• About us
  • Contact us
Monday, October 13, 2025
31 °c
New Delhi
28 ° Tue
28 ° Wed
Kadwa Satya
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
Kadwa Satya
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
  • जीवन मंत्र
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
  • स्पेशल स्टोरी
Home देश

चाइल्ड पोर्नोग्राफी रखना, देखना अपराध; सुप्रीम कोर्ट

News Desk by News Desk
September 23, 2024
in देश
चाइल्ड पोर्नोग्राफी रखना, देखना अपराध; सुप्रीम कोर्ट
Share on FacebookShare on Twitter

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (कड़वा सत्य) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अपने एक ‘ऐतिहासिक फैसले’ में कहा कि बच्चों के साथ यौन-क्रिया के स्पष्ट चित्रण और उनसे संबंधित अपमानजनक सामग्री को रखना या देखना यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो कानून) के अलावा सूचना एवं तकनीकी कानून के तहत भी अपराध माना जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने गैर सरकारी संगठन ‘जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन अलायंस’ की अपील और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के हस्तक्षेप पर इस विषय में मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले को पलटते हुए नये दिशा निर्देश जारी किए हैं।
पीठ ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को ‘बाल पोर्नोग्राफी’ शब्द की जगह संशोधित शब्दावली- ‘बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री’ रखने के लिए जरूरी प्रक्रिया अपनाने के निर्देश दिए हैं।
पीठ ने कहा है, “संसद को ऐसे अपराधों की वास्तविकता को अधिक सटीक रूप से दर्शाने के उद्देश्य से ‘बाल पोर्नोग्राफ़ी’ शब्दावली को ‘बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री’ शब्दावली से प्रतिस्थापित करने के उद्देश्य से पोक्सो में संशोधन लाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। पीठ ने यह भी कहा कि इस संशोधन के लिए फिलहाल सरकार अध्यादेश जारी कर सकती है।
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही देश में यौन शिक्षा कार्यक्रमों को व्यापक रूप से लागू करने का भी सुझाव दिया, जिसमें नाबालिगों के साथ रतिक्रिया के चित्रण के कानूनी और नैतिक नतीजों की भी जानकारी शामिल की जाए।
पीठ को उम्मीद है कि इससे संभावित अपराधों को रोकने में मदद मिल सकती है। यौन शिक्षा जैसे कार्यक्रमों के संबंध में जनसामान्य के बीच भ् क सोच को दूर किया जाना चाहिए और युवाओं को यौन सहमति और यौन शोषण के प्रभाव की स्पष्ट समझ करायी जानी चाहिए।
पीठ ने केंद्र सरकार को एक विशेषज्ञ समिति के गठन पर विचार करने के सुझाव का भी समर्थन किया है, जो स्वास्थ्य और यौन शिक्षा के लिए एक व्यापक कार्यक्रम या तंत्र तैयार करने की सिफारिश कर सकती है। अदालत ने पूरे देश में बच्चों को कम उम्र से ही पोक्सो के बारे में जागरूक बनाने पर जोर दिया है ताकि बाल संरक्षण, शिक्षा और यौन कल्याण के लिए एक मजबूत और सुविचारित दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके।
शीर्ष अदालत ने यह भी माना है कि यदि सोशल मीडिया मंच सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा समुचित रूप से बाल यौन सामग्री के रूप में अधिसूचित आपत्ति जनक समग्री को साक्ष्य को अप्रभावित रखते हुए अपने मंच से शीघ्रता पूर्वक नहीं हटाते हैं तो ऐसे मंचों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत दी गई सुरक्षा का लाभ नहीं मिलेगा।
ऐसे मंचों द्वारा नियंत्रित कंप्यूटर संसाधन में मौजूद या उससे जुड़ी किसी भी सूचना, डेटा या संचार लिंक का उपयोग गैरकानूनी कार्य करने के लिए किया जा रहा है तो भी उन्हें आईटी अधिनियम की उपरोक्त धारा का संरक्षण नहीं मिलेगा।
मद्रास उच्च न्यायालय के 11 जनवरी 2024 के अपने फैसले में एस हरीश नाम के एक आरोपित व्यक्ति के खिलाफ दायर एक प्राथमिकी और आरोप पत्र को खारिज कर दिया था। प्राथमिकी में आरोप था कि हरीश को अपने मोबाइल फोन पर बच्चों के शोषण से संबंधित और अपमानजनक सामग्री देखते हुए पाया गया था।
मद्रास उच्च न्यायालय ने माना था कि यद्यपि यौन गतिविधि में लिप्त बच्चों को दिखाने वाले दो वीडियो आरोपी के मोबाइल फोन में डाउनलोड और संग्रहीत पाए गए थे और यह मानते हुए कि उसने वही देखा था, फिर भी यह पोक्सो की धारा 14(1 ) के तहत अपराध नहीं बनता। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि बिना किसी प्रसारण या प्रकाशन के बाल पोर्नोग्राफी को देखना या डाउनलोड करना आईटी अधिनियम की धारा 67 बी के दायरे में नहीं आता है।
