राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए “वोट चोरी” के आरोपों का समर्थन करते हुए इसे तथ्यात्मक और शोधपरक बताया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की प्रस्तुति पूरी तरह से दस्तावेजों पर आधारित थी और अब चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह इस मामले की गंभीरता से जांच करे। इस प्रस्तुति ने चुनाव आयोग और कांग्रेस के बीच तीखा टकराव पैदा कर दिया है। आयोग ने राहुल गांधी को चुनौती दी है कि वे अपने दावों के साथ औपचारिक घोषणा प्रस्तुत करें या आरोप वापस लें।
नागपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार ने स्वीकार किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले महा विकास अघाड़ी को अधिक सतर्क रहना चाहिए था। उन्होंने कहा, “हमें पहले ही इस पर ध्यान देना चाहिए था और सतर्क रहना चाहिए था।” पवार ने जोर देकर कहा कि राहुल गांधी के आरोपों में तथ्य हैं और विपक्ष चुनाव आयोग से जवाब चाहता है।
उन्होंने खुलासा किया कि 2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें 288 में से 160 सीटें जितवाने का प्रस्ताव मिला था, जिसे उन्होंने और राहुल गांधी ने ठुकरा दिया। पवार ने बताया, “चुनाव से पहले दो लोग मेरे पास आए और आश्वासन दिया कि वे 160 सीटें जितवा सकते हैं। मैंने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया और राहुल गांधी से संपर्क करने को कहा। हमारा साझा निर्णय था कि हम इसमें शामिल नहीं होंगे।”
पवार ने स्पष्ट किया कि विपक्ष इस मुद्दे पर चुप नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, “हम चुनाव आयोग से जवाब चाहते हैं। अगर हमारी जानकारी गलत है, तो उन्हें देश को बताना चाहिए। अगर नहीं, तो सच्चाई सामने आनी चाहिए। इसके लिए संसद में हमारे सभी साथी चुनाव आयोग तक मार्च करेंगे।” राहुल गांधी ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को “संस्थागत चोरी” करार देते हुए आरोप लगाया कि चुनाव आयोग खुलेआम भाजपा के साथ मिलकर गरीबों के वोटिंग अधिकार छीन रहा है। पवार ने कहा कि राहुल ने अपने दावों के साथ विस्तृत प्रमाण प्रस्तुत किए हैं, जिन पर आयोग को ध्यान देना चाहिए।
एक अन्य विवाद पर बोलते हुए पवार ने राहुल गांधी द्वारा आयोजित रात्रिभोज बैठक में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे की सीट को लेकर उठे विवाद को अनावश्यक बताया। उन्होंने कहा, “वह एक पावरपॉइंट प्रस्तुति थी। जब हम फिल्म देखते हैं, तो सामने नहीं बल्कि पीछे बैठते हैं ताकि स्क्रीन ठीक से दिखे। फारूक अब्दुल्ला और मैं पीछे बैठे थे। उसी तरह उद्धव ठाकरे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी पीछे बैठे थे ताकि प्रस्तुति ठीक से देख सकें।”
पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि विपक्ष ने 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। साथ ही, उन्होंने अपने भतीजे अजित पवार के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ एनसीपी गुट के साथ किसी भी गठबंधन की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “हम कभी भी भाजपा-नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ नहीं जाएंगे।”
शरद पवार के इन बयानों ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। विपक्ष जहां चुनाव आयोग से जवाब मांग रहा है, वहीं पवार का यह रुख संकेत देता है कि आगामी चुनावों में विपक्ष एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ रणनीति बना सकता है। उनके बयान न केवल चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि विपक्ष इस मुद्दे को लेकर आक्रामक रुख अपनाने को तैयार है। यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की सियासत में नए समीकरण पैदा कर सकता है, खासकर तब जब विपक्ष अपनी एकता को मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रहा है।