ष की रणनीति और प्रभावशीलता पर पड़ेगा। पप्पू यादव और कन्हैया कुमार जैसे नेता प्रदेश में ज़मीनी पकड़ रखते हैं और उन्हें नजरअंदाज करना सिर्फ अंदरूनी नाराजगी को हवा देना है। अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस इस मामले पर आधिकारिक रुख अपनाती है या इसे ‘सुरक्षा प्रोटोकॉल’ कहकर दबा दिया जाएगा।