• About us
  • Contact us
Thursday, December 18, 2025
19 °c
New Delhi
21 ° Fri
21 ° Sat
Kadwa Satya
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
Kadwa Satya
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
  • जीवन मंत्र
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • स्पेशल स्टोरी
Home संपादकीय

अब कॉरपोरेट गोद लेंगे स्कूल, सरकार कब जागेगी?

News Desk by News Desk
July 29, 2025
in संपादकीय
अब कॉरपोरेट गोद लेंगे स्कूल, सरकार कब जागेगी?
Share on FacebookShare on Twitter

लेखक: अमित पांडेय

उत्तराखंड सरकार ने राज्य के 550 सरकारी स्कूलों को कॉरपोरेट समूहों के माध्यम से गोद दिलवाने की योजना बनाई है। यह पहल पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के उद्देश्य से की जा रही है, जिसमें सीएसआर फंड के जरिए मॉडल क्लासरूम, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, पुस्तकालय, फर्नीचर, शौचालय, खेल सामग्री, मैदान और चहारदीवारी जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। पहली नजर में यह एक सराहनीय कदम लगता है, लेकिन जब इसे व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं।


सबसे पहला सवाल यह है कि आखिर इतने वर्षों से सत्ता में रहते हुए सरकार ने इन स्कूलों की हालत सुधारने के लिए क्या किया? उत्तराखंड में 15,873 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से 2,210 स्कूलों की स्थिति बेहद खराब है। इनमें से 900 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां भवन जर्जर हैं, बरसात में पानी टपकता है, दीवारें दरकी हुई हैं और छतें गिरने की आशंका बनी रहती है। 130 स्कूलों में पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है, और 908 स्कूलों में शौचालय नहीं हैं। क्या यह सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी नहीं थी कि इन स्कूलों को पहले ही सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जाता?


दूसरा सवाल यह है कि जब सरकार खुद इन स्कूलों को बुनियादी सुविधाएं नहीं दे पा रही है, तो वह रैलियों, प्रचार अभियानों और भव्य आयोजनों पर करोड़ों रुपये कैसे खर्च कर रही है? शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में प्रति छात्र खर्च में 40% की वृद्धि हुई है, लेकिन इसके बावजूद स्कूलों में छात्र संख्या में 60,000 की गिरावट आई है। यानी पैसा तो खर्च हुआ, लेकिन न तो गुणवत्ता बढ़ी, न ही बच्चों का भरोसा लौटा।


तीसरा और सबसे चिंताजनक सवाल यह है कि क्या यह पहल शिक्षा के निजीकरण की ओर एक कदम नहीं है? जब कॉरपोरेट समूह स्कूलों को गोद लेंगे, तो क्या वे अपनी शर्तों पर पाठ्यक्रम, मूल्यांकन और संचालन नहीं तय करेंगे? क्या यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के नाम पर शिक्षा को बाज़ार के हवाले करने की तैयारी है? सरकार कहती है कि यह साझेदारी छात्रों को बेहतर भविष्य देगी, लेकिन क्या यह भविष्य कॉरपोरेट हितों से संचालित होगा या छात्रों की जरूरतों से?


इस संदर्भ में यह भी देखा जाना चाहिए कि राज्य सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए स्कूल मानक प्राधिकरण का खाका तो तैयार किया है, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया। यानी एक तरफ सरकारी स्कूलों को कॉरपोरेट के हवाले किया जा रहा है, और दूसरी तरफ निजी स्कूलों पर नियंत्रण की प्रक्रिया अधर में है। यह दोहरा रवैया शिक्षा को एक सार्वजनिक अधिकार से बदलकर एक निजी सेवा में तब्दील करने की दिशा में संकेत करता है।


उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था पहले से ही संकट में है। पहाड़ी जिलों में छात्र संख्या लगातार घट रही है, और अभिभावक मजबूरी में बच्चों को निजी स्कूलों में भेज रहे हैं। ऐसे में सरकार की यह पहल एक तरह से अपनी विफलता को छिपाने का प्रयास है। अगर सरकार वास्तव में शिक्षा के प्रति गंभीर होती, तो वह पहले से मौजूद स्कूलों को मजबूत करती, शिक्षकों की नियुक्ति करती, और डिजिटल शिक्षा को गांव-गांव तक पहुंचाती।


