(पूर्व में प्राप्त खुलासों और जल शक्ति मंत्रालय, WAPCOS तथा केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) से प्राप्त विश्वसनीय सूचनाओं के क्रम में अब और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। यह घोटाला WAPCOS के पूर्व CMD रजनीकांत अग्रवाल द्वारा किए गए संगठित भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग को उजागर करता है।)
WAPCOS लिमिटेड, जो जल शक्ति मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख सार्वजनिक उपक्रम है, वहां पूर्व CMD रजनीकांत अग्रवाल और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया बहु-करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। यह एक गहरा और जाल सरीखा घोटाला है जिसमें मंत्रालय के भीतर के लोग, ठेकेदार और फर्जी सलाहकार कंपनियां शामिल हैं।
मुख्य बिंदु:
1. रियल एस्टेट परियोजना के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग
परी चौक के पास एक हाई-राइज़ बिल्डिंग में किए गए निवेश का इस्तेमाल काले धन को सफेद करने के लिए किया गया। इसमें रजनीकांत के साथ कई करीबी ठेकेदार और सलाहकार कंपनियां शामिल रहीं।
2. टेंडर में धांधली और फर्जी भुगतान
ओडिशा, केरल, झारखंड और राजस्थान में प्रोजेक्ट आवंटन में टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर की गई। चुनी हुई कंपनियों को कार्य पूरा किए बिना बार-बार भुगतान किया गया।
3. फर्जी विशेषज्ञों की नियुक्ति और सलाहकार कंपनियों के ज़रिए लूट
एक फर्जी योजना के तहत गैर-मैनपावर सलाहकार कंपनियों के माध्यम से तथाकथित विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई, जिससे हर महीने करोड़ों रुपये का गबन हुआ। इनमें से कई लोगों ने WAPCOS में कभी काम नहीं किया। इस योजना के पीछे एस.पी. गोयल, संजय शर्मा, सुमिर चावला, और संध्या के नाम सामने आए हैं।
जांच के दायरे में आने वाली प्रमुख सलाहकार कंपनियों में COSMOS, YASHI Consultants, Pureways, और अन्य फर्में शामिल हैं, जिन्हें कथित तौर पर फर्जी भुगतान और घोस्ट एम्प्लॉयमेंट छिपाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

4. परिवार सहित विदेश यात्राएं – बिना किसी लाभ के
रजनीकांत द्वारा परिवार सहित की गई विदेश यात्राएं, जो विमल चंदर द्वारा संचालित थीं, से कंपनी को कोई वास्तविक लाभ नहीं हुआ। अब CAG द्वारा फॉरेंसिक ऑडिट कराया जा रहा है।
5. गोपनीय जानकारी का लीक होना
विमल चंदर, अतुल शर्मा, और संयुक्त सचिव के PA (जिन्हें अंदरखाने “अपनी बंदी” कहा जाता है) पर मंत्रालय की गोपनीय सूचनाएं लीक करने का आरोप है।
6. संविदा कर्मचारियों की अवैध नियमितीकरण
12 संविदा कर्मियों को बिना किसी प्रक्रिया के स्थायी करने का मामला CVO द्वारा जांच के अधीन है। इसमें नकद लेन-देन की बात सामने आई है, जिसमें संजय शर्मा की भूमिका मुख्य मानी जा रही है।
7. शिकायतों को दबाने के लिए सिफारिशें और रिश्वत
रजनीकांत और उनके सहयोगियों के खिलाफ की गई शिकायतों को रिश्वत, वाहन, घरेलू सेवक उपलब्ध कराना, और अधिकारियों के रिश्तेदारों की नियुक्ति जैसे साधनों से दबा दिया गया।
मंत्रालय की कड़ी कार्यवाही
इस गंभीर घोटाले को देखते हुए, गुजरात से संबंध रखने वाले और ईमानदार छवि के माने जाने वाले माननीय जल शक्ति मंत्री ने CAG, CBI और ED को सम्पूर्ण जांच का आदेश दिया है। यह एक ऐसा मामला है जो यह दर्शाता है कि अगर समय पर कार्रवाई न हो तो सार्वजनिक संस्थानों की साख पूरी तरह बर्बाद हो सकती है।








