नयी दिल्ली 02 अक्टूबर (कड़वा सत्य) सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के संस्थापक उदय माहुरकर ने कहा कि अश्लील सामग्री का बढ़ता चलन हमारे समाज को बिगाड़ रहा है, युवाओं के मन में बुरे विचार भर रहा है और इससे यौन अपराध बढ़ रहे हैं।
गांधी जयंती के अवसर पर यहाँ आयोजित जन सुनवाई कार्यक्रम में यौन हिंसा के सैकड़ों पीड़ितों ने एकजुट होकर समाज को दूषित कर रही यौन विकृत सामग्री पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की जोरदार मांग की। ‘जन सुनवाई’ का आयोजन यौन विकृत सामग्री के उत्पादन के खिलाफ लड़ने वाले संगठनों द्वारा किया गया। जन सुनवाई में पीड़ितों ने अपने दर्दनाक अनुभव साझा किए और यह उजागर किया कि किस प्रकार पुरुष इस प्रकार की सामग्री देखकर महिलाओं के साथ और उनके खिलाफ अपराध कर रहे हैं जिसमें दुष्कर्म जैसे अपराध भी शामिल हैं।
यह कार्यक्रम सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन, पीपल्स अगेंस्ट रेप इन इंडिया, संपूर्णा और सेवा न्याय द्वारा आयोजित किया गया था।
श्री माहुरकर ने कहा यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म और शोषण के शिकार पीड़ितों ने बताया कि किस प्रकार पोर्नोग्राफिक सामग्री का प्रसार महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। इन महिलाओं ने अपने अनुभवों के माध्यम से स्पष्ट किया कि इस प्रकार की सामग्री का अनियंत्रित उपयोग साधारण पुरुषों को अपराधी बना रहा है।
सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने दो साल पहले इस आंदोलन की शुरुआत की थी और यह अभियान अब करोड़ों समर्थकों के साथ एक राष्ट्रीय जन आंदोलन का रूप ले चुका है। आज की जन सुनवाई इस लड़ाई का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई है जिसमें सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म और इंटरनेट पर यौन सामग्री को खत्म करने की पुरजोर मांग उठाई गई।
इस समस्या का हल बेहद जरूरी है, ताकि हम महिलाओं की इज्जत को बचा सकें और अपने समाज के अच्छे संस्कारों की रक्षा कर सकें।
उन्होंने कहा,’नेटफ्लिक्स, ऑल्ट बालाजी और उल्लू सहित कई ओटीटी/ऐप/सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म खुलेआम अश्लीलता और यौन विकृत सामग्री परोस रहे हैं। इस पर मैंने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विन वैष्णव को पत्र लिखा था और इनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने गये थे लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया है जबकि शिकायतों के साथ ठोस अश्लील सामग्री के सबूत संलग्न हैं। उन्होंने कहा कि देश को यह तय करना होगा कि इन गंदगी परोसने वाले प्लेटफार्मों से मिलने वाला राजस्व अधिक महत्वपूर्ण है या देश की संस्कृति और चरित्र।’
उन्होंने सभी ऑडियो-विज़ुअल प्लेटफ़ॉर्म्स के लिए एक नैतिक आचार संहिता कानून बनाने पर जोर दिया जो पोर्नोग्राफी के निर्माण और वितरण को राष्ट्रविरोधी और दुष्कर्म को बढ़ावा देने वाली गतिविधि मानते हुए इसके उल्लंघनकर्ताओं को 10 से 20 साल की जेल और तीन साल तक जमानत न मिलने की सजा दे साथ ही चार महीने में फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई पूरी की जाए।
पीपल्स अगेंस्ट रेप इन इंडिया की संस्थापक योगिता भायाना ने भी श्री माहुरकर के विचारों का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘यौन सामग्री का प्रसार भारत में यौन अपराधों में बढ़ोतरी का कारण बन रहा है। हमें इसे रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हम अपनी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित रख सकें।’
संपूर्णा की संस्थापक और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. शोभा विजेंद्र ने कहा कि तकनीक के जरिये इस हानिकारक सामग्री का तेजी से फैलाव हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘1.5 अरब लोगों के देश में हर किसी की सामग्री देखने की आदतों पर नजर रखना मुश्किल है। इसका एकमात्र उपाय हर तरह की अश्लील सामग्री पर पूरी तरह से रोक लगाना है। अगर हमने इसे जड़ से नहीं रोका तो यह हमारे समाज और संस्कृति को बर्बाद कर देगा।’
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