कॉरपोरेट समूहों की भागीदारी तब तक स्वागत योग्य है जब वह सरकार की जवाबदेही को मजबूत करे, न कि उसकी जिम्मेदारी को बदल दे। लेकिन मौजूदा परिदृश्य में यह पहल एक राजनीतिक तमाशा बनती जा रही है, जहां शिक्षा की मूल समस्याएं दरकिनार कर दी गई हैं और दिखावे की योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
शिक्षा का अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त है, न कि कॉरपोरेट दया से मिला हुआ उपहार। अगर सरकार इस अधिकार को सुरक्षित नहीं रख सकती, तो उसे सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार भी नहीं है।

Tags: NEP 2020 विवादउत्तराखंड शिक्षा नीतिउत्तराखंड सरकारी स्कूल गोदकॉरपोरेट सीएसआर फंडपहाड़ी क्षेत्र स्कूल समस्याशिक्षा का निजीकरणशिक्षा में कॉरपोरेट दखलशिक्षा सुधार या दिखावासरकारी स्कूल बदहालीसरकारी स्कूल संकट
Previous Post

Himachal News: बादल फटा, परिवार बह गया… लेकिन ‘राज्य की संतान’ बनी नीतिका को मिला हिमाचल सरकार का ममत्व!

Next Post

बगहा में छात्र निरंजन को मिली नई साइकिल, “ऑक्सीजन मैन” गौरव राय की टीम का मानवीय उपहार!

Related Posts

No Content Available
Next Post
बगहा में छात्र निरंजन को मिली नई साइकिल, “ऑक्सीजन मैन” गौरव राय की टीम का मानवीय उपहार!

बगहा में छात्र निरंजन को मिली नई साइकिल, "ऑक्सीजन मैन" गौरव राय की टीम का मानवीय उपहार!

New Delhi, India
Thursday, December 18, 2025
Overcast
19 ° c
64%
8.3mh
26 c 17 c
Fri
26 c 16 c
Sat

ताजा खबर

POCSO मामलों में ऐतिहासिक मोड़: पहली बार दर्ज मामलों से ज्यादा निपटान, बैकलॉग टूटने के संकेत

POCSO मामलों में ऐतिहासिक मोड़: पहली बार दर्ज मामलों से ज्यादा निपटान, बैकलॉग टूटने के संकेत

December 18, 2025
नेशनल हेराल्ड केस: राजनीतिक प्रतिशोध की लंबी परंपरा और सत्ता–विपक्ष का टकराव

नेशनल हेराल्ड केस: राजनीतिक प्रतिशोध की लंबी परंपरा और सत्ता–विपक्ष का टकराव

December 18, 2025
निर्णायक छलांग से पहले का आख़िरी प्रश्न

निर्णायक छलांग से पहले का आख़िरी प्रश्न

December 18, 2025
Bihar Sports News: बिहार में खुलेगा तलवारबाजी का Olympic Training Centre, केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया की सहमति

Bihar Sports News: बिहार में खुलेगा तलवारबाजी का Olympic Training Centre, केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया की सहमति

December 16, 2025
IPL Auction में बिहार के खिलाड़ियों की एंट्री, BCA अध्यक्ष हर्ष वर्धन बोले– सही दिशा में आगे बढ़ रहा बिहार क्रिकेट

IPL Auction में बिहार के खिलाड़ियों की एंट्री, BCA अध्यक्ष हर्ष वर्धन बोले– सही दिशा में आगे बढ़ रहा बिहार क्रिकेट

December 16, 2025

Categories

  • अपराध
  • अभी-अभी
  • करियर – शिक्षा
  • खेल
  • गीत संगीत
  • जीवन मंत्र
  • टेक्नोलॉजी
  • देश
  • बॉलीवुड
  • भोजपुरी
  • मनोरंजन
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • व्रत त्योहार
  • शिक्षा
  • संपादकीय
  • स्वास्थ्य
  • About us
  • Contact us

@ 2025 All Rights Reserved

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी

@ 2025 All Rights Reserved