Who is Nupur Sheoran: नोएडा में आयोजित वर्ल्ड बॉक्सिंग कप में हरियाणा के भिवानी जिले के उमरवास गांव की नूपुर श्योराण ने स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया। उन्होंने 80 प्लस किलोग्राम कैटेगरी में शानदार प्रदर्शन करते हुए उज्बेकिस्तान की मुक्केबाज को 3–2 से हराकर गोल्ड अपने नाम किया। इससे पहले नूपुर ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था, और उनका संकल्प था कि जल्द ही वह सिल्वर को गोल्ड में बदलेंगी — जिसे उन्होंने अब सच कर दिखाया।
परिवार से मिली बॉक्सिंग की प्रेरणा
नूपुर श्योराण शुरुआत में पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देती थीं। वह पढ़ाई में तेज थीं और यही उनका करियर पथ माना जा रहा था। लेकिन 15 साल की उम्र के बाद उनका रुझान खेलों और खासकर बॉक्सिंग की ओर बढ़ा।
नूपुर को इसका पहला मोटिवेशन अपने दादा, कैप्टन हवा सिंह से मिला — जो खुद दो बार एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट रहे। उनके पिता भी बॉक्सर रहे हैं और उनकी मां नेशनल लेवल की बास्केटबॉल खिलाड़ी रही हैं। घर का पूरा माहौल खेल से भरा होने की वजह से नूपुर ने बॉक्सिंग को गंभीरता से अपनाया।
पिता के साथ ट्रेनिंग, लंबाई भी बनी चुनौती
नूपुर श्योराण भिवानी की कैप्टन हवा सिंह अकादमी में ट्रेनिंग लेती हैं, जहां उनके पिता भी कोच के रूप में मौजूद रहते हैं। उनकी छह फीट लंबाई के कारण अक्सर उन्हें उपयुक्त ट्रेनिंग पार्टनर ढूंढने में मुश्किल आती है।
नूपुर ने टोक्यो ओलंपिक के लिए भी ट्रायल दिया था। साल 2023 में पैर में लगी चोट के बाद उन्हें वेट कैटेगरी बदलनी पड़ी और वह 80+ कैटेगरी में शिफ्ट हो गईं — जहां अब उन्होंने गोल्ड जीतकर अपनी क्षमता साबित कर दी।
गोल्ड जीतने के बाद नूपुर ने क्या कहा
स्वर्ण पदक जीतने के बाद नूपुर ने बताया कि यह मेडल उनके लिए बेहद जरूरी था। उन्होंने कहा कि एक इंटरव्यू में सिल्वर को गोल्ड में बदलने की इच्छा जताने पर उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा था।
उन्होंने कहा, “मुझे इस स्वर्ण पदक की सचमुच ज़रूरत थी क्योंकि मैं पिछले एक महीने से सोई नहीं थी। मुझे एक वीडियो पर ट्रोल किया गया था जिसमें मैंने कहा था कि मुझे अभी-अभी रजत पदक मिला है और मैं उसे स्वर्ण पदक में बदल दूंगी। मुझे अति-आत्मविश्वासी कहा गया। लेकिन जब तक हम यह नहीं सोचेंगे कि हमें कहाँ पहुँचना है, तब तक वहाँ नहीं पहुंच पाएंगे।”






