US Tariff on Medicines: ट्रंप ने दवाओं पर टैरिफ का ऐलान किया, भारत और अमेरिका दोनों पर पड़ेगा असर, जानें डिटेल
नई दिल्ली, 9 अप्रैल 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर अपने अभियान को एक नया मोड़ देते हुए अब दवाओं पर भी भारी टैक्स लगाने की घोषणा की है। नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल समिति (NRCC) के एक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा कि यह कदम भारत और चीन जैसे देशों से आने वाली सस्ती दवाओं को निशाना बनाएगा, ताकि अमेरिकी दवा उद्योग को मजबूत किया जा सके। इस फैसले से भारत की फार्मा इंडस्ट्री पर बड़ा असर पड़ सकता है, जो अमेरिका को जेनेरिक दवाओं की बड़ी आपूर्ति करती है। दूसरी ओर, विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिकी मरीजों को भी महंगी दवाएं खरीदनी पड़ सकती हैं। आइए समझते हैं ट्रंप ने क्या कहा और इसका असर क्या होगा।
नई दिल्ली, 9 अप्रैल 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर अपने अभियान को एक नया मोड़ देते हुए अब दवाओं पर भी भारी टैक्स लगाने की घोषणा की है। नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल समिति (NRCC) के एक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा कि यह कदम भारत और चीन जैसे देशों से आने वाली सस्ती दवाओं को निशाना बनाएगा, ताकि अमेरिकी दवा उद्योग को मजबूत किया जा सके। इस फैसले से भारत की फार्मा इंडस्ट्री पर बड़ा असर पड़ सकता है, जो अमेरिका को जेनेरिक दवाओं की बड़ी आपूर्ति करती है। दूसरी ओर, विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिकी मरीजों को भी महंगी दवाएं खरीदनी पड़ सकती हैं। आइए समझते हैं ट्रंप ने क्या कहा और इसका असर क्या होगा।
ट्रंप ने दवाओं पर टैरिफ को लेकर क्या कहा?
वॉशिंगटन में हुए NRCC डिनर में ट्रंप ने कहा, “हम दवा आयात पर बहुत बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। बड़ा टैरिफ आने वाला है। दूसरे देश दवा कंपनियों पर सस्ती दवाएं बेचने का दबाव डालते हैं, लेकिन अमेरिका में ये महंगी बिकती हैं। टैरिफ लगने के बाद ये कंपनियां अमेरिका वापस आएंगी।” ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिकी फार्मा इंडस्ट्री मजबूत होगी और नौकरियां बढ़ेंगी। उन्होंने भारत और चीन पर सस्ती दवाओं के जरिए अमेरिकी बाजार को कमजोर करने का आरोप लगाया।
भारत पर क्या होगा असर?
फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmexcil) के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में भारत ने 2.41 लाख करोड़ रुपये की दवाओं का निर्यात किया, जिसमें से 31% (लगभग 74,710 करोड़ रुपये) अमेरिका को गया। भारत अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 45% जेनेरिक और 15% बायोसिमिलर दवाओं की आपूर्ति करता है।
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प्रमुख कंपनियां प्रभावित: डॉक्टर रेड्डीज, अरबिंदो फार्मा, जाइडस लाइफसाइंसेज और सन फार्मा जैसी कंपनियां अपने राजस्व का 30-50% अमेरिकी बाजार से कमाती हैं। टैरिफ से इनके मुनाफे पर असर पड़ सकता है।
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निर्यात में कमी: ऊंचे टैरिफ से भारतीय दवाएं अमेरिका में महंगी हो जाएंगी, जिससे मांग घट सकती है।
अमेरिका को कितना नुकसान?
फार्मा कंपनी एली लिली के CEO डेविड रिक्स ने BBC को बताया, “टैरिफ से R&D (अनुसंधान और विकास) पर असर पड़ेगा, जिससे नई दवाओं का विकास धीमा हो सकता है।” न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में सस्ती जेनेरिक दवाओं का बड़ा हिस्सा भारत और चीन से आता है। टैरिफ लगने से:
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महंगी दवाएं: मरीजों को जेनेरिक की जगह महंगी ब्रांडेड दवाएं खरीदनी पड़ सकती हैं।
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हेल्थकेयर कॉस्ट बढ़ेगी: अमेरिकी उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
अमेरिका कहां से कितनी दवाएं खरीदता है?
2023 में अमेरिका ने 7.5 लाख करोड़ रुपये की दवाओं का आयात किया:
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आयरलैंड: 3.1 लाख करोड़ रुपये (41%)।
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जर्मनी: 1.65 लाख करोड़ रुपये (22%)।
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स्विट्जरलैंड: 1.30 लाख करोड़ रुपये (17%)।
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भारत: 94,000 करोड़ रुपये (12.5%)।
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चीन: 89,000 करोड़ रुपये (11.8%)।
FDA के अनुसार, अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 40% जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं।
पहले दवाओं को मिली थी छूट
2 अप्रैल 2025 को ट्रंप ने ‘लिबरेशन डे’ के तहत 10% बेसलाइन टैरिफ और 9 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किए थे। तब दवाओं को छूट दी गई थी, लेकिन अब ट्रंप ने इस छूट को खत्म करने का फैसला लिया है। भारत से आयात पर पहले से 26% टैरिफ है, और दवाओं पर नया टैरिफ इसे और बढ़ा सकता है।