एनजीओ जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन अलायंस ने उच्च न्यायालय के इस फैसले की वैधता को चुनौती दी थी। उसकी ओर से उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का अदालत में खड़े थे। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता स्वरूपमा चतुर्वेदी ने हस्तक्षेप किया ।
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि पोक्सो की धारा 15 में तीन अलग-अलग अपराधों का प्रावधान है, जिसकी उपधारा (1), (2) या (3) के तहत निर्दिष्ट किसी विशेष इरादे से बाल यौन सामग्री के भंडारण या कब्जे में रखने को दंडनीय अपराध माना गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पुलिस और अदालतें किसी भी बाल पोर्नोग्राफ़ी के भंडारण या उसके कब्जे से जुड़े किसी भी मामले की जांच करते समय पाती हैं कि उसमें धारा 15 की कोई विशेष उप-धारा लागू नहीं होती है, तो उन्हें इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए कि पोक्सो की धारा 15 के तहत कोई अपराध नहीं बनता है।
अदालत ने कहा है कि ऐसे मामले में उन्हें यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि क्या वह मामला पोक्सो की किन्हीं अन्य उप-धारा के अंतर्गत आता है या नहीं। अपने निर्णय में पीठ ने कहा है कि यौन क्रिया के किसी भी स्पष्ट कृत्य के चित्रण में कोई विवेकशील व्यक्ति यदि प्रथम दृष्टया मानता है कि उसमें किसी बच्चे को दर्शाया गया है या उसमें कोई बच्चा शामिल है, उसे ‘बाल पोर्नोग्राफी’ माना जाएगा।
शीर्ष अदालत ने कहा है कि ऐसी सामग्री के बारे में संतुष्टि फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला रिपोर्ट या संबंधित सामग्री पर किसी विशेषज्ञ की राय या न्यायालयों द्वारा स्वयं ऐसी सामग्री के मूल्यांकन से प्राप्त की जा सकती है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि आईटी अधिनियम की धारा 67बी एक व्यापक प्रावधान है, जिसे बच्चों के ऑनलाइन शोषण और दुर्व्यवहार के विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक रूपों को देखने और दंडित करने के लिए तैयार किया गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा, “यह (धारा) न केवल बाल पोर्नोग्राफ़िक सामग्री के इलेक्ट्रॉनिक प्रसार को दंडित करती है, बल्कि ऐसी सामग्री के निर्माण, कब्जे (अपने पास रखने), प्रचार और उपभोग के साथ-साथ ऑनलाइन यौन अपमान और बच्चों के शोषण के विभिन्न प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कृत्यों को भी दंडित करती है।”
पीठ ने कहा कि आईटी अधिनियम की धारा 67, 67ए और 67बी क्रमशः एक पूर्ण संहिता हैं। इन धाराओं की व्याख्या ऐसे उद्देश्यपूर्ण तरीके से की जानी चाहिए जिससे शरारतों पर रोक लगे तथा बच्चों से संबंधित विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों तथा इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के जरिये अश्लील सामग्री के उपयोग को दंडित करने के विधायी उद्येश्य और प्रावधान बेकार न हो।
‘बाल पोर्नोग्राफ़ी’ शब्द के उपयोग के संबंध में अदालत ने यह महसूस किया कि इस शब्दावली का प्रयोग अपराध को गौण बना सकता है, क्योंकि पोर्नोग्राफ़ी को अक्सर वयस्कों के बीच सहमति से किया गया कार्य माना जाता है। अदालत की राय में यह शब्दावली किसी की पीड़ा की भावना को कमज़ोर करने वाली है।
न्यायालय का मानना है कि पोक्सो कानून में बच्चों के साथ यौन शोषण और दुर्व्यवहार के लिए ‘बाल पोर्नोग्राफी’ की जगह ‘बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री’ (सीएसईएएम) सही होगा।
 ,  ,  
कड़वा सत्य

Tags: childcrimepornographyPossessionSupreme Courtviewingअपराधचाइल्डदेखनापोर्नोग्राफीरखनासुप्रीम कोर्ट
Previous Post

दलित पिछड़ों को बुरे वक्त में ही याद करते हैं विपक्षी दल: मायावती

Next Post

इंडो-नेपाल सड़क परियोजना के तहत भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने में संबंधित एसडीएम, सीओ द्वारा सराहनीय कार्य किया गया है: बेतिया जिलाधिकारी

Related Posts

SC का बड़ा फैसला: शिक्षक सेवा और प्रमोशन के लिए अब अनिवार्य होगा TET, जानें किसे मिली राहत
देश

SC का बड़ा फैसला: शिक्षक सेवा और प्रमोशन के लिए अब अनिवार्य होगा TET, जानें किसे मिली राहत

September 2, 2025
Karnataka News: 5 साल की मासूम का अपहरण और हत्या, आरोपी का चौंकाने वाला एनकाउंटर – पुलिस की सख्ती से कांप उठा इलाका!
देश

Karnataka News: 5 साल की मासूम का अपहरण और हत्या, आरोपी का चौंकाने वाला एनकाउंटर – पुलिस की सख्ती से कांप उठा इलाका!

April 14, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने सीएलएटी-2025 नतीजे संबंधी सभी लंबित मामले दिल्ली हाईकोर्ट स्थानांतरित किया
देश

सुप्रीम कोर्ट ने सीएलएटी-2025 नतीजे संबंधी सभी लंबित मामले दिल्ली हाईकोर्ट स्थानांतरित किया

February 6, 2025
आसाराम डॉक्यूमेंट्री विवाद पर केंद्र, राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
देश

आसा  डॉक्यूमेंट्री विवाद पर केंद्र, राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

February 6, 2025
उच्चतम न्यायालय ने लंबे समय से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमितीकरण का आदेश दिया
देश

उच्चतम न्यायालय ने लंबे समय से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमितीकरण का आदेश दिया

February 5, 2025
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को बिना क्षतिपूर्ति उपाय किए हुए वन क्षेत्रों को कम करने से रोका
देश

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को बिना क्षतिपूर्ति उपाय किए हुए वन क्षेत्रों को कम करने से रोका

February 4, 2025
Next Post
इंडो-नेपाल सड़क परियोजना के तहत भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने में संबंधित एसडीएम, सीओ द्वारा सराहनीय कार्य किया गया है: बेतिया जिलाधिकारी

इंडो-नेपाल सड़क परियोजना के तहत भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने में संबंधित एसडीएम, सीओ द्वारा सराहनीय कार्य किया गया है: बेतिया जिलाधिकारी

New Delhi, India
Monday, October 13, 2025
Mist
31 ° c
36%
7.9mh
32 c 24 c
Tue
33 c 24 c
Wed

ताजा खबर

भिलाई में लहराया पंजाब का परचम! छत्तीसगढ़ ने गतका चैंपियनशिप में उपविजेता बनकर जीता दिल

भिलाई में लहराया पंजाब का परचम! छत्तीसगढ़ ने गतका चैंपियनशिप में उपविजेता बनकर जीता दिल

October 13, 2025
WJAI के डिजिटल भारत समिट में चमका बिहार का नाम! शिक्षाविद जीडी ज्ञानी और मीडिया कम्युनिकेशन दिग्गज भास्कर झा हुए सम्मानित”

WJAI के डिजिटल भारत समिट में चमका बिहार का नाम! शिक्षाविद जीडी ज्ञानी और मीडिया कम्युनिकेशन दिग्गज भास्कर झा हुए सम्मानित”

October 13, 2025
मीडिया की सुचिता पर बोले अश्विनी चौबे! सुनील गावस्कर ने की WJAI की सराहना, डिजिटल भारत समिट में दिखी नई दिशा

मीडिया की सुचिता पर बोले अश्विनी चौबे! सुनील गावस्कर ने की WJAI की सराहना, डिजिटल भारत समिट में दिखी नई दिशा

October 13, 2025
एम एस एम ई मंत्रालय में सिरदर्द बना आर टी आई वरिष्ठ अधिकारी भी लापरवाह !

एम एस एम ई मंत्रालय में सिरदर्द बना आर टी आई वरिष्ठ अधिकारी भी लापरवाह !

October 12, 2025
सभ्यता की नींव पर सौदे की दीवार

सभ्यता की नींव पर सौदे की दीवार

October 11, 2025

Categories

  • अपराध
  • अभी-अभी
  • करियर – शिक्षा
  • खेल
  • गीत संगीत
  • जीवन मंत्र
  • टेक्नोलॉजी
  • देश
  • बॉलीवुड
  • भोजपुरी
  • मनोरंजन
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • व्रत त्योहार
  • शिक्षा
  • संपादकीय
  • स्वास्थ्य
  • About us
  • Contact us

@ 2025 All Rights Reserved

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • खेल
  • अपराध
  • करियर – शिक्षा
    • टेक्नोलॉजी
    • रोजगार
    • शिक्षा
  • जीवन मंत्र
    • व्रत त्योहार
  • स्वास्थ्य
  • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • गीत संगीत
    • भोजपुरी
  • स्पेशल स्टोरी

@ 2025 All Rights Reserved