मंजरी की खोजी रिपोर्ट
नई दिल्ली, 18 दिसंबर। भारतीय नौकरशाही और न्यायपालिका के बीच आंख-मिचौली के खेल जैसा एक दिलचस्प मामला सामने आया है। यह मामला हरेन्द्र प्रताप सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य से जुड़ा है। इसमें एम एस एम ई मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सर्विस से जुड़े केस में श्री प्रताप का कुल एरियर मात्र दो लाख तिरपन हजार रूपए बनता है जबकि इसी मामले में मंत्रालय ने आर टी आई में सूचना दी है कि एरियर मात्र चौरासी हजार रूपए है ! कौन-सा तथ्य सही है – सुप्रीम कोर्ट में दी गई सूचना या आर टी आई में अथवा दोनों सूचना ग़लत है ? इस मामले में मंत्रालय के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुभाष चन्द्र लाल दास, सचिव और डॉ. रजनीश, एडिशनल सेक्रेटरी दोनों चुप हैं !

सहायक संपादक ( हिन्दी ) पद के दिनांक 01.01.2006 से अपग्रेडेशन के पक्ष में दिल्ली उच्च न्यायालय के अगस्त, 2022 के फैसले से जुड़े इस मामले में एम एस एम ई मंत्रालय के ए एस ओ राजेश सुकुमारन, उप निदेशक पंकज कुमार झा और एडिशनल डेवलेपमेंट कमिश्नर डॉ. इशिता गांगुली त्रिपाठी ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया है जिससे भारत सरकार की बदनामी हो रही है। राजेश सुकुमारन सहायक निदेशक के पद पर पदोन्नति पाने के बाद 31 अक्टूबर, 2025 को रिटायर हो चुके हैं।
आई ई डी एस अधिकारी पंकज कुमार झा संयुक्त निदेशक बन कर दिल्ली से लुधियाना जा चुके हैं और डॉ. इशिता गांगुली त्रिपाठी एम एस एम मंत्रालय से रक्षा मंत्रालय में ट्रांसफर हो चुकी हैं। एम एस एम ई मंत्रालय में इन तीनों की अवधि में दिल्ली उच्च न्यायालय से आदेश आने के बावजूद समय पर न तो अनुपालन की प्रक्रिया शुरू की गई और न ही आज तक फैसले को पूरी तरह लागू किया गया है।

परिणाम यह है कि तीन बार कैट, दो बार हाई कोर्ट और एक बार सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक यात्रा पूरी कर यह मामला सन् 2023 से न्यायालय की अवमानना का मामला बन कर फिर से दिल्ली उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस मामले में एम एस एम ई मंत्रालय के संयुक्त निदेशक गौरव कटियार और उप निदेशक संजय कुमार भी जुड़े हुए हैं।
एम एस एम ई मंत्रालय फैसले के साथ – साथ अवमानना के इस मामले को लेकर भी उदासीन है। एम एस एम ई मंत्रालय के सचिव सुभाष चन्द्र लाल दास के खिलाफ दायर अवमानना के इस मामले में सुनवाई के लिए निर्धारित तिथि 10 दिसंबर, 2025 को सरकार की तरफ से न तो एडवोकेट सामने आये और न ही कोई सरकारी अधिकारी। परिणाम है कि अगले साल के लिए अब अगली तिथि निर्धारित की गई है।

इधर इस मामले में दायर आर टी आई एक्ट के तहत प्राप्त नोटशीट की कॉपी में अधिकारियों द्वारा दी गई गलत जानकारी, जानबूझकर की गई देरी और लापरवाही का तथ्य सामने आया है ! इस बारे में संबंधित पक्ष अलग से कार्रवाई कर रहा है।
इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय में विचाराधीन अवमानना के केस के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एम एस एम ई मंत्रालय के द्वारा प्रस्तुत तथ्य के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के खिलाफ फैसला सुना दिया है। अब अवमानना की शिकायत पर दिल्ली उच्च न्यायालय में विचार किया जाना बाकी है।







