Krishi Vikas Bihar: माननीय उपमुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार श्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा आज कृषि भवन, पटना में ‘‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’’ का राज्य स्तर पर शुभारम्भ किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सचिव, कृषि विभाग, बिहार श्री संजय कुमार अग्रवाल द्वारा किया गया।
अपने संबोधन में माननीय उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन हमारे कृषि इतिहास में एक नई शुरुआत का प्रतीक है। ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ केवल एक योजना नहीं, बल्कि किसानों की आत्मनिर्भरता और गौरव का प्रतीक है। अब किसान केवल ग्रामीण नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माता हैं। गाँवों की समृद्धि ही देश के विकास का आधार बनेगी। यह पहल किसानों को सशक्त बनाकर ‘विकसित भारत’ के निर्माण की यात्रा को गति देगी। यह स्वावलंबी किसान और समृद्ध भारत का संकल्प है।
गाँव के अंतिम पंक्ति तक के किसानों से सीधा संवाद स्थापित किया जायेगा
माननीय उप मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य गाँव के अंतिम पंक्ति तक के किसानों से सीधा संवाद स्थापित करना है। शारदीय (खरीफ) फसलों की पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राज्य में कृषि विभाग द्वारा 29 मई से 12 जून 2025 तक “विकसित कृषि संकल्प अभियान” चलाएंगे। इस अभियान के तहत् किसानों को नई कृषि तकनीकों, सरकारी योजनाओं एवं अनुदानों की जानकारी दी जाएगी साथ ही उनके सुझाव और नवाचारों का दस्तावेजीकरण किया जाएगा।
किसानों को मिलेगी नई तकनीकों और योजनाओं की जानकारी
श्री सिन्हा ने कहा कि इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार ने छह सूत्री रणनीति तैयार की है। उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन लागत कम करना, उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना, प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई करना, मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण के साथ फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना और प्राकृतिक और जैविक खेती को प्रोत्साहित करना। यह अभियान किसानों को नई तकनीकों और जानकारी से जोड़कर उनकी पैदावार बढ़ाने और मेहनत का बेहतर फल दिलाने का प्रयास करेगा।
गाँवों तक पहुँचेगा विकसित कृषि संकल्प अभियान का संदेश
माननीय उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना (अटारी, पटना) के अंतर्गत आने वाले बिहार के 44 कृषि विज्ञान केन्द्रों में 104 टीम बनाई गई है, जो 4662 विभिन्न गाँवों में जाकर किसानों को जानकारी देगी। टीमें स्थानीय कृषि-जलवायु परिस्थितियों, मिट्टी के पोषक तत्वों की रूपरेखा, पानी की उपलब्धता और वर्षा के पैटर्न का आकलन करेंगी। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुरूप, वे उचित फसलों, उन्नत बीजों की किस्मों, आदर्श बुवाई तकनीकों और संतुलित उर्वरक उपयोग करने की सलाह देंगे।
अभियान का लक्ष्य “लैब टू लैंड” के विजन को धरातल पर उतारना
सचिव, श्री अग्रवाल ने कहा कि अभियान का लक्ष्य “लैब टू लैंड” के विजन को धरातल पर उतारना है. महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अभियान को दो-तरफ़ा बातचीत के तौर पर डिज़ाइन किया गया है। किसान अपनी चुनौतियों को साझा करेंगे, सवाल पूछेंगे और कीटों के संक्रमण जैसी क्षेत्रीय समस्याओं की रिपोर्ट करेंगे, जो भविष्य के शोध की दिशा में कारगर सावित होगा, जिससे विज्ञान और खेती एक साथ आगे बढ़ेंगे।
पटना जिलें के 150 किसानों ने की कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी
कार्यक्रम की शुरुआत में अटारी, पटना; भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना तथा कृषि विज्ञान केंद्र, बाढ़ के वैज्ञानिकों द्वारा एक तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों को केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कृषि योजनाओं, तकनीकी नवाचारों और आधुनिक कृषि पद्धतियों की जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में पटना जिले के लगभग 150 किसान शामिल हुए। किसानों ने अभियान को लेकर गहरी रुचि दिखाई और सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस कदम की सराहना की। किसानों ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल जानकारी मिलती है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ता है।