नई दिल्ली, 08 जुलाई (कड़वा सत्य) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को ‘मासिक धर्म’ के दौरान अवकाश देने के लिए केंद्र और सभी राज्य सरकारों को विचार करना है कि क्या वे इस बारे में कोई आदर्श नीति बना सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़,न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अधिवक्ता शैलेंद्र मणि त्रिपाठी की याचिका पर गौर किया कि क्या इस तरह के अवकाश महिलाओं को कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है या फिर इस तरह की छुट्टी अनिवार्य करने का मतलब महिलाओं को रोजगार से दूर रखना